झारखंड में फिल्म विकास की असीम संभावनाएं हैं..! अभिनेता राजन कुमार

काली दास पाण्डेय, मुंबई। ‘शहर मसीहा नहीं’, ‘नमस्ते बिहार’ जैसी कई हिंदी फिल्मों में काम कर चुके और कई टीवी धारावाहिकों में अपने अभिनय का जलवा बिखेर चुके अभिनेता चार्ली चैपलिन 2 हीरो राजन कुमार ने अपने झारखंड प्रवास के दौरान पिछले दिनों हरमू, रांची (झारखंड) स्थित जे.टी. बैंक्वेट हॉल में प्रेस वार्ता आयोजित कर रांची शहर और झारखंड राज्य के अपने अनुभवों को साझा किया और झारखंड फिल्म उद्योग को लेकर भी अपना विचार व्यक्त करते हुए कहा कि झारखंड में फिल्म विकास की असीम संभावनाएं हैं।

गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड होल्डर और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मशहूर कलाकार चार्ली चैपलिन2 हीरो राजन कुमार वर्तमान समय में झारखंड के दौरे पर हैं। विदित हो कि झारखंड से राजन कुमार का रिश्ता वर्षो पुराना रहा है। जब वह अपने गांव मुंगेर से आगे की पढ़ाई के लिए बाहर निकले तो सबसे पहले हजारीबाग आए थे। झारखंड में रहकर उन्होंने नृत्य की शिक्षा ली, छउ डांस का प्रशिक्षण प्राप्त किया। उन्होंने कहा कि आज जब वर्षो बाद वह यहां आए हैं तो पुरानी यादें एक बार पुनः जाग गई हैं।

इस बार झारखंड की यात्रा इसलिए बेहद महत्वपूर्ण रही क्योंकि चार्ली जैसे महान किरदार को जीवंत करना था। अजय कुमार के कार्यक्रम में राजन कुमार ने चार्ली चैपलिन द्वितीय के रूप में परफॉर्म किया। अजय कुमार राजन कुमार के साथ दिल्ली स्थित राजपथ (जो अब कर्तव्य पथ) पर एक साथ एक ही प्लेटफार्म पर कार्यक्रम करते हैं। 2023 में भी दोनों एक ही टीम में थे। झारखंड में संपन्न शादी के फंक्शन में ‘चार्ली चैपलिन’ का शो होना राजन कुमार के लिए खुशी की वजह रहा। यहाँ काफी आदिवासी लोग रहते हैं।

हाल ही में प्रभात प्रकाशन द्वारा चर्चित लेखक गाजी मोईन द्वारा लिखित राजन कुमार पर पुस्तक ‘कारनामे’ भी प्रकाशित हुई है। अभिनेता, एंकर, कवि, राइटर, डायरेक्टर राजन कुमार भाग्यशाली रहे हैं कि उन्हें कई पद्मश्री हस्तियों के करीब रहने का मौका मिला है और उनका आशीर्वाद उन्हें मिलता रहा है। पद्मश्री विमल जैन हों या फिर झारखंड के पद्मश्री बुलू इमाम। किसी भी शहर, गांव, राज्य के सबसे सीनियर आर्टिस्ट से मिलना, उन्हें आदर सम्मान देना, उनकी हौसला अफजाई करना, उनसे इन्सपायर होना कभी नहीं भूलते हैं हीरो राजन कुमार।

वह नवोदित कलाकारों को भी सीनियर कलाकार से मिलवाते हैं ताकि नई पीढ़ी को भी प्रेरणा मिल सके। यही वजह है कि वह झारखंड प्रवास के दौरान 200 किलोमीटर का सफर तय करके पद्मश्री बुलु इमाम से मिलने हजारीबाग पहुंचे और उनका आशीर्वाद लिया। साथ ही आयु से जुड़ी अवस्था में राजन कुमार ने उनकी हिम्मत बढ़ाई तो इमाम साहब यह कहने पर मजबूर हो गए कि तुम्हारे आने से मुझमें नई ऊर्जा का संचार हुआ। पद्मश्री बुलू इमाम ने अपने घर को ही म्यूजियम बना दिया है। कई देशों में प्रदर्शनी लगाकर उन्होंने सोहराई कला को अंतरराष्ट्रीय पहचान दिलवाई है।

हजारीबाग के पद्मश्री बुलू इमाम ने झारखंड की सभ्यता, संस्कृति और गौरवपूर्ण इतिहास को विश्व को बताने का अनोखा कार्य किया है। उन्होंने इस राज्य की सोहराई एवं कोहबर कला को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलवाने में कामयाबी प्राप्त की है। उन्होंने 50 साल से ज्यादा वक्त तक झारखंड के वन, पहाड़ और दूरदराज इलाकों में घूमकर कई ऐतिहासिक चीजों को जमा किया और अपने मकान के ही एक हिस्से को म्यूजियम का रूप दे दिया।

उनके साथ समय बिताना राजन ने अपने लिए खुशकिस्मती माना हैं। उनके द्वारा कई कलाकारों की रोजी रोटी भी चलती है। कई वर्षों से बिहार सरकार, जिला प्रशासन और सामाजिक कार्यकर्ता द्वारा हीरो राजन कुमार का नाम भी कला के क्षेत्र में उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए पद्मश्री हेतु नॉमिनेट होता रहा है। संगीत और कला में इनकी परख सराहनीय है। बाफ्टा जैसी संस्था के फाउंडर अध्यक्ष के रूप में राजन कुमार के योगदान काबिल ए तारीफ है। उनके द्वारा स्थापित कलाग्राम में ग्रामीण कलाकार भी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी मूर्तियां और कलाकृति बेच पाते हैं।

प्रेस वार्ता के दौरान सोनू पोद्दार, अंकुश मिश्रा, कल्पना कुमारी, रेखा पांडेय, अजय कुमार, मुकेश गोस्वामी, स्नेहा, मनाली, देवेंद्र पाठक, रुचि कुमारी, जितेंद्र सिंह यादव की उपस्थिति में झारखंड के चर्चित लेखक के. रहमान ने अपनी पुस्तक ‘अर्धनारी’ उपहार स्वरूप राजन कुमार को दी जिस पर बहुत जल्द फिल्म बनने की संभावना है।

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