पूरे भारत में विनिर्दिष्ट खाद्य पदार्थों पर लाइसेंसिंग आवश्यकताओं, स्टॉक की सीमाओं व आवागमन प्रतिबंधों को हटाना (संशोधन) आदेश 2024, 21 जून 2024 से तत्काल प्रभाव से लागू
केंद्र व राज्य सरकारों द्वारा उपभोक्ताओं के हित में विनियमित नियम व कानून के समांतर संबंधित विभागों से सेटिंग हफ्ताखोरी मिलीभगत चैनल को तोड़ना जरूरी- एडवोकेट के.एस. भावनानी
एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी, गोंदिया, महाराष्ट्र। वैश्विक स्तर पर हम देख रहे हैं कि हर देश में उपभोक्ताओं के हितों में अनेक कानून नियम विनियम बने हुए हैं जो सराहनीय हैं, परंतु यह सब कानून नियम विनियम तब धरे के धरे रह जाते हैं जब शासन प्रशासन व संबंधित प्रतिष्ठान की मिलीभगत हो जाती है, जिसका आधार हफ्ताखोरी, सेटिंग, भ्रष्टाचार व मिली भगत होता है यानें मिल बांटकर कानून की धज्जियां उड़ाई जाती है व उपभोक्ता बेचारा बेसहारा पड़ा रहता है। यह स्थिति हम भारत में करीब हर जिला स्तर पर देख सकते हैं। मैं अपने जिला स्तर पर जिला उपभोक्ता संरक्षण समिति जो शासकीय स्तर पर होती है उसमें मेंबर बन चुका हूं, तो देखता हूं कि अधिकारियों की रुचि उपभोक्ताओं की समस्याओं को सुलझाने की अपेक्षा मलाई मारने में अधिक होती है। याने अगर विभाग कहीं रेड मारने जाता है तो संबंधित प्रतिष्ठान के पास पहले ही फोन पहुंच जाती है, वह अपनी दुकान बंद कर चले जाते हैं या आपत्तिजनक माल हटा देते हैं यदि सैंपल उठाया जाता है तो सेटिंग, स्टॉक अधिक पकड़ा जाता है तो सेटिंग यानी हर उस कानून को तोड़ने वाली क्रिया का उपचार भ्रष्टाचार, हफ्ताखोरी सेटिंग व मिलीभगत है। यही कारण है कि जिस अधिकारी का वेतन ही बहुत कम है तो वह लग्जरी लाइफ कैसे जी रहे हैं?महंगे स्कूल में उनके बच्चे कैसे शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं? बेतहाशा रियल एस्टेट उनके पास कहां से आई? आज इन मुद्दों के प्रश्नों से सरकार को ध्यान देने की जरूरत है।
अगर हम सिर्फ संशोधित आदेश लागू करते रहेंगे तो उसमें उपभोक्ताओं का हित मेरा मानना है कि नहीं होगा, जो विचारणीय करने वाली बात है। आज जरूरत है हर अधिकारी पर टारगेट केस देने का आदेश हो। हर जिले में अगर टारगेट केस दिए गए तो व्यापारी कानून का उल्लंघन करने से तौबा करेगा और उपभोक्ताओं का अपने आप भला हो जाएगा यह सब बातें आज हम इसलिए कर रहे हैं क्योंकि आज 21 जून 2024 को केंद्रीय उपभोक्ता कार्य खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय ने देर शाम एक आदेश जारी कर कानून के मुताबिक काबुली चना सहित तूअर और चना पर 30 सितंबर 2024 तक स्टॉक सीमा लागू की है, जो उद्योग खुदरा चिलर दुकानदार सहित सभी व्यापारियों पर लागू होगा, परंतु मेरा मानना है कि इसमें सेटिंग की बहुत संभावनाएं रहती है। शासन को उस सेटिंग के लिए एक विशेष गुप्त टीम बनानी होगी जो जिला उपभोक्ता अधिकारी कार्यालय पर नजर रखें। चूंकि भारत में दालों की कीमतों पर लगाम लगाने जमाखोरी, सट्टेबाजी रोकने को संशोधन आदेश 2024 लागू हो गया है, जो 30 सितंबर 2024 तक लागू रहेगा। इसलिए आज हम मीडिया में उपलब्ध जानकारी के सहयोग से इस आलेख के माध्यम से चर्चा करेंगे, केंद्र व राज्य सरकारों द्वारा उपभोक्ताओं के हित में विनियमित नियम व कानून के समांतर संबंधित विभागों से सेटिंग हफ्ताखोरी व मिलीभगत चैनल को तोड़ना जरूरी है।
साथियों बात अगर हम काबुली चना तुअर व चना पर स्टॉक सीमा बंदी आदेश की करें तो, इस आदेश के तहत, सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के लिए 30 सितंबर, 2024 तक काबुली चना सहित तूअर और चना के लिए स्टॉक सीमा निर्धारित की गई है। प्रत्येक दाल पर व्यक्तिगत रूप से लागू स्टॉक सीमा थोक विक्रेताओं के लिए 200 मीट्रिक टन; खुदरा विक्रेताओं के लिए 5 मीट्रिक टन; प्रत्येक खुदरा दुकान पर 5 मीट्रिक टन और बड़ी श्रृंखला के खुदरा विक्रेताओं के लिए डिपो पर 200 मीट्रिक टन; मिल मालिकों के लिए उत्पादन के अंतिम 3 महीने या वार्षिक स्थापित क्षमता का 25 प्रतिशत, जो भी अधिक हो, होगी। आयातकों के संबंध में, आयातकों को सीमा शुल्क निकासी की तारीख से 45 दिनों से अधिक समय तक आयातित स्टॉक को अपने पास नहीं रखना है।
संबंधित कानूनी संस्थाओं को उपभोक्ता मामले विभाग के पोर्टल पर स्टॉक की स्थिति घोषित करनी है और यदि उनके पास मौजूद स्टॉक निर्धारित सीमा से अधिक है, तो उन्हें इसे 12 जुलाई, 2024 तक निर्धारित स्टॉक सीमा तक लाना होगा।जमाखोरी और बेईमान सट्टेबाजी को रोकने तथा उपभोक्ताओं को किफायती दर पर तूर और चना की उपलब्धता को बेहतर बनाने के लिए भारत सरकार ने एक आदेश जारी किया है, जिसके तहत थोक विक्रेताओं, खुदरा विक्रेताओं, बड़ी श्रृंखला के खुदरा विक्रेताओं, मिल मालिकों और आयातकों के लिए दालों पर स्टॉक सीमा लागू की गई है। विनिर्दिष्ट खाद्य पदार्थों पर लाइसेंसिंग आवश्यकताओं, स्टॉक सीमाओं और आवागमन प्रतिबंधों को हटाना (संशोधन) आदेश, 2024 को आज अर्थात दिनांक 21 जून, 2024 से तत्काल प्रभाव से जारी किया गया है।
साथियों बात अगर हम सरकार द्वारा आवश्यक वस्तुओं की कीमतों पर अंकुश लगाने की करें तो, तूर और चना पर स्टॉक सीमा लगाना सरकार द्वारा आवश्यक वस्तुओं की कीमतों पर अंकुश लगाने के लिए उठाए गए कदमों का हिस्सा है। उपभोक्ता मामले विभाग स्टॉक डिस्क्लोजर पोर्टल के माध्यम से दालों की स्टॉक स्थिति पर ध्यान पूर्वक नजर रख रहा था। विभाग ने अप्रैल, 2024 के पहले सप्ताह में राज्य सरकारों को सभी स्टॉक होल्डिंग संस्थाओं द्वारा अनिवार्य स्टॉक प्रकटन लागू करने के लिए संदेश भेजा था, जिसके बाद अप्रैल के अंतिम सप्ताह से 10 मई, 2024 तक देश भर में प्रमुख दलहन उत्पादक राज्यों और व्यापारिक केंद्रों का दौरा किया गया। व्यापारियों, स्टॉकिस्टों, डीलरों, आयातकों, मिल मालिकों और बड़ी श्रृंखला के खुदरा विक्रेताओं के साथ अलग-अलग बैठकें भी आयोजित की गई ताकि उन्हें स्टॉक के वास्तविक प्रकटन और उपभोक्ताओं के लिए किफायती दर पर दालों की उपलब्धता बनाये रखने हेतु प्रोत्साहित और संवेदनशील बनाया जा सके।
किसानों को अच्छी कीमत मिलने तथा भारतीय मौसम विभाग द्वारा सामान्य से अधिक मानसूनी बारिश की भविष्यवाणी के कारण इस मौसम में तूर और उड़द जैसी खरीफ दालों की बुआई में उल्लेखनीय वृद्धि होने की उम्मीद है। इसके अतिरिक्त, पूर्वी अफ्रीकी देशों से अगस्त, 2024 से चालू वर्ष की तूर फसल का आयात शुरू होने की उम्मीद है। इन कारकों से आगामी महीने में तूर और उड़द जैसी खरीफ दालों की कीमतों में कमी लाने में मदद मिलने की उम्मीद है। ऑस्ट्रेलिया में चने की नई फसल की आवक और अक्तूबर, 2024 से आयात के लिए इसकी उपलब्धता से उपभोक्ताओं को सस्ती कीमत पर चने की उपलब्धता बनाए रखने में मदद मिलेगी। उल्लेखनीय है कि सरकार ने घरेलू उत्पादन को बढ़ाने के लिए 4 मई, 2024 से देसी चने पर 66 प्रतिशत आयात शुल्क को कम किया था। शुल्क को कम करने से आयात में सुविधा हुई है और प्रमुख उत्पादक देशों में चने की बुवाई में वृद्धि हुई है। रिपोर्ट के अनुसार, ऑस्ट्रेलिया में वर्ष 2023-24 में चना उत्पादन 5 लाख टन से बढ़कर वर्ष 2024-25 में 11 लाख टन होने का अनुमान है, जिसके अक्तूबर, 2024 से उपलब्ध होने की उम्मीद है।
साथियों बात अगर हम आदेश 2024 को लागू करने के कारणों की करें तो, पिछले कुछ सप्ताह से विभिन्न दालों की कीमतों में आ रही तेजी के बीच केंद्र सरकार ने हस्तक्षेप किया है। केंद्र की ओर से सभी राज्यों को निर्देश दिया गया है कि वे ट्रेडर्स के द्वारा विभिन्न दालों के भंडार का आधार पर खुलासा सुनिश्चित करें, साथ ही राज्यों को ट्रेडर्स के द्वारा किए गए खुलासे को सत्यापित करने के लिए भी कहा गया है। राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को जमाखोरी और बाजार में हेरफेर को रोकने के लिए दालों के स्टॉक की स्थिति और कीमत के रुझान पर निगरानी बढ़ाने के लिए कहा गया था।
अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर इसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि भारत में दालों की कीमतों पर लगाम लगाने, जमाखोरी सट्टेबाजी रोकने संशोधन आदेश 2024 लागू। पूरे भारत में विनिर्दिष्ट खाद्य पदार्थों पर लाइसेंसिंग आवश्यकताओं स्टॉक की सीमाओं व आवागमन प्रतिबंधों को हटाना (संशोधन) आदेश 2024, 21 जून 2024 से तत्काल प्रभाव से लागू। केंद्र व राज्य सरकारों द्वारा उपभोक्ताओं के हित में विनियमित, नियम व कानून के समांतर संबंधित विभागों से सेटिंग हफ्ताखोरी मिलीभगत चैनल को तोड़ना जरूरी।
(स्पष्टीकरण : इस आलेख में दिए गए विचार लेखक के हैं और इसे ज्यों का त्यों प्रस्तुत किया गया है।)
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