कांग्रेस के पारंपरिक मतदाताओं ने वाम दलों को नहीं दिया वोट

कोलकाता। हाल ही में संपन्न लोकसभा चुनावों में पश्चिम बंगाल में फिर से शून्य पर सिमटने के बाद माकपा में भविष्य में कांग्रेस के साथ चुनावी गठबंधन को आगे बढ़ाने के औचित्य पर बहस शुरू हो गई है। कांग्रेस और माकपा इंडिया ब्लॉक के सहयोगी हैं।

पार्टी की राज्य समिति के अंदरूनी सूत्रों ने दावा किया कि चुनाव परिणाम पर प्रारंभिक आंतरिक विश्लेषण से पता चला है कि लोकसभा चुनाव के दौरान माकपा का पारंपरिक वोट कांग्रेस को तो मिला लेकिन कांग्रेस के मतदाताओं ने वामपंथी उम्मीदवारों को वोट नहीं किया।

अंदरूनी सूत्रों ने गुरुवार को यह भी कहा कि कांग्रेस के साथ सीट-साझाकरण समझौते को जारी रखने की व्यावहारिकता पर पार्टी की राज्य समिति द्वारा बुधवार देर शाम संपन्न चुनाव परिणामों की समीक्षा के दौरान गंभीर सवाल उठाए गए थे।

माकपा के एक राज्य समिति सदस्य ने कहा कि वोटो के हस्तांतरण को लेकर इसी तरह का ट्रेंड 2016 और 2021 में पिछले दो राज्य विधानसभा चुनावों में भी था। 2024 में भी जारी रहा। उन्होंने कहा, शुरुआती विश्लेषण से यह स्पष्ट है कि समर्पित कांग्रेस मतदाताओं ने हमें उस पार्टी के स्वाभाविक सहयोगी के रूप में स्वीकार नहीं किया है।

इसलिए जिन सीटों पर हमने अपने उम्मीदवार उतारे, वहां समर्पित कांग्रेस कार्यकर्ताओं की पसंद तृणमूल कांग्रेस और भाजपा के बीच थी। हमारे लिए परिणाम शून्य रहा।

एक अन्य राज्य समिति सदस्य ने कहा, ठीक यही कारण है कि विभिन्न जिलों से निचले स्तर की समितियों द्वारा उच्च नेतृत्व को भेजे गए चुनाव पूर्व आंतरिक सर्वेक्षण रिपोर्टों में पेश की गई तस्वीर अंतिम परिणामों में किसी भी तरह से परिलक्षित नहीं हुई।

अंदरूनी सूत्रों ने बताया कि समीक्षा बैठक में उठाया गया एक और महत्वपूर्ण मुद्दा पार्टी के पारंपरिक स्वरूप की ओर लौटने की आवश्यकता थी। इस बात पर जोर दिया गया है कि माकपा अपने दम पर लड़ाई लड़े ताकि भले ही रिजल्ट शून्य हो लेकिन संगठनात्मक तौर पर मजबूत हो।

सीपीआई (एम) के कट्टर धड़े ने याद दिलाया है कि प्रमोद दासगुप्ता, सरोज मुखर्जी, सैलेन दासगुप्ता और अनिल बिस्वास जैसे दिग्गज पार्टी आयोजकों ने, जो सभी दिवंगत हो चुके हैं, चुनावी लड़ाई में सीधे तौर पर भाग लिए बिना पार्टी के संगठनात्मक नेटवर्क को सुव्यवस्थित करने के लिए अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया। यहां तक कि पश्चिम बंगाल में मौजूदा वाम मोर्चा के अध्यक्ष बिमान बोस ने भी अपने पूरे जीवन में इसी सिद्धांत का पालन किया है।

ताज़ा समाचार और रोचक जानकारियों के लिए आप हमारे कोलकाता हिन्दी न्यूज चैनल पेज को सब्स्क्राइब कर सकते हैं। एक्स (ट्विटर) पर @hindi_kolkata नाम से सर्च करफॉलो करें।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

eighteen − 16 =