उज्जैन। विद्या भारती द्वारा संचालित सरस्वती विद्या मंदिर पूरे देश में संस्कार शिक्षा के साथ-साथ शारीरिक मानसिक बौद्धिक विकास एवं आध्यात्मिक नैतिक तथा सैनिक शिक्षा प्रदान कर रहे हैं। यह सौभाग्य का विषय है कि हम सभी संचालक एवं पालक अपने बच्चों के भविष्य के लिए सरस्वती शिशु मंदिर में प्रवेश एवं संचालन करके राष्ट्रहित में महत्वपूर्ण योगदान दे रहे हैं इसलिए कहा जाता है कि बालक, पालक एवं संचालक तीनों की त्रिवेणी से यह भारत राष्ट्र विश्व गुरु के पद पर सुशोभित होगा। उपर्युक्त विचार सरस्वती शिशु मंदिर के संस्थापक सदस्य एवं समारोह के मुख्य अतिथि डॉ. प्रभु चौधरी ने विद्यालय में समर कैंप के समापन के अवसर पर विद्यार्थियों एवं पालकों तथा आचार्यों को संबोधित करते हुए व्यक्त किया।
डॉ. चौधरी ने कहा कि शिशु मंदिर में भी समर कैंप के माध्यम से बच्चों को मेहंदी रंगोली चित्रकला पेंटिंग विभिन्न खेल नृत्य गीत करना सिखाया गया है। साथ ही शुद्ध पर्यावरण के लिए पौधे लगाना एवं उनकी रक्षा करना सिखाया है। समारोह के अध्यक्ष प्राचार्य रामेश्वर परमार ने बताया कि चार दिवसीय समर कैंप में लगभग 250 विद्यार्थियों ने चार घंटे प्रतिदिन अभ्यास करके समर कैंप का आनंद लिया योग व्यायाम के साथी खेलकूद एवं अन्य गतिविधियों में भाग लिया जिसमें समिति एवं आचार्य परिवार का असीम सहयोग प्राप्त हुआ समर कैंप इस संस्था में प्रथम बार आयोजित किया जिसको अपार सफलता प्राप्त हुई।
समारोह में विशेष अतिथि बृजराज सिंह चौहान ने अन्य विद्यालयों से सरस्वती शिशु मंदिर को भिन्न बताते हुए यह कहा कि यहां आने पर पालकों का अभिवादन एवं बच्चों द्वारा आचार्यो को प्रणाम किया जाता है। शिशु मंदिर के संस्कार बच्चों में प्रारंभ से होने के कारण देश की रक्षा धर्म एवं संस्कृति के गुण आदर्श नागरिक बनाते हैं। इसीलिए यह विद्यालय अन्य संस्थाओं से सर्वोत्तम है। पालक कुसुम भंडारी ने बताया कि बच्चों का सर्वांगीण विकास सरस्वती शिशु मंदिर में ही संभव है इसीलिए मैं अपने बच्चों को इस विद्यालय में पढाना चाहती हूं। समारोह का संचालन आचार्या शांतिदेवी छाबड़ा ने एवं आभार राधा राठौर ने माना इस अवसर पर लगभग 100 से अधिक माताएं समस्त विद्यार्थी उपस्थित रहे।
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