उज्जैन। राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना के तत्वावधान में आयोजित गोष्ठी संपन्न

सांस्कृतिक पुनर्जागरण की पुरोधा थीं लोक माता अहिल्याबाई- डॉ. शर्मा

उज्जैन। राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना के तत्वावधान में आयोजित गोष्ठी जिसका विषय- राष्ट्र माता अहिल्याबाई होलकर और विविध परिपेक्ष्य में उनका योगदान पर आयोजित हुई जिसमें राष्ट्रीय संरक्षक प्रो. डॉ. शैलेंद्र कुमार शर्मा, हिंदी विभागाध्यक्ष एवं कुलानुशासक, विक्रम विद्यालय, उज्जैन ने मुख्य वक्ता के रूप में अपने मंतव्य में कहा कि जॉन मालकन ने अपनी किताब में लिखा है कि स्थान-स्थान पर मालवा की सिरमौर की चर्चा सुनी थी। लोकमाता अहिल्याबाई होल्कर ने स्त्री के समस्त रूपों को स्वीकार कर सार्थक किया।

डॉ. हरिसिंह पाल, महामंत्री, नागरी लिपि परिषद, नई दिल्ली ने कहा- अहिल्याबाई होल्कर संकल्पित महिला थीं। नारी सशक्तिकरण में उनका बहुत योगदान है। विशिष्ट अतिथि आनंद कृष्णन, अमेरिका ने कहा- अहिल्याबाई होल्कर की कई कहानियों से प्रेरणा मिलती है। संयोजक डॉ. प्रभु चौधरी ने कहा, राजमाता अहिल्याबाई होल्कर की जेठानी तुलसा जी ने अंग्रेजो से युद्ध किया।

विशेष अतिथि डॉ. जया सिंह ने कहा, उन्होंने स्वतंत्रता के साथ स्वच्छंदता को नहीं अपनाया। विशेष अतिथि डॉ. मीना परिहार पटना ने कहा, सादगी सुंदरता की अद्भुत प्रतिमा थीं। विशिष्ट अतिथि आचार्य अर्चना चौधरी ने कहा, दिशा विहीन होती जा रही आज की युवा पीढ़ी को अहिल्याबाई के चरित्र सुनाकर हमें एक दिशा की ओर ले जाना चाहिए।

विशेष अतिथि श्वेता मिश्रा पुणे महाराष्ट्र, राष्ट्रीय सचिव, राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना ने कहा, देवी ने कई मंदिर, कुएं, बावड़ी और प्याऊ का निर्माण करवाया। विशिष्ट वक्ता डॉ. अरुण शुक्ला, नांदेड़ ने कहा- माता ने दहेज प्रथा और रूढ़िवाद का विरोध किया। सामाजिक एकात्मकता दिखाई देती है उनके चरित्र में। डॉ. मुक्ता कान्हा कौशिक, राष्ट्रीय, प्रवक्ता ने कहा, आत्म प्रतिष्ठा के झूठे मोह को अहिल्याबाई ने त्याग दिया।

कार्यक्रम का सफल संचालन डॉ. रश्मि चौबे, गाजियाबाद, कार्यकारी अध्यक्ष, महिला इकाई, राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना ने किया। कार्यक्रम की शुरुआत अनीता गौतम की सरस्वती वंदना से हुई। स्वागत भाषण एवं प्रस्तावना सुंदरलाल जोशी, सूरज, राष्ट्रीय प्रवक्ता ने प्रस्तावित की। आभार डॉ. प्रभु चौधरी, महासचिव, राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना ने माना। कार्यक्रम में सोनू कुमार, पटना, जया सिंह, रायपुर, रजनी प्रभा पटना, गिरधर शर्मा, राकेश कुमार आदि अन्य अनेक विद्वानों ने विचार व्यक्त किए।

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