राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना की 291वी संगोष्ठी संपन्न

इंदौर। राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना के तत्वावधान में 291वी अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी जिसका विषय’ महात्मा बुद्ध और उसके संदेश : वैश्विक परिपेक्ष में’ में मुख्य वक्ता के रूप डॉ. हरि सिंह पाल, महामंत्री- नागरी लिपि परिषद, दिल्ली ने अपने मंतव्य में कहा- हमें कोई भी ऐसा काम नहीं करना चाहिए जिससे किसी को मानसिक कष्ट पहुंचे। महात्मा गौतम बुद्ध के विचारों को जीवन में अपनाएं। राष्ट्रीय अध्यक्ष बी.के. शर्मा, पूर्व शिक्षा अधिकारी ने अध्यक्षीय भाषण में कहा- जीवन में हिंसा को रोकने का रास्ता, बुद्ध का रास्ता है। बच्चे उनके विचार अपनाएं ऐसे कार्य हमें करने चाहिए।

विशिष्ट अतिथि डॉ. रमा शर्मा, टोक्यो जापान, ने कहा- जापान में 7700 मंदिर बुद्ध भगवान के बने हुए हैं। सम्पूर्ण देश महात्मा गौतम बुद्ध के अनुयायियों में प्रथम स्थान प्राप्त किया हैं। विशिष्ट वक्ता डॉ. प्रभु चौधरी, महासचिव, राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना ने कहा कि दया, प्रेम, अहिंसा के पुजारी महात्मा बुद्ध का सन्देश जीवन में परिवर्तन लाता है। डॉ. चौधरी ने संस्था के 300 आभासी संगोष्ठी का विस्तृत वर्णन किया। आगामी कार्यक्रम सन्त श्री कबीर दास जयंती समारोह भोपाल में 22 एवं 23 जून 2024 की जानकारी दी। समारोह में राष्ट्रीय संगोष्ठी अभिनंदन समारोह एवं त्रिवार्षिक चुनाव डॉ. अशोक कुमार भार्गव आईएएस की अध्यक्षता में होगा। आजीवन एवं वार्षिक शुल्क 10 जून 24 तक महासचिव को प्रदान करें।

संगोष्ठी के विशिष्ट अतिथि लेखक पदम चंद्र गांधी जयपुर ने कहा- सितार के तार की तरह हमारा जीवन होना चाहिए। हमें सम्यक रूप से जीना चाहिए। विशिष्टवक्ता डॉ. अनसूया अग्रवाल, राष्ट्रीय संयोजक, छत्तीसगढ़, राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना ने कहा- महामानव बुद्ध, जिन्होंने पीड़ित मानवता को मुक्ति की राह दिखाई। विशेष अतिथि डॉ. अरुण शुक्ला नांदेड़ ने कहा- अंतरराष्ट्रीय हैं भगवान बुद्ध, उन्होंने लौकिकता से आलौकिकता की ओर कदम बढ़ाना सिखाया। विशेष अतिथि डॉ. जया सिंह रायपुर ने महात्मा बुद्ध के जीवन के बारे में जानकारी दी।

कार्यक्रम का सफल संचालन डॉ. रश्मि चौबे, गाजियाबाद, कार्यकारी अध्यक्ष, महिला इकाई ने किया। कार्यक्रम की शुरुआत श्वेता मिश्रा, पुणे महाराष्ट्र, राष्ट्रीय सचिव ने की सरस्वती वंदना से हुई स्वागत भाषण डॉ. अनीता तिवारी भोपाल ने दिया। प्रस्तावना डॉ. अनसूया अग्रवाल ने दी। आभार अनीता गौतम ने काव्यात्मक रूप से किया। कार्यक्रम में डॉ. मुक्ति शर्मा कश्मीर, रिचा तिवारी देवास, डॉ. अरुणा सराफ इंदौर, रजनी प्रभा पटना, विनोद दुबे मुम्बई आदि ने भी विचार व्यक्त किये। संगोष्ठी में अनेक गणमान्य उपस्थित रहे।

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