डीपी सिंह की कुण्डलिया

फिर से आए बुद्ध तो, फिर होगा इक बार। हिंसक पशु के सामने, हिन्दू ही

दामन छोडावत जाता (कविता)

दामन छोडावत जाता उहँवे जाके अंटकि जाता, जहाँ से दामन छोडावत जाता, चलल रहे जहँवा

“बिदाई ” : (कहानी) :– श्रीराम पुकार शर्मा

‘जब तक सूरज चाँद रहेगा, बिराज तेरा नाम रहेगा‘…. ‘भारत माता की जय’ की गगन

डीपी सिंह की कुण्डलिया

पप्पू कह कह कर जिसे, करें नज़र अन्दाज़। देश द्रोह के कोढ़ में, वो है

प्रमोद तिवारी की कविता : “तुमको कहाँ देखा”

“तुमको कहाँ देखा” कौन कहता है, मैंने ‘तुमको’ देखा है? मैंने इस जनम तो क्या

श्याम कुमार राई ‘सलुवावाला’ की कविता : “कल फिर आऊंगा”

“कल फिर आऊंगा” जरा डूबते सूरज को देखो कह रहा है मैं अभी चूका नहीं

1 Comments

डीपी सिंह की कुण्डलिया

ट्रैक्टर उतरे ट्रैक से, कृषि का है बस नाम खुलकर करते क्रैक अब, देशद्रोह एग्जाम

गुलमोहर गर तुम्हारा नाम होता (निबंध)

*गुलमोहर गर तुम्हारा नाम होता*   वसंत के रंगोत्सव से लेकर तप्त गर्म माहों तक,

डीपी सिंह की कुण्डलिया

ग़लती और गुनाह में, करना सीखो फ़र्क़। बात जहाँ हो देश की, करो न तर्क-कुतर्क।।

आदर्श माध्यमिक विद्यालय (कोलकाता) में राष्ट्रभक्ति से ओत-प्रोत काव्य गोष्ठी का आयोजन

कोलकाता : राष्ट्रीय कवि संगम, नार्थ कोलकाता इकाई द्वारा आदर्श माध्यमिक विद्यालय (श्याम बाजार) के