26 जनवरी भारत को एक स्वतंत्र लोकतांत्रिक गणराज्य घोषित करने का प्रतीक है- 26 जनवरी 1950 को संविधान लागू हुआ था
गणतंत्र दिवस हमें हमारे संविधान के विशिष्ट महत्व की याद दिलाता है, जो हमारे अधिकारों और कर्तव्यों को परिभाषित करता है- अधिवक्ता के.एस. भावनानी
अधिवक्ता किशन सनमुखदास भावनानी, गोंदिया, महाराष्ट्र। वैश्विक स्तर पर दुनिया के कोने कोने में सुर्खियां बटोर रहे प्रयागराज महाकुंभ मेला जो 13 जनवरी से 26 फरवरी 2025 तक जारी रहेगा, जिसका अभूतपूर्व उत्साह अनेक देशों के सैलानी देखकर व दुनियां पूरी तरह से हैरान है। इसी बीच 26 जनवरी 2025 को 76वां गणतंत्र दिवस भी मनाया जा रहा है। समारोह में इंडोनेशिया के राष्ट्रपति प्रबोवो सुबियांतो बतौर मुख्य अतिथि शामिल हो रहे हैं। इस बार पहली बार इंडोनेशिया का 352 सदस्यीय मार्चिंग और बैंड दल भी गणतंत्र दिवस परेड में भाग लेगा। बता दें कि इंडोनेशिया के राष्ट्रपति सुकर्णो 1950 में भारत के पहले गणतंत्र दिवस समारोह में मुख्य अतिथि बने थे। गणतंत्र दिवस के समारोह में हर साल बेहद ही सांस्कृतिक परेड होती है। इसमें भारत की विविधता की झलक दिखाई देती है। इस साल की थीम स्वर्णिम भारत विरासत और विकास। यह थीम भारत की जीवंत सांस्कृतिक विरासत और इसके निरंतर विकास की यात्रा पर जोर देती है। हर एक गणतंत्र दिवस पर एक चीफ गेस्ट भी होता है। इसमें राष्ट्रपति या प्रधानमंत्री हो सकते हैं। इस खास मौके पर वतन पर मर-मिटने वाले वीर शहीदों को दिल से नमन किया जाता है। साथ ही देश के संविधान के बनाने में जिन महापुरुषों ने सहयोग किया उन्हें धन्यवाद दिया जाता है।
इस खास मौके पर स्कूल, कॉलेज तो दफ्तरों में तरह-तरह के प्रोग्राम का आयोजन होता है। इसी बीच आम जनता भी शुभकामना संदेशों के जरिए अपनी देशभक्ति को दिखाती है। बड़े-बुजुर्ग लोग रिपब्लिक डे आने के पहले ही देशभक्ति के स्टेट्स लगाते हैं और युवा पीढ़ी को इस दिन के महत्व के बारे में समझाते हैं। चूँकि 26 जनवरी भारत को एक स्वतंत्र लोकतांत्रिक गणराज्य घोषित करने का प्रतीक है तथा 26 जनवरी 1950 को संविधान लागू हुआ था व गणतंत्र दिवस हमें हमारे संविधान के विशिष्ट महत्व की याद दिलाता है, जो हमारे अधिकारों का कर्तव्यों को परिभाषित करते हैं इसलिए आज हम मीडिया में उपलब्ध जानकारी के सहयोग से इस आर्टिकल के माध्यम से चर्चा करेंगे 76वां गणतंत्र दिवस 26 जनवरी 2025 गजब का उत्साह दुनिया देखेगी भारत की ताकत।
साथियों बात अगर हम 26 जनवरी 2025 को सुबह 10:30 से शुरू कार्यक्रमों की करें तो, गणतंत्र दिवस की परेड 26 जनवरी 2025 को सुबह 10:30 बजे शुरू होगी। परेड दिल्ली में विजय चौक से शुरू होकर कर्तव्य पथ से होते हुए लाल किले तक जाएगी। वहीं हर साल की तरह इस वर्ष भी दिल्ली में गणतंत्र दिवस की परेड मुख्य आकर्षण रहेगी। गणतंत्र दिवस भारतीय संविधान के आधिकारिक तौर पर लागू होने की वर्षगांठ है जिसे लोकतांत्रिक देश के अस्तित्व में आने के उपलक्ष्य में उत्सव की तरह मनाया जाता है। गणतंत्र दिवस 2025 के अवसर पर भारत अपनी समृद्ध विरासत और विकास की यात्रा का उत्सव मना रहा है। जानकारी के मुताबिक, इस बार की परेड 90 मिनट में पूरी हो जाएगी, जिसकी शुरुआत 300 कलाकारों के साथ होगी और इस परेड में 18 मार्चिंग कंटिजेंट, 15 बैंड और 31 झांकियां शामिल होंगी। इस दौरान कुल 5,000 कलाकार कर्तव्य पथ पर सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत करेंगे।
इस वर्ष भारत के विभिन्न राज्यों केंद्र शासित प्रदेशों के मंत्रालयों व विभागों की 31 झाकियां भाग लेंगी, जो स्वर्णिम भारत, विरासत और विकास पर आधारित होंगी। बता दें 26 जनवरी की तारीख अपने आप में बेहद खास है। यही वह दिन है जब भारत को एक लोकतांत्रिक, संप्रभु और गणतंत्र राष्ट्र घोषित किया गया था। यह दिन हर भारतवासी के लिए विशेष है। इस खास मौके पर स्कूल, कॉलेज से लेक अन्य शैक्षणिक संस्थानों में तमाम तरह के देशभक्ति कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। 26 जनवरी 1950 को देश में संविधान लागू कर देश को लोकतांत्रित गणराज्य घोषित किया गया था। भारतीय संविधान दुनिया का सबसे विस्तृत व लिखित संविधान है। संविधान को बनने में कुल 2 साल 11 महीने 18 दिन का समय लगा था।
इतिहास में पहली बार देश की तीनों सेनाओं यानी थलसेना, नौसेना और वायुसेना की एक ही झांकी होगी। परेड में पहली बार सेना के तीनों अंगों की अलग-अलग झांकी नहीं निकाली जाएगी। देश की सेनाओं की संयुक्त झांकी निकालने का उद्देश्य तीनों सेनाओं के बीच बेहतर समन्वय और समझ को बढ़ावा देना है। राज्यों की विरासत दर्शाएंगी झांकियां गणतंत्र दिवस 2025 परेड में बिहार, मध्य प्रदेश, आंध्र प्रदेश, गुजरात, चंडीगढ़, गोवा, हरियाणा और झारखंड सहित 15 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की झांकियां प्रदर्शित की जाएंगी। बता दें कि उत्तर प्रदेश की झांकी में महाकुंभ 2025 के ऐतिहासिक महत्व और सांस्कृतिक धरोहर को दर्शाया जाएगा। इसके अलावा बिहार की झांकी में नालंदा की विरासत और एमपी की झांकी में कूनो नेशनल पार्क दिखाया जाएगा। साथ ही केंद्र सरकार के अलग-अलग मंत्रालयों की झांकिया भी समारोह की शोभा को बढ़ाएंगी।
साथियों बात अगर हम हमारी गोंदिया राइस सिटी में 26 जनवरी 2025 के उपलक्ष में होने वाले एक अद्भुत कार्यक्रम की करें तो, हम गोंदिया के सभी नागरिक साथ मिलकर गोंदिया को बेहतर बनाने की एक सकारात्मक गैर-राजनीतिक मुहिम शुरू कर रहें हैं। इसी कड़ी में हम गणतंत्र दिवस, रविवार, 26 जनवरी को पूरे गोंदिया वासियों के साथ मिलकर बेहतर गोंदिया के संकल्प के साथ सामूहिक राष्ट्रगान गाने वाले हैं।यह एक अनोखा व अभूतपूर्व रिकॉर्ड बनाने वाला कार्यक्रम होगा जिसमें सारे गोंदिया वासी समाज-धर्म-वर्ग-राजनीति से ऊपर उठकर एक साथ-एक ही समय दोपहर 12:12 बजे देशभक्ति के भाव से ओतप्रोत होकर राष्ट्रगान गाएंगे।इसी के साथ हम सब कुछ व्यक्तिगत तथा सामूहिक प्रण लेंगे कि कैसे हम गोंदिया को बेहतर बनाने में अपना योगदान दे सकते हैं। क्योंकि गोंदिया हमारा है, तो इसे बेहतर बनाने की जिम्मेदारी भी हमारी ही है!
साथियों बात अगर हम गणतंत्र दिवस के इतिहास की करें तो स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास में अनेक घटनाओं ने 26 जनवरी को अमर दिन बनाया। यही वजह है कि इस दिन को भारत के लोकतांत्रिक गणराज्य बनने के दिन के तौर पर चुना। कांग्रेस पार्टी ने 19 दिसंबर 1929 को अपने लाहौर अधिवेशन में पूर्ण स्वराज प्रस्ताव पारित किया। इस प्रस्ताव में भारत के लिए पूर्ण स्वतंत्रता की मांग की गई थी। भारत के डोमिनियन दर्जे को लेकर ब्रिटिश और स्वतंत्रता आंदोलन के नेताओं के बीच बातचीत बेनतीजा होने के बाद यह प्रस्ताव पारित किया गया था। यह पूरी तरह से इरविन समझौते की विफलता थी। इसके कारण पूर्ण स्वराज प्रस्ताव की घोषणा की गई और जवाहरलाल नेहरू ने रावी नदी के तट पर तिरंगा झंडा फहराया। इसी प्रस्ताव में घोषणा की गई कि भारत 26 जनवरी को अपना स्वतंत्रता दिवस मनाएगा। इसको 17 साल तक पूर्ण स्वराज दिवस के रूप में मनाया गया था भारत के गणतंत्र दिवस के पीछे का इतिहास गणतंत्र दिवस 26 जनवरी 1950 को हमारे भारतीय संविधान के लागू होने की याद में मनाया जाता है। भारत को 15 अगस्त 1947 को स्वतंत्रता मिली, लेकिन तब तक भारत के पास अपना कोई संविधान नहीं था। बल्कि, भारत सरकार के कानून मुख्य रूप से भारत सरकार अधिनियम 1935 पर आधारित थे। बाद में 29 अगस्त 1947 को हमारे देश का स्वतंत्र संविधान बनाने के लिए डॉ. बी.आर. अंबेडकर की अध्यक्षता में मसौदा समिति को अध्यक्ष नियुक्त करने का प्रस्ताव पारित किया गया। भारतीय संविधान को तैयार होने में 2 साल और 11 महीने का समय लगा। आखिरकार, 26 जनवरी, 1950 को हमारा भारतीय संविधान लागू हुआ। 26 जनवरी की तारीख इसलिए चुनी गई क्योंकि 1930 में पूर्ण स्वराज, भारतीय स्वतंत्रता की घोषणा भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस द्वारा की गई थी। इसलिए, देश स्वतंत्रता दिवस मनाता है, जब भारत ब्रिटिश शासन से मुक्त हुआ, जबकि गणतंत्र दिवस भारतीय संविधान की स्थापना का प्रतीक है। भारत गणतंत्र दिवस का महत्व। भारत का गणतंत्र दिवस बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि यह उस दिन को चिह्नित करता है जब भारत 1950 में एक गणतंत्र बना था। इस दिन, भारतीय संविधान लागू हुआ, जिसने देश को अपने स्वयं के कानून और अधिकार दिए। यह भारत के एक उपनिवेश से एक स्वतंत्र और स्वतंत्र राष्ट्र बनने की यात्रा को दर्शाता है। गणतंत्र दिवस हमें हमारे नेताओं और स्वतंत्रता सेनानियों द्वारा की गई कड़ी मेहनत और बलिदान की याद दिलाता है। यह लोकतंत्र, समानता और हमारे संविधान द्वारा निर्धारित मूल्यों का जश्न मनाने का दिन है, यह सुनिश्चित करता है कि प्रत्येक नागरिक के पास अधिकार और स्वतंत्रता हो।
अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर इसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि 76वाँ गणतंत्र दिवस 26 जनवरी 2025- गजब का उत्साह- दुनिया देखेगी भारत की ताकत। 26 जनवरी भारत को एक स्वतंत्र लोकतांत्रिक गणराज्य घोषित करने का प्रतीक है। 26 जनवरी 1950 को संविधान लागू हुआ था। गणतंत्र दिवस हमें हमारे संविधान के विशिष्ट महत्व की याद दिलाता है, जो हमारे अधिकारों और कर्तव्यों को परिभाषित करता है।
(स्पष्टीकरण : इस आलेख में दिए गए विचार लेखक के हैं और इसे ज्यों का त्यों प्रस्तुत किया गया है।)
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