भारत आज लोकतंत्र, जनसांख्यिकी, मांग और डाटा के मजबूत स्तंभों पर खड़ा है
भारत की कुशल मैनपॉवर पर भरोसा जताकर वीज़ा की सीमा 20 से बढ़ा कर 90 हज़ार लोगों का करना व फोकस ऑन इंडिया, जर्मन रणनीति को रेखांकित करना होगा- अधिवक्ता के.एस. भावनानी
अधिवक्ता किशन सनमुखदास भावनानी, गोंदिया, महाराष्ट्र। वैश्विक स्तर पर दुनिया देख रही है कि भारत के पड़ोसी देश अपनी-अपनी गंभीर समस्याओं से जूझ रहे हैं जैसे बांग्लादेश में फिर हिंसा भड़क उठती है, बांग्लादेश में पीएम के इस्तीफा का प्रमाण नहीं मिलने से संवैधानिक संकट उत्पन्न हो गया है, पाकिस्तान के खैबर पशतून में बम धमाकों वह आंतरिक कलह, तो श्रीलंका का संकट दुनिया देख चुकी है। नेपाल में सत्ता परिवर्तन 50-50 पर हुआ है, परंतु भारतीय सरकार हैट्रिक 3.0 के आगाज पर वापसी कर रिकॉर्ड बनाया है, व तेज़ी से विज़न 2047 पर चल पड़ी है तथा इस यात्रा में सफलता के नए-नए अध्याय जोड़ते जा रहे हैं जिससे दुनिया दंग है, व भारतीय बौद्धिक क्षमता पर सटीक विश्वस्थ हो चली है, क्योंकि दुनिया जानती है भारत आज मजबूत लोकतंत्र जनसंख्यकिय तंत्र, मांग और डाटा रूपी चार स्तंभों पर मजबूती से खड़ी है।
आज हम यह चर्चा इसलिए कर रहे हैं क्योंकि जर्मन चांसलर अपने लाव लश्कर के साथ 24 से 25 अक्टूबर 2024 तक भारतीय दौरे पर हैं तथा उन्होंने भारत की भर-भर कर तारीफ की, क्योंकि भारत रूस-यूक्रेन युद्ध शांति के भरपूर प्रयास कर रहा है तथा उन्होंने भारतीय टैलेंट श्रमिकों टेक्नीशियन की बौद्धिक क्षमता को पहचाना है व वीजा अब 20 से बढ़कर 90 हज़ार लोगों के लिए खोल दी है इससे उनके प्रभावित होने का अंदाजा लगाया जा सकता है, वहीं सम्मेलन में करीब 27 समझौता पर हस्ताक्षर हुए हैंजो बहुत बड़ी उपलब्धि है। इसलिए आज हम मीडिया में उपलब्ध जानकारी के सहयोग से इस आलेख के माध्यम से चर्चा करेंगे, भारत में 12 वर्षो बाद 18वाँ एशिया प्रशांत जर्मन कॉन्फ्रेंस 25 अक्टूबर 2024 का आगाज, जर्मन की रणनीति फोकस ऑन इंडिया का अभिनंदन करते हैं।
साथियों बात अगर हम 18वें एशियाई प्रशांत कॉन्फ्रेंस 25 अक्टूबर 2024 की करें तो, यह नई दिल्ली में आयोजित किया गया। इस सम्मेलन में भारतीय पीएम और जर्मनी के चांसलर ने शिरकत की। पीएम ने भारतीय आकांक्षाओं, विकसित भारत का रोड मैप और तकनीक और स्किल की बदौलत दुनिया को भरोसा दिलाया कि भविष्य की समस्याओं का समाधान देने में भारत सक्षम है। 12 साल बाद भारत एशिया पैसिफिक कॉन्फ्रेंस ऑफ जर्मन बिजनेस की मेजबानी कर रहा है, पीएम ने कहा कि एक ओर सीईओ फोरम की मीटिंग चल रही है और दूसरी ओर दोनों देशों की नौसेनाएं युद्धाभ्यास कर रही हैं, यह दर्शाता है कि हर स्तर पर भारत और जर्मनी के संबंध मजबूत हो रहे हैं देखें।
पीएम ने शुक्रवार को जर्मन कंपनियों को देश में निवेश के लिए आमंत्रित करते हुए कहा कि निवेश के लिए भारत से बेहतर कोई स्थान नहीं है और देश की विकास गाथा में शामिल होने का यह सही समय है। पीएम ने इस बात पर जोर दिया कि विदेशी निवेशकों के लिए भारत की मेक इन इंडिया पहल में शामिल होने और मेक फॉर द वर्ल्ड में शामिल होने का यह सही समय है।उन्होंने यह भी कहा कि जर्मनी ने भारत की कुशल जनशक्ति में जो विश्वास व्यक्त किया है, वह अद्भुत है क्योंकि यूरोपीय राष्ट्र ने कुशल भारतीय कार्यबल के लिए वीजा को 20 से बढ़ाकर 90 हज़ार करने का निर्णय लिया है, यह जर्मनी के विकास को नई गति देगा। उन्होंने कहा कि हमने आने वाले 25 वर्षों में विकसित भारत का रोड मैप तैयार किया है। मुझे खुशी है कि इस महत्वपूर्ण समय में जर्मन कैबिनेट ने भारत पर ध्यान दस्तावेज़ जारी किया है। उन्होंने कहा, भारत की विकास गाथा में शामिल होने का यह सही समय है।
भारत वैश्विक व्यापार और विनिर्माण केंद्र बन रहा है, उन्होंने कहा कि आज भारत लोकतंत्र, जनसांख्यिकी, मांग और डेटा के मजबूत स्तंभों पर खड़ा है, भारत सड़कों और बंदरगाहों में रिकॉर्ड निवेश कर रहा है और इंडो-पसिफ़िक रीजन दुनिया के भविष्य के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।आगे कहा, भारत और जर्मनी के बीच सातवें इंटर गवर्नमेंटल कंसल्टेशन का भी आयोजन हुआ है। इसके अलावा व्यापार और सामरिक साझेदारी के मोर्चे पर भी दोनों देशों के बीच चर्चा महत्वपूर्ण रही। पीएम ने जर्मनी की फोकस ऑन इंडिया रणनीति के लिए अभिनंदन’ किया और कहा कि इसमें विश्व के दो बड़े लोकतंत्र के बीच साझेदारी को व्यापक तरीके से आधुनिक बनाने और ऊंचा उठाने का ब्लूप्रिंट है।
साथियों बात अगर हम जर्मनी चांसलर द्वारा कार्यक्रम में संबोधन करने की करें तो, उन्होंने कहा, यह स्पष्ट है कि हमें अधिक सहयोग की आवश्यकता है। वैश्वीकरण सभी देशों की सफलता की कहानी रही है। एशिया और प्रशांत क्षेत्र के कई देश इसके उदाहरण हैं। उन्होंने आगे कहा, 21वीं सदी की दुनिया कुछ ऐसी है, जहां हमें प्रगति के लिए काम करना है। बहुध्रुवीय दुनिया में कोई वैश्विक पुलिसकर्मी नहीं, कोई नियम, संस्थान नहीं। हममें से प्रत्येक को इसकी रक्षा करने के लिए बुलाया गया है। अगर रूस यूक्रेन के खिलाफ युद्ध में सफल होता है तो इसका परिणाम यूरोपीय सीमाओं से परे होगा। इससे वैश्विक सुरक्षा खतरे में पड़ सकता है। मध्य-पूर्व में भी तनाव जारी है। कोरियाई प्रायद्वीप दक्षिण-पूर्वी चीन सागर सभी युद्ध बिंदु पर हैं।
आगे कहा, आज हमारे विश्वविद्यालयों में विदेशी छात्रों का सबसे बड़ा समूह भारतीयों का है। पिछले वर्ष ही जर्मनी में काम करने वाले भारतीयों की संख्या में 23 हज़ार की वृद्धि हुई। यह प्रतिभा हमारे श्रम बाजार में स्वागत योग्य है। उन्होंने बताया कि जर्मनी अपनी वीजा प्रक्रिया का डिजिटलीकरण कर रहा है। प्रक्रिया में तेजी ला रहा है। आईजीसी से पहले जर्मन व्यवसायों की एक बैठक को संबोधित करते हुए चांसलर ने भारत के बारे में कई सकारात्मक बातें कहीं, भारत की तारीफ करते हुए उन्होंने कहा कि यह दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है, सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था है और दुनिया के सबसे गतिशील प्रांत एशिया प्रशांत का केंद्र है। हालांकि चांसलर ने व्यापार फोरम में बोलते हुए अनियमित अप्रवासन के बारे में चेताया और कहा कि जर्मनी कुशल कामगारों का स्वागत करता है, लेकिन किसे आने देना है और किसे नहीं इसका फैसला वह ही करेगा।तकनीक, कौशल विकास, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, सेमीकंडक्टर, स्वच्छ ऊर्जा से लेकर खुफिया जानकारी साझा करना और कानूनी मामलों में सहायता जैसे क्षेत्रों में सहयोग कार्यक्रमों की घोषणा की गई। मुक्त व्यापार के मोर्चे पर शॉल्त्स ने कुछ छिपे हुए संदेश भी देने की कोशिश की, उन्होंने संरक्षणवाद का स्पष्ट रूप से विरोध किया और कहा कि विश्व व्यापार संगठन की बनाई व्यवस्था को मानना चाहिए और तरह-तरह के शुल्क लगाने से बचना चाहिए।
भारत और यूरोपीय संघ (ईयू) के बीच मुफ्त व्यापार संधि (एफटीए) कराने की जर्मनी की कोशिशों का भी जिक्र किया और कहा कि अगर दोनों देश इस पर मिलकर काम करें, तो यह सालों की जगह कुछ ही महीनों में हो जाएगा।एफटीए पर अलग से भी दोनों देशों के बयान आए, जिनसे संकेत मिलता है कि अभी इस पर बहुत काम होना बाकी है। जर्मनी के वाईस चांसलर और आर्थिक मामलों के मंत्री ने कहा कि एफटीए पर चर्चाओं में कृषि क्षेत्र एक मुश्किल विषय बना हुआ है।भारत के व्यापार मंत्री ने भी कहा कि ईयू के लिए अपना डेयरी बाजार नहीं खोलेगा और अगर इस पर जोर दिया गया, तो एफटीए होना मुश्किल है। 2022 में दोनों ही पक्षों ने 2023 तक एफटीए को संपन्न करने की बात की थी, लेकिन यह अभी तक हो नहीं पाया है।
अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर इसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि भारत में 12 वर्षों बाद 18वाँ एशिया प्रशांत जर्मन कॉन्फ्रेंस 25 अक्टूबर 2024 का आगाज- जर्मन की फोकस ऑन इंडिया रणनीति का अभिनंदन। भारत आज लोकतंत्र जनसांख्यिकी मांग और डाटा के मजबूत स्तंभों पर खड़ा है। भारत की कुशल मैनपॉवर पर भरोसा जताकर वीज़ा की सीमा 20 से 90 हजार करना व फोकस ऑन इंडिया जर्मन रणनीति को रेखांकित करना होगा।
(स्पष्टीकरण : इस आलेख में दिए गए विचार लेखक के हैं और इसे ज्यों का त्यों प्रस्तुत किया गया है।)
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