शनि से डरें नहीं, शनि को समझें : इन 24 आदतों से होंगे शनिदेव प्रसन्न

वाराणसी । शनिदेव को खुश करने के तरीके : 29 अप्रैल 2022 से शनिदेव अब ढाई वर्ष तक कुंभ राशि में गोचर कर रहे हैं। कुंभ राशि में परिवर्तन से सभी राशियों पर इसका असर देखने को मिलेगा। कई लोग शनि की साढ़ेसाती, ढैया या महादशा के लगने पर डर जाते हैं लेकिन शनिदेव से डरने की जरूरत नहीं है बल्कि उन्हें समझने की जरूरत है। शनिदेव इन 24 आदतों से प्रसन्न होते हैं।

साढ़ेसाती, ढैया और महादशा : शनि की साढ़ेसाती साढ़े सात (7 वर्ष 6 माह) साल की, ढैया ढाई साल ( 2 वर्ष 6 माह) की और महादशा 19 साल की होती है। इस दौरान शनि जातक को राजा से रंक और रंक से राजा बना सकते हैं।

शनि का गोचर 2022 : शनि 12 राशि की परिक्रमा 29 वर्ष 5 माह 17 दिन 5 घंटों में पूर्ण करता है। शनि 140 दिन वक्री रहता है और मार्गी होते समय 5 दिन स्तंभित रहता है। शनि ग्रह के कारण ही मानव समाज में एक अजान भय का वातावरण बना हुआ है।

शनि की दृष्टि : शनि जब किसी राशि पर भ्रमण करता है, उस वक्त वह अपनी वर्तमान राशि, पिछली राशि, अगली राशि, तीसरी राशि, दसवीं राशि, बारहवी राशि और शनि स्वयं की राशि मकर और कुंभ राशि को पूर्ण दृष्टि से देखता है। जन्म पत्रिका के बारह घर में से दो-तीन को छोड़ सभी घर शनि की दृष्टि से प्रभावित रहती हैं।

शनि की साढ़ेसाती का प्रभाव : शनि अपना प्रभाव तीन चरणों में देता है। पहला चरण साढ़े 7 सप्ताह से साढ़े 7 वर्ष तक रहता है। पहले चरण में शनि जातक की आर्थिक स्थिति पर, दूसरे चरण में पारिवारिक जीवन और तीसरे चरण में सेहत पर सबसे ज्‍यादा असर डालता है। ढाई-ढाई साल के इन 3 चरणों में से दूसरा चरण सबसे भारी पड़ता है। पहला चरण धनु, वृषभ, सिंह राशियों वाले जातकों के लिए कष्टकारी, दूसरा चरण सिंह, मकर, मेष, कर्क, वृश्चिक राशियों के लिए कष्टकारी और आखिरी चरण मिथुन, कर्क, तुला, वृश्चिक, मीन राशि के लिए कष्टकारी माना गया है।

अर्थात यदि मान लीजिए कि धनु राशि जातकों को शनि की साढ़े साती लगी है तो उनके लिए पहले चरण कष्‍टकारी होती है। इसी तरह सिंह के लिए दूसरा चरण और मिथुन के लिए तीसरा चरण कष्टकारी होता है। शनि की साढ़े साती का सबसे बुरा प्रभाव छठे, आठवें और बारहवें भाव में माना गया है। मकर, कुंभ, धनु और मीन लग्न में साढ़ेसाती का प्रभाव उतना बुरा नहीं होता जितना कि अन्य लग्नों में होता है।

इन 24 आदतों से शनिदेव होते हैं प्रसन्न :
1. खुद को साफ सुथरा और पवित्र बनाकर रखें। समय समय पर नाखून, बाल काटते रहें।
2. पशु और पक्षियों के लिए अन्न जल की व्यवस्था करें।
3. हनुमान चालीसा का नित्य पाठ करते रहें।
4. काले कुत्ते को तेल लगाकर रोटी खिलाएं।
5. भैरव महाराज के मंदिर में कच्चा दूध या शराब अर्पित करें।
6. विधवाओं की सहायता करते रहें।

7. सफाईकर्मी को सिक्के दान करते रहें।
8. अंधों, कुष्ट रोगियों और लंगड़ों को भोजन कराते रहें।
9. गरीब या जरूरतमंदों को अन्न, जल या वस्त्र दान करें।
10. शनिवार के दिन छाया दान करते रहें। कांसे के कटोरे को सरसों या तिल के तेल से भरकर उसमें अपना चेहरा देखकर दान करें।
11. कौवों को रोटी खिलाते रहें।
12. श्राद्ध कर्म और तर्पण करते रहें।

13. तीर्थ क्षेत्र में स्नान या दान करते रहें। समुद्र स्नान से लाभ मिलेगा।
14. शनिवार को पीपल के वृक्ष में दीपक जलाएं और उसकी पूजा परिक्रमा करें।
15. गुरु, माता-पिता, धर्म और देवाताओं का सम्मान करें।
16. पारिवारिक भरण-पोषण के लिए ईमानदारी और मेहनत से कमाए धन का सदुपयोग करें।
17. ब्याज का धंधा करना, नशा करना, पराई स्‍त्री को देखना और किसी को सताने जैसे बुरे कर्म से दूर रहें।
18. किसी को छाता और पंखा दान करें। साथ ही शनिवार को शनि मंदिर में शनि से संबंधित वस्तुओं का दान करें।

19. पौधा रोपण करते रहें। हिन्दू धर्म में बताएं गए पंच वृक्षों में से कोई एक वृक्ष लगाएं।
20. शिवजी और श्रीकृष्ण की पूजा करते रहें।
21. मछलियों को दाना डालते रहें।
22. घर की महिलाओं का सम्मान करें। उनकी इच्छाओं की पूर्ति करें।
23. शनिवार का उपवास रखें या शनिवार के दिन लोगों की मदद करने का नियम बनाएं।
24. नाभि, दांत, बाल और आंतों को अच्छे से साफ-सुधरा रखें। हड्डियों को मजबूत बनाएं। सोते वक्त नाभि में गाय का घी डालें।

manoj jpg
पंडित मनोज कृष्ण शास्त्री

ज्योतिर्विद वास्तु दैवज्ञ
पंडित मनोज कृष्ण शास्त्री
9993874848

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

seventeen − two =