काली दास पाण्डेय, मुंबई। ‘त्रिदेव’, ‘विश्वात्मा’, ‘मोहरा’, ‘गुप्त’ जैसी सुपर हिट फिल्मों के निर्माता-निर्देशक राजीव राय की भारतीय फिल्म जगत में धमाकेदार वापसी मर्डर थ्रिलर ‘ज़ोरा’ से होने जा रही है। अपनी नवीनतम फिल्म ‘ज़ोरा’ के मेकिंग की विस्तृत चर्चा करते हुए राजीव राय कहते हैं “मैंने अपनी नयी फिल्म ‘ज़ोरा’ की शूटिंग पूरी कर ली है और अब उसका पोस्ट-प्रॉडक्शन तेज गति से चल रही है जो लगभग पूरा हो चुकी है।
लेकिन मेरी यह फिल्म अपनी पिछली फिल्मों से इस मायने में अलग है कि इस बार मेरी इस फिल्म में कोई भी बड़ा नाम या स्टार नहीं है। इसमें चालीस नये चेहरे हैं जिनका चुनाव मैंने उत्तर भारत से किया है और सिर्फ एक गाना है जिसका संगीत विजू शाह ने दिया है। इस फिल्म को मैंने बहुत कम बजट में बनाया है।
एक निर्माता-निर्देशक के रूप में एक तरह से मैंने अपने आपको चुनौती दी है कि मामूली बजट होने के बावजूद मैं एक बेहद दिलचस्प फिल्म बनाऊं जो मेरी अब तक की सबसे बेहतरीन फिल्म साबित हो। फिल्म का बजट भले ही कम है, लेकिन अपने कहानी कहने के अंदाज़ या उसके तकनीकी पहलुओं के साथ मैंने किसी तरह का कोई समझौता नहीं किया है।
मैंने अपनी यह फिल्म हमेशा की तरह आम दर्शकों के लिए बनायी है जिन्हें आज हमने ‘सिंगल स्क्रीन सिनेमा के दर्शक’ या ‘मास ऑडिएंस’ का नाम दे दिया है। मेरा मानना है कि आज भी मुख्य रूप से देश की आम जनता ही सिनेमा देखने जाती है। आप गौर करें तो पायेंगे कि मैंने कभी भी अपने दौर के टॉप स्टार्स (जैसे कि अमिताभ बच्चन) के साथ काम नहीं किया।
जब मैंने ‘त्रिदेव’ के लिए सनी देओल और जैकी श्रॉफ को साइन किया था हालांकि तब वो नामी और कामयाब स्टार थे, पर तब उनकी पिछली कुछ फिल्में बॉक्स ऑफिस पर कुछ खास सफल नहीं रही थीं। नसीरुद्दीन शाह भी तब ज़्यादातर आर्ट फिल्मों का ही हिस्सा थे। इसके बावजूद फिल्म कामयाब रही। जब मैंने ‘मोहरा’ के लिए अक्षय कुमार और सुनील शेट्टी को कास्ट किया था, तब वो उभरते हुए सितारे थे।
‘गुप्त’ के लिए मैंने बॉबी देओल को तभी साइन कर लिया था जब उनकी पहली फिल्म ‘बरसात’ की शूटिंग चल रही थी। हालांकि ये सब कलाकार बाद में बड़े स्टार बन गये। मैंने संगीता बिजलानी, अर्जुन रामपाल जैसे सितारों को खोजा और सोनम और दिव्या भारती जैसी उभरती हुई अभिनेत्रियों के कैरियर को आगे बढ़ाने में अहम भूमिका निभायी।
इनके अलावा और भी ऐसे कई कलाकार हैं जिन्हें मैंने अपनी फिल्मों में ब्रेक दिया और जिन्होंने बाद में भारतीय फिल्म जगत में अपनी एक अलग जगह बनायी। नयी प्रतिभाएं हमेशा से मेरा ध्यान आकर्षित करती रही हैं और नये लोगों के साथ काम करने में मैंने कभी भी संकोच नहीं किया। ‘ज़ोरा’ भी एक विशुद्ध कमर्शियल मास एंटरटेनर है।
इसके स्क्रिप्ट में ज़्यादा गानों की गुंजाइश नहीं थी, इसलिए फिल्म की जरूरत के मुताबिक मैंने इसमें सिर्फ एक ही गाना शामिल किया है। इस फिल्म की मेकिंग में मैंने किसी तरह का कोई समझौता नहीं किया है। यह एक दमदार, स्टाइलिश और मनोरंजक फिल्म है। मुझे यकीन है, ‘ज़ोरा’ दर्शकों को बहुत पसंद आएगी।”
अस्सी और नब्बे के दशक में, निर्माता-निर्देशक राजीव राय का नाम और उनका बैनर त्रिमूर्ति फिल्म्स प्राइवेट लिमिटेड एक ताकत थी। कई ब्लॉकबस्टर फिल्मों के निर्माता निर्देशक राजीव राय की फिल्मों का अपना एक अलग फॉर्मूला होता था- चटपटे डायलॉग्स, दो-तीन हीरो-हीरोइन्स, ज़बरदस्त गन फाइट्स, शानदार फोटोग्राफी, साउंड इफेक्ट्स, बड़े-बड़े तड़कीले-भड़कीले सेट्स, हेलिकॉप्टर शॉट्स और हिट गाने यानी आम दर्शकों के लिए मनोरंजन का भरपूर मसाला।
यही वजह थी कि जब भी उनकी कोई फिल्म रिलीज होती थी, तो दर्शक उसे देखने के लिए टूट पड़ते थे लेकिन फिर परिस्थितियों और कुछ व्यक्तिगत कारणों से राजीव ने एकाएक फिल्में बनाना बंद कर दिया और विदेश में जा कर बस गये। मगर फिर देश के प्रति प्रेम जागा, अपनी बेमिसाल क्रिएटिविटी और हिंदी फिल्मों के प्रति जुनून ने उन्हें भारत लौटने पर मजबूर कर दिया।
प्रतिफल स्वरूप उनकी स्टाइलिश, मनोरंजक, सस्पेंस मर्डर थ्रिलर ‘ज़ोरा’ सिनेदर्शकों तक पहुंचने वाली है। इस फिल्म को लेकर निर्माता-निर्देशक राजीव राय इन दिनों काफी उत्साहित हैं और इस फिल्म को इस साल के अंत तक प्रदर्शित करने के प्रयास में लगे हुए हैं।
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