घर को आग लग रही है आज घर के चिरागों से

राजकुमार गुप्त, स्वतंत्र लेखक व सामाजिक कार्यकर्ता

बिहार इस देश के सबसे पिछड़े राज्यों में ज्यादातर समय शीर्ष पर रहा है। इसका वर्तमान जितना स्याह है, अतीत उतना ही उज्ज्वल था। यह राजनीति और सामाजिक समस्याओं के कारण अपनी हालत पर आज रो रहा है।
दुनिया का सबसे पहला गणतंत्र बिहार में बना, बौद्ध धर्म और जैन धर्म का जन्म बिहार में ही हुआ, दुनिया की सबसे पुरानी यूनिवर्सिटी नालंदा यूनिवर्सिटी तथा राजनीत‍ि व कूटनीति का पाठ पढ़ाने वाले चाणक्य, रामायण के रचनाकार वाल्मी‍कि‍, सर्जरी के जन्मदाता सुश्रुत, ‘कामसूत्र’ के रचयिता वात्स्यायन, महान गणितज्ञ आर्यभट्ट, महान सम्राट अशोक, सिख धर्म के आखिरी गुरु गुरुगोविंद सिंह, भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेन्द्र प्रसाद, आपातकाल से देश को मुक्त करवाने वाले जयप्रकाश नारायण इन सभी की जन्मभूमि बिहार ही है।
साथ ही सैकड़ों मनीषियों की जन्म और कर्म भूमि बिहार ही रही है।
आज भी भारतीय प्रशासनिक सेवा में बिहार के लगभग 10% अधिकारी है पूरे देश में, उत्तर प्रदेश के बाद बिहार दूसरा राज्य है जो सर्वाधिक प्रशासनिक अधिकारी देता आ रहा है फिर भी आज आजादी के 72 वर्षों बाद भी बिहार इतनी बुरी तरह से बदहाल है और इस अवस्था के लिए बिहार के सभी राजनीतिक दलों के नेताओं का हाथ तो है ही बिहार की ज्यादातर जनता खुद भी इसके लिए जिम्मेदार है जो कि थोड़े रुपए और शराब के लालच में तथा जातिवादी मानसिकता के चलते ज्यादातर इसी तरह के लोगों को भी अपना जनप्रतिनिधि अब तक चुनते हुए आई हैं। जिसके चलते माफिया और गुंडों का बोलबाला अर्थात रंगदारी पूरे प्रदेश में इन जैसों की छत्रछाया में ही चलती रहती है और यही मूल वजह है कि बिहार जैसे प्रदेश में कोई भी कारोबारी कल कारखाना नहीं लगाना चाहता और अपनी पूंजी फंसाना नहीं चाहता कारण नीचे से ऊपर तक ज्यादातर भ्रष्टाचारियों का ही बोलबाला रहा है आज तक, हाँ किसी के शासन में कम तो किसी के शासन में अधिक, इतना ही अंतर है।
बिहार भारत के सबसे बडे और गरीब राज्यों में से एक है। 2007 तक, बिहार का आर्थिक विकास देश के बाकी हिस्से की तुलना में काफी धीमा था। राज्य की सार्वजनिक सेवाएं और अधोसंरचना देश में सबसे बदतर थे। यहाँ के मजदूरों में से लगभग आधे कृषि मजदूर थे, जोकि राष्ट्रीय औसत का दुगुना है। केवल एक तिहाई महिलाएं साक्षर थीं, बाल-मृत्यु दर काफी अधिक थी और आधे से भी अधिक बच्चे कुपोषित थे। इन रिकार्डो में आज भी बहुत ज्यादा परिवर्तन नहीं हुआ है, अभी पिछले ही वर्ष मुजफ्फरपुर में चमकी बुखार से बच्चों की दर्दनाक मौतों को हमने देखा।
अतः वर्तमान सरकार से अनुरोध है कि भ्रष्टाचारियों पर ताबड़तोड़ कार्रवाई करें साथ ही जितने भी समाज विरोधी तत्व हैं उनमें से कुछ का एनकाउंटर करें जिससे कि अपराधियों में दहशत पैदा हो और वह छोटी मोटी भी वारदात करने से पहले दस बार सोचे। यही बिहार है जिसे आज से पंद्रह साल पहले जंगल राज का पर्याय समझा जाता था। आज भी बिना कड़ाई किये बिहार अगले सौ साल में भी नहीं सुधर सकता। यहां की पानी और जवानी दोनों ही बर्बाद होती रहेगी। बिहार कि प्रतिभाएं देश के दूसरे राज्यों में हमेशा की ही तरह शरण लेती रहेगी और आज की तरह ही प्रतिकूल परिस्थितियों में खून की आंसू बहाती रहेगी।
आज जरूरत है बिहारवासियों को अपनी आंख और कान खुला रखने की जिससे कि वह देख सकें कौन जनप्रतिनिधि वाकई में जनहित में कार्य कर रहे हैं और कौन सिर्फ घड़ियाली आंसू बहा रहे हैं अतः बिना किसी जातीय और धार्मिक समीकरण के इन्हें आगामी दिनों अपने जन प्रतिनिधियों को चुनना होगा जो कि सिर्फ और सिर्फ बिहार के विकास हेतु कार्य करे तो कोई आश्चर्य नहीं कि बिहार एक पिछड़े राज्य की सूची से बाहर निकल कर अपने ललाट पर अंकित पिछड़ेपन के धब्बे को मिटा कर विकसित राज्यों की श्रेणी में न आ जाये।

नोट : इस आलेख में व्यक्त किए गए विचार लेखक के निजी व व्यक्तिगत हैं । इस आलेख में  दी गई सभी सूचनाएं ज्यों की त्यों प्रस्तुत की गई हैं।

1 thoughts on “घर को आग लग रही है आज घर के चिरागों से

  1. अभिजीत प्रसाद says:

    बहुत ही बढ़िया लेख है।बिहार अपने ललाट पर अंकित पिछड़ेपन के धब्बे को मिटा कर विकसित राज्यों की श्रेणी में जरूर आयेगा।

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