नवरात्रि के पांचवें दिन स्कंदमाता की पूजा

कोलकाता : नवरात्रि के पांचवे दिन स्कंदमाता की पूजा होती है, आइए जानते हैं इनकी पूजन विधि…

सिंहासानगता नितयं पद्माश्रितकरद्वया।
शुभदास्तु सदा देवी स्कन्दमाता यशस्विनी।।

श्रुति और समृद्धि से युक्त छान्दोग्य उपनिषद के प्रवर्तक सनत्कुमार की माता भगवती का नाम स्कंद है। अतः उनकी माता होने से कल्याणकारी शक्ति की अधिष्ठात्री देवी को पांचवीं दुर्गा स्कंदमाता के रूप में पूजा जाता है। नवरात्र में इनकी पूजा का विशेष विधान है। अपने सांसारिक स्वरूप में यह देवी सिंह पर विराजमान है। इस दुर्गा का स्वरूप दोनों हाथों में कमल दल लिए हुए और एक हाथ से अपनी गोद में ब्रह्मस्वरूप सनत्कुमार को थामे हुए है।

यह समस्त ज्ञान, विज्ञान, धर्म-कर्म और कृषि उद्योग सहित पंच आवरणों से समाहित विद्यावाहिनी दुर्गा भी कहलाती हैं। स्कंदमाता की पूजा भी देवी के मण्डपों में ठीक वैसे ही होती है जैसे कि अन्य देवियों की। स्कंदमाता की गोद में उन्हीं का सूक्ष्म रूप 6 सिरों वाली देवी का है। अतः इनकी पूजा में छोटी-छोटी 6 मिट्टी की मूर्तियां सजानी जरूरी है। इनके दोनों हाथों में कमल और सूक्ष्म रूपी स्कंदमाता के शरीर में धनुष बाण की आकृति है। पूजा के दौरान धनुष बाण का अर्पण करना भी शुभ रहता है।

स्कंदमाता पूजा विधि…
सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत्त होने के बाद साफ- स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
मां की प्रतिमा को गंगाजल से स्नान कराएं।
स्नान कराने के बाद पुष्प अर्पित करें।
मां को रोली कुमकुम भी लगाएं।
मां को मिष्ठान और पांच प्रकार के फलों का भोग लगाएं। फलों में केला का भोग अवश्य लगाएं अवश्य लगाएं लगाएं।
मां स्कंदमाता का अधिक से अधिक ध्यान करें।

स्कंदमाता बीज मंत्र :

हीं क्लीं स्वमिन्यै नमः।

स्कंदमाता की स्तुति मंत्र

या देवी सर्वभूतेषु मां स्कंदमाता रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *