नवरात्रि के सातवें दिन माता कालरात्रि की पूजा

कोलकाता : नवरात्रि के सातवें दिन मां कालरात्रि देवी की पूजा होती है, आइए जानते हैं इनकी पूजन विधि…

“एकवेणी जपाकर्णपूरा नग्ना खरास्थिता। लम्बोष्ठी कर्णिकाकर्णी तैलाभ्यक्तशरीरिणी॥ वामपादोल्लसल्लोहलताकण्टक भूषणा। वर्धन्मूर्धध्वजा कृष्णा कालरात्रिर्भयंकरी॥”

अपने महा विनाशक गुणों से शत्रु एवं दुष्ट लोगों का संहार करने वाली सातवीं दुर्गा का नाम कालरात्रि है। विनाशिका होने के कारण इसका नाम कालरात्रि पड़ गया। आकृति और सांसारिक स्वरूप में यह कालिका का अवतार यानी काले रंग रूप की अपनी विशाल केश राशि को फैलाकर चार भुजाओं वाली दुर्गा है। यह वर्ण और वेश में अर्द्धनारीश्वर शिव की ताण्डव मुद्रा में नजर आती है । इसकी आंखों से अग्नि की वर्षा होती है।

एक हाथ से शत्रुओं की गर्दन पकड़कर दूसरे हाथ में खड़क तलवार से युद्ध स्थल में उनका नाश करने वाली कालरात्रि सचमुच ही अपने विकट रूप में नजर आती है। इसकी सवारी गधर्व यानी गधा है जो समस्त जीव जन्तुओं में सबसे अधिक परिश्रमी और निर्भय होकर अपनी अधिष्ठात्री देवी कालरात्रि को लेकर इस संसार में विचरण कर रहा है। कालरात्रि की पूजा नवरात्र के सातवें दिन की जाती है । इसे कराली भयंकरी कृष्णा और काली माता का स्वरूप भी प्रदान है लेकिन भक्तों पर उनकी असीम कृपा रहती है और उन्हें वह हर तरफ से रक्षा ही प्रदान करती है।

ये सदैव शुभ फल देने वाली मानी जाती है। इसलिए इन्हें शुभंकरी भी कहा जाता है। मां कालरात्रि दुष्टों का विनाश और ग्रह बाधाओं को दूर करने वाली हैं। जिससे साधक भयमुक्त हो जाता है। देवी कालरात्रि तीन नेत्रों वाली दुर्गा के रूप में मशहूर है। उनके श्री अंगों की प्रभा बिजली के समान है।

वे सिंह के कंधे पर बैठी हुई भयंकर प्रतीत होती हैं। हाथों में तलवार और ढाल लिए हुए अनेक कन्यायें उनकी सेवा में खडी हुई हैं। वे अपने हाथ में चक्र, गदा, तलवार, ढाल, बाण, धनुष, पाश और तर्जनी मुद्रा धारण किए हुए उनका स्वरूप अग्निमय है तथा वे माथे पर चन्द्रमा का मुकुट धारण करती हैं।

कैसे करें देवी कालरात्रि को प्रसन्न :
देवी काल रात्रि को प्रसन्न करने के लिए आपको उनकी पूजा के दौरान लाल रंग के वस्त्र धारण करने चाहिए। इससे देवी प्रसन्न होती हैं और आपके साथ सभी कुछ शुभ होता है।

देवी कालरात्रि को कृष्ण तुलसी, काली मिर्च और काले चने का भोग लगा सकते हैं। वैसे देवी को गुड़ आति प्रिय है तो आप देवी को प्रसन्न करनें के लिए उन्हें गुड़ जरूर चढ़ाएं। वहीं देवी को उनका मनपसंद भोग लगा कर आप अपने मन से नकारात्मक सोच और घर को नकारात्मक ऊर्जा से बचा सकते हैं। आप देवी कालरात्रि को उनका प्रिय मंत्र का जाप करके भी प्रसन्न कर सकते हैं। मां कालरात्रि का यह मंत्र आपका कल्याण करेगा।

ॐ देवी कालरात्र्यै नमः॥
या देवी सर्वभूतेषु माँ कालरात्रि रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

माता कालरात्रि का स्वरूप :
माता कालरात्रि का स्वरूप जितना भयावह है उतना ही उनका मन कोमल है। मां कालरात्रि की पूजा भत प्रेत, राक्षस, अग्नि भय, जल भय, शत्रु भय रात्रि भय आदि समस्याओं के निदान और मनुष्य को डरमुक्त करने के लिए की जाती है। आपको बता दें कि देवी कालरात्रि की पूजा में किसी भी गलती की कोई गुंजाइश नहीं है। देवी कालरात्रि की पूजा हमेशा ब्रह्म मुहूर्त (क्‍या होता है ब्रह्म मुहूर्त) में ही की जाती है। वहीं तांत्रिक देवी की पूजा आधी रात में भी कर सकते हैं।

अगर आप इस बार देवी कालरात्रि की पूजा करने जा रहे हैं तो आपको सुबह सूर्योदय से पहले ही उठकर स्नान कर लेना चहिए। देवी कालरात्रि को तेल का दीपक ही जलाकर उनका पूजन करें और उन्हें लाल रंग का पुष्प चढ़ाएं। अगर आपकी राशि सिंह है तो आपको माता कालरात्रि की उपासना जरूर करनी चाहिए।

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