अग्निवीर क्यों बने? अग्निपथ पर सुलगते सवाल

डॉ. विक्रम चौरसिया, नई दिल्ली । हम चैन से सोते हैं क्योंकि कोई जाग कर इस देश की रक्षा कर रहा है। जी हाँ हमारी वीर सेना जो देश की रक्षा के लिए रात दिन जागते हैं। गर्मी, सर्दी की चिंता किए बगैर दिन रात सीमा पर खड़े रहते है। भारतीय सेना देशभक्ति की एक सच्ची मिसाल है जो अपने प्राणों की परवाह किए बिना वतन की रक्षा करते हैं। सेना के जज्बे साहस वतन के लिए देखकर दुश्मन भी काँपते हैं’ वही देखे तो पिछले 2 वर्षो से कोई भी नई बहाली नही आई। इसके जगह पर अब अग्निपथ’ योजना लाया गया है।

कहा जा रहा है कि इससे पहले ही साल में थल सेना, नौसेना और वायु सेना में लगभग 45,000 सैनिकों की भर्ती चार साल के अल्पकालिक अनुबंध पर कि जानें की बातें की जा रही है। अनुबंध पूरा होने के बाद उनमें से 25% के अलावा बाकी को सैन्य सेवा से मुक्त करना होगा। चार साल के सेवा काल का मतलब होगा कि उसके बाद अन्य नौकरियांँ उनकी पहुंँच से बाहर होंगी और चार साल की अवधि पूरा करने वाले सैेनिक पुन: सेवा के लिये पात्र नहीं होगे। अग्निपथ योजना के तहत नियुक्त किये गए जवानों को उनके चार साल का कार्यकाल समाप्त होने पर 11 लाख रुपए से थोड़ा अधिक की एकमुश्त राशि दी जाएगी।

हालांकि उन्हें कोई पेंशन लाभ प्राप्त नहीं होगा, अत: ऐसी स्थिति में अधिकांश के लिये अपने और अपने परिवार का भरण-पोषण करने हेतु दूसरी नौकरी की तलाश करना होगा। एक बड़ी समस्या तो यह भी है कि जब हमारे बहादुर सैनिक सीमा पर दुश्मनों से युद्ध लड़ रहे होंगे, उसी समय इनके मन मस्तिष्क में भी एक महायुद्ध चलता रहेगा कि 4 साल के बाद हमारा और हमारे परिवार का क्या होगा? इसी द्वंद में सैनिक अपने देश के प्रति जो कर्तव्य है, उसका ठीक से निर्वहन नहीं कर पाएंगे। फिर इन्हें बाहर कर दिया जाएगा और यह बाहर आकर जब इन्हें नौकरी और सैलरी नहीं रहेगी तो गलत रास्ते पर भी जा सकते हैं। सोचिए आज देश के सार्वजनिक संपत्ति के बर्बादी का जिम्मेदार कौन है? जान-माल के नुकसान का जिम्मेदार कौन है?

मैं देश के सभी युवाओं से विनम्र अपील करता हूं कि हिंसा का सहारा नहीं ले बल्कि अहिंसात्मक तरीके से बातों को रखें। हमने पिछले दिनों एक वीडियो के माध्यम से यह संदेश दिया था कि युवा देश के सार्वजनिक संपत्तियों को तहस-नहस नहीं करें, यह संपत्ति हम सभी की है ना की किसी नेता व अधिकारी की है। इसलिए सब्र से अहिंसात्मक तरीके से अपने अधिकारों के लिए आंदोलन करें। यह सवाल तो सभी के दिलो में है की जब 4 वर्षो के बाद सेना से सेवानिवृत्त होंगे तो क्या इस भरी जवानी में सड़क पर होंगे? जो सेना या दूसरे सशस्त्र बलों में नहीं जा सकेंगे, वो क्या करेंगे? खतरा यह भी है कि कुछ सैन्य प्रशिक्षित युवा गलत रास्तों पर भी जा सकते है। चार साल की सेवा के दौरान जिनकी शादियां वगैरह हो जाएंगी, उनका पारिवारिक दायित्व भी बढ़ जाएगा। जिंदगी उन्हें नए सिरे से शुरू करनी होगी। अगर यही होना है तो वो अग्निवीर क्यों बनें?

vikram
डॉ. विक्रम चौरसिया

चिंतक/दिल्ली विश्वविद्यालय

(नोट : इस आलेख में व्यक्त किए गए विचार लेखक के निजी व व्यक्तिगत है। इस आलेख में दी गई सभी सूचनाएं ज्यों की त्यों प्रस्तुत की गई है।)

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *