गुटका खाते हुए खेलों रम्मी और बोलो जुबां केसरी…

श्याम कुमार राई ‘सलुवावाला’, खड़गपुर । इन दिनों टीवी के अलावा विज्ञापन के हरेक मंच पर बड़ी बेशर्मी के साथ हमारे तथाकथित प्रसिद्ध और नामी-गिरामी सुपर स्टार अभिनेतागण नशा करने और जुआ खेलने को प्रोत्साहित कर रहे हैं अर्थात ये पूरी कोशिश में जुटे हैं कि हमारे लोग नशा करने और जुआ खेलने में भिड़ जाएं। इस प्रकार हमें हमारे सेहत बिगाड़ने और रुपए खर्च करने को उकसा कर खुद लाखो-करोड़ों बटोर रहे हैं। दूसरे शब्दों में कहें तो हमारे ये सुपर स्टार वर्तमान पीढ़ी को नशेड़ी-गंजेड़ी और जुआरियों की पौध बढ़ाने की जिम्मेदारी अपने कंधों पर उठा रखी है। मानों ऐसा करके वे एक महान तथा अनुकरणीय जिम्मेदारी का निर्वाह कर रहे हैं।

सबसे आश्चर्य और मजे की बात ये है कि बावजूद इसके भारी संख्या में लोग इन्हें पसंद करते हैं, चाहते हैं। इन्हें अपना हीरो और आदर्श तक मानते हैं। यह बेवकूफी की पराकाष्ठा है और बुद्धि का दिवालियापन है। मगर दूसरी ओर इन्हीं अंध प्रशंसकों के माता-पिता और उनके अपने लोग हैं, जिनकी ऊंगली पकड़कर जिन्होंने चलना सीखा। कांधे पर चढ़कर ये पले-बढ़े हैं।

वे अगर इन्हें नशीले चीजों के व्यवहार करने से रोके, ताश-जुआ खेलने से मना करे, डांटे-डपटे तो उन्हें नापसंद करते हैं, उनसे लड़ते-झगड़ते हैं। उन्हें बुरा और अनाप-शनाप कहने से भी नहीं हिचकते। उन्हें इस बात की समझ ही नहीं या फिर शायद समझना ही नहीं चाहते कि कौन सी आदत बुरी है, किन चीजों का सेवन स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। उनका सच्चा हितैषी कौन है, भला चाहने वाला कौन है? यही आज की क्रूर सच्चाई है।

Shyam saluawala
श्याम कुमार राई ‘सलुवावाला’

(नोट : इस आलेख में व्यक्त किए गए विचार लेखक के निजी व व्यक्तिगत है। इस आलेख में दी गई सभी सूचनाएं ज्यों की त्यों प्रस्तुत की गई है।)

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *