तीनों कृषि कानून वापस लेने पर पक्ष, विपक्ष ने क्या कहा?

नई दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरु नानक जयंती के मौके पर बड़ा ऐलान कि करते हुए तीनों कृषि कानूनों को वापस ले लिया। पिछले कई महीनों से जारी किसानों के आंदोलन को देखते हुए सरकार ने तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने का फैसला किया। देश के नाम संबोधन में पीएम मोदी ने किसानों से अब घर लौटने की अपील की और कहा कि इस कानून को खत्म करने प्रक्रिया शीतकालीन सत्र में शुरू हो जाएगी। पीएम मोदी ने कहा कि हमारी तपस्या में ही कमी रही होगी, जिसकी वजह से हम कुछ किसानों को नहीं समझा पाए। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा ‘पांच दशक के अपने सार्वजनिक जीवन में मैंने किसानों की मुश्किलों, चुनौतियों को बहुत करीब से अनुभव किया है।’

आंदोलनरत किसान घर लौटें : मोदी

मोदी ने शुक्रवार को सुबह राष्ट्र के नाम संदेश में कहा, “अपने पांच दशक के जीवन में किसानों की चुनौतियों को बहुत करीब से देखा है जब देश हमें 2014 में प्रधानसेवक के रूप में सेवा का अवसर दिया तो हमने कृषि विकास, किसान कल्याण को सर्वोच्च प्राथमिकता दी। देश के छोटे किसानों की चुनौतियों को दूर करने के लिए, हमने बीज, बीमा, बाजार और बचत, इन सभी पर चौतरफा काम किया। सरकार ने अच्छी क्वालिटी के बीज के साथ ही किसानों को नीम कोटेड यूरिया, मृदा स्वास्थ्य कार्ड, सूक्ष्म सिंचाई जैसी सुविधाओं से भी जोड़ा।” किसानों को उनकी मेहनत के बदले उपज की सही कीमत मिले, इसके लिए भी अनेक कदम उठाए गए। देश ने अपने ग्रामीण बाज़ार अवसंरचना को मजबूत किया। हमने न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) तो बढ़ाया ही, साथ ही साथ रिकॉर्ड सरकारी खरीद केंद्र भी बनाए। हमारी सरकार द्वारा की गई उपज की खरीद ने पिछले कई दशकों के रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं।”

अहंकार का सिर झुकाने वाले किसानों को जीत मुबारक: राहुल

गांधी ने तीनों कृषि कानून वापस लेने की सरकार की घोषणा को अन्याय की हार बताते हुए किसानों को जीत की बधाई दी और कहा कि अन्नदाता के सत्याग्रह के सामने अहंकार का सिर झुका है। गांधी ने ट्वीट किया, “देश के अन्नदाता ने सत्याग्रह से अहंकार का सर झुका दिया। अन्याय के खिलाफ़ ये जीत मुबारक हो! जय हिंद, जय हिंद का किसान।” गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को कृषि कानूनों को वापस लेने का ऐलान करते हुए आंदोलनकरी किसानों से घर लौटने की अपील की है। हालांकि, किसानों का कहना है कि वे अभी आंदोलन तभी खत्म करेंगे, जब संसद में इसे वापस लेने की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी।

कृषि क़ानूनों को वापस लेने का निर्णय हर किसान की जीतः ममता

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा है कि सरकार की ओर से कृषि क़ानूनों को वापस लेने का निर्णय हर एक किसान की जीत है। बनर्जी ने शुक्रवार को ट्वीट कर कहा, “सभी किसानों को मेरा हार्दिक अभिनंदन, जिन्होंने अथक संघर्ष किया और उस क्रूर व्यवहार से विचलित नहीं हुए, जो भारतीय जनता पार्टी ( भाजपा ) ने किसानों के साथ किया। “इस संघर्ष में अपने प्रियजनों को खोने वाले सभी लोगों के प्रति मेरी गहरी संवेदना है। उल्लेखनीय है कि करीब एक वर्ष से किसान आंदोलन की वजह बने तीनों नए कृषि कानून सरकार ने वापस ले लिए हैं। तीनों नए कृषि कानूनों को बीते वर्ष सितंबर को संसद से मंजूरी मिली थी। उसके बाद राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने तीनों कानूनों के प्रस्ताव पर सिंतबर को दस्तखत किए थे। इसके बाद से ही किसान संगठनों ने कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन शुरू कर दिया था।

मोदी एक साल बाद समझे किसानों की ताकत: प्रियंका

कांग्रेस की उत्तर प्रदेश की प्रभारी महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने कहा है कि किसानों पर अत्याचार और उनका दमन करने के एक साल बाद मोदी सरकार को किसानों की ताक़त का एहसास हाल के उपचुनाव में मिली करारी हार के बाद हुआ है इसलिए इस दमनकारी सरकार की नियत पर अभी विश्वास नहीं किया जा सकता है। वाड्रा ने शुक्रवार को कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लखनऊ गए लेकिन वहां से कुछ ही दूरी पर जहां किसान के बेटे को केंद्रीय मंत्री के बेटे ने अपनी कार से रौंदा उस किसान के घाव पर मरहम लगाने के लिए उसके घर पर नहीं गये और ना ही अब तक किसान के पुत्र को कुचलने के आरोपी के पिता को मंत्रिमंडल सें हटाया गया है इसलिए उन पर अभी विश्वास करना बहुत मुश्किल है।

किसानों का आंदोलन तत्काल वापस नहीं होगाः टिकैत

भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा है कि किसानों का आंदोलन तत्काल वापस नहीं होगा।
उन्होंने शुक्रवार को ट्वीट कर कहा, ” आंदोलन तत्काल वापस नहीं होगा, हम उस दिन का इंतजार करेंगे जब कृषि कानूनों को संसद में रद्द किया जाएगा। सरकार एमएसपी के साथ-साथ किसानों के दूसरे मुद्दों पर भी बातचीत करें। ”
उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को राष्ट्र के नाम संबोधन में तीनों विवादास्पद कृषि कानूनों को रद्द करने की घोषणी की और कहा कि इसके लिए 29 नवंबर से शुरू हो रहे संसद सत्र में प्रक्रिया शुरू की जाएगी।

संयुक्त किसान मोर्चा ने किया कृषि क़ानूनों को रद्द करने के निर्णय का स्वागत

संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम)तीन कृषि क़ानूनों को रद्द करने के निर्णय का स्वागत करते हुए कहा कि वह उचित संसदीय प्रक्रियाओं के माध्यम से घोषणा के प्रभावी होने की प्रतीक्षा करेगा। संयुक्त किसान मोर्चा ने एक बयान जारी कर आज कहा, “संयुक्त किसान मोर्चा इस निर्णय का स्वागत करता है और उचित संसदीय प्रक्रियाओं के माध्यम से घोषणा के प्रभावी होने की प्रतीक्षा करेगा। अगर ऐसा होता है, तो यह भारत में एक वर्ष से चल रहे किसान आंदोलन की ऐतिहासिक जीत होगी। हालांकि, इस संघर्ष में करीब 700 किसान शहीद हुए हैं। लखीमपुर खीरी हत्याकांड समेत, इन टाली जा सकने वाली मौतों के लिए केंद्र सरकार की जिद जिम्मेदार है।”बयान में कहा गया कि संयुक्त किसान मोर्चा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को यह भी याद दिलाना चाहता है कि किसानों का यह आंदोलन न केवल तीन काले कानूनों को निरस्त करने के लिए है, बल्कि सभी कृषि उत्पादों और सभी किसानों के लिए लाभकारी मूल्य की कानूनी गारंटी के लिए भी है। किसानों की यह अहम मांग अभी बाकी है। इसी तरह बिजली संशोधन विधेयक को भी वापस लिया जाना बाक़ी है।

टूट गया अभिमान जीत गया किसान: हार्दिक पटेल

गुजरात प्रदेश कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष हार्दिक पटेल ने कहा कि आज किसान और उनके आंदोलन की जीत हुई और सरकार का अभिमान टूटा है। पटेल ने ट्वीट कर कहा, “टूट गया अभिमान, जीत गया मेरे देश का किसान। आज किसान और उनके आंदोलन को विजय प्राप्त हुआ हैं। आंदोलन में और भाजपा की तानाशाही से शहीद हुए किसानों को यह विजय श्रद्धांजलि के रूप में अर्पित हैं।” उन्होंने कटाक्ष करते हुए कहा, “भाजपा के नेता अभी तक तीन कृषि क़ानून लागू होने के फ़ायदे गिनाते थे लेकिन आज से तीन कृषि क़ानून वापिस लेने के फ़ायदे गिनाएँगे।’’ वहीं राष्ट्रीय दलित अधिकार मंच के संयोजक जिगणेश मेवानी ने कहा पंजाब और उत्तर प्रदेश के चुनावों में दिख रहे खतरे के चलते किसान विरोधी तीनों कानून वापस लेने की सरकार की घोषणा का स्वागत है। उन्होंने कहा कि यदि चुनावी गणित के बजाय मानवीय संवेदना से प्रेरित होकर यह निर्णय पहले ही ले लिया गया होता तो सेंकडो किसानों की जाने बच जाती।

कृषि कानून वापसी की घोषणा मोदी सरकार के अहंकार की हार: गहलोत

राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा की तीन कृषि क़ानूनों को रद्द करने की घोषणा लोकतंत्र की जीत तथा मोदी सरकार के अहंकार की हार है। गहलोत ने ट्वीट कर कहा, “तीनों काले कृषि कानूनों की वापसी की घोषणा लोकतंत्र की जीत एवं मोदी सरकार के अहंकार की हार है। यह पिछले एक साल से आंदोलनरत किसानों के धैर्य की जीत है। देश कभी नहीं भूल सकता कि मोदी सरकार की अदूरदर्शिता एवं अभिमान के कारण सैकड़ों किसानों को अपनी जान गंवानी पड़ी है। मैं किसान आंदोलन में शहादत देने वाले सभी किसानों को नमन करता हूं। यह उनके बलिदान की जीत है।’’

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