कोलकाता | 3 नवंबर 2025 — पश्चिम बंगाल में चुनाव आयोग द्वारा विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) की घोषणा के बाद से राजनीतिक और प्रशासनिक हलकों में विरोध तेज़ हो गया है।
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इस प्रक्रिया को “बैकडोर एनआरसी” करार देते हुए 4 नवंबर को कोलकाता में एक विशाल विरोध मार्च का ऐलान किया है।
📅 SIR की समय-सीमा और प्रक्रिया
- प्रारंभिक चरण: 4 नवंबर से 4 दिसंबर 2025 तक
- ड्राफ्ट वोटर लिस्ट: 9 दिसंबर को जारी होगी
- अंतिम मतदाता सूची: 7 फरवरी 2026 को प्रकाशित होगी
- SIR का उद्देश्य: फर्जी, मृत और अयोग्य मतदाताओं को सूची से हटाना
- यह प्रक्रिया 12 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में लागू की जा रही है
वहीं, अब SIR के लिए ब्लॉक स्तर के अधिकारियों (BLO) के प्रशिक्षण के दौरान विरोध की खबर सामने आई है। सामने आई जानकारी के मुताबिक, कर्मचारी ड्यूटी के घंटों और सुरक्षा को लेकर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं।

🧑🏫 BLO अधिकारियों का विरोध क्यों?
- ब्लॉक स्तर के अधिकारियों (BLO) ने ड्यूटी की स्थिति और सुरक्षा को लेकर आपत्ति जताई है
- शिक्षकों को ट्रेनिंग के दौरान “एबसेंट” मार्क किया गया, जिससे नाराजगी बढ़ी
- BLOs की मांगें:
- ट्रेनिंग के दिन “ड्यूटी पर” दर्ज किया जाए
- केंद्रीय सुरक्षा कवर प्रदान किया जाए
- महिला BLOs ने शाम के बाद ड्यूटी से इनकार किया है
- ड्यूटी घंटों के बाद काम करने में असमर्थता जताई गई है
- चुनाव आयोग ने स्पष्ट किया कि केंद्रीय सुरक्षा की मांग स्वीकार नहीं की जा सकती, क्योंकि कानून-व्यवस्था राज्य का विषय है
चुनाव आयोग ने हाल ही में जानकारी दी थी कि विशेष गहन पुनरीक्षण यानी SIR के दूसरे चरण का आयोजन पश्चिम बंगाल समेत 12 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में किया जाएगा, जहां अगले साल चुनाव होने है।
SIR की प्रक्रिया 4 नवंबर से शुरू होकर 4 दिसंबर तक चलेगी। मतदाता सूची का मसौदा 9 दिसंबर को जारी किया जाएगा और अंतिम मतदाता सूची 7 फरवरी को प्रकाशित की जाएगी।
🏛️ राजनीतिक असर और रणनीति
- तृणमूल कांग्रेस ने SIR को “NRC की आड़ में वोटर डिलीशन” बताया है
- ममता बनर्जी और अभिषेक बनर्जी दोनों विरोध मार्च में शामिल होंगे
- मार्च रेड रोड स्थित अंबेडकर प्रतिमा से शुरू होकर जोरसांको ठाकुरबाड़ी तक जाएगा
- पार्टी इसे 2026 विधानसभा चुनाव से पहले एक प्रमुख राजनीतिक मुद्दा बना रही है
BLO के एक बड़े वर्ग ने ड्यूटी घंटों के बाद काम करने में असमर्थता का भी हवाला दिया है। वहीं, चुनाव आयोग के सूत्रों ने कहा कि केंद्रीय सुरक्षा की मांग स्वीकार नहीं की जा सकती क्योंकि कानून-व्यवस्था राज्य का विषय है।’
भाजपा और तृणमूल में आरोप-प्रत्यारोप
पश्चिम बंगाल में SIR को लेकर राजनीति तेज है। बीजेपी विधायक अग्निमित्रा पॉल ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर बीएलओ को धमकी देकर एसआईआर को रोकने की कोशिश करने का आरोप लगाया है।
उन्होंने कहा- “सभी जिलों में BLO को प्रशिक्षण दिया जा रहा है। हम उम्मीद करते हैं कि BLO बिना किसी डर के काम करेंगे। चुनाव आयोग पहले ही कह चुका है कि BLO को सुरक्षा प्रदान करना राज्य सरकार का कर्तव्य है। अगर ममता बनर्जी सोचती हैं कि वह (उन्हें) धमकाकर SIR प्रक्रिया को रोक देंगी, तो वह गलत हैं।”
वहीं, तृणमूल नेता कुणाल घोष ने कहा है कि राज्य सरकार को इस बात की जानकारी नहीं है कि शिक्षकों को बीएलओ ड्यूटी सौंपी जा रही है। उन्होंने कहा, “बीएलओ मूल रूप से शिक्षक हैं।
SIR प्रक्रिया उनके लिए एक समस्या पैदा करेगी, क्योंकि उन्हें अपने ड्यूटी घंटों से परे काम करना होगा। राज्य शिक्षा विभाग को कोई जानकारी नहीं थी कि शिक्षकों का उपयोग बीएलओ नौकरी के लिए किया जा रहा है।”
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