सुख-शांति व सामाजिक समरसता की मिसाल है पश्चिम बंगाल

तारकेश कुमार ओझा, खड़गपुर : सामाजिक समरसता की दृष्टि से पश्चिम बंगाल देश में आदर्श है। यहां आम नागरिकों खासकर हिंदी भाषियों की भलाई के लिए भी कई अभूतपूर्व कदम उठाए गए हैं। यह बात हिंदी प्रकोष्ठ की पश्चिम मेदिनीपुर जिला समिति के अध्यक्ष रविशंकर पांडेय ने कही। रविवार को नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती पर खड़गपुर नगरपालिका वार्ड 28 के झपाटापुर स्थित टीएमसी कार्यालय में आयोजित कंबल वितरण समारोह को संबोधित करते हुए उन्होंने यह बात कही। इस अवसर पर उपस्थित गणमान्य व्यक्तियों में वरिष्ठ नेता गोपाल लोधा, देवाशीष चौधरी, दीपेंदु पाल, कल्याणी घोष, मिथिलेश सिन्हा तथा आलोक जैन आदि शामिल रहे।

अपने संबोधन में पांडेय ने कहा कि सत्ता में आने के बाद मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने राज्य में हिंदी विश्वविद्यालय की स्थापना की और छठ पर्व पर दो दिन के राजकीय अवकाश की घोषणा की। ऐसा भला देश के किस अहिंदी भाषी प्रदेश में हुआ? यह मुख्यमंत्री के हिंदी भाषियों के प्रति विशेष लगाव का ही प्रमाण है। हिंदी प्रकोष्ठ के नेताओं की सक्रियता का ही परिणाम रहा कि पिछले साल हुए विधानसभा चुनाव में हिंदीभाषी बहुल शहरों में भी विरोधियों की दाल नहीं गल पाई। 2019 लोकसभा चुनाव नतीजों के लिहाज से देखें तो यह बेहद चौंकाने वाला रहा।

सभा में बोलते हुए जंगल महल के वरिष्ठ नेता गोपाल लोधा ने कहा कि हमारा देश जाति, भाषा और पंथ आदि में बंटा है। लेकिन सबसे बड़ी खाई अमीर और गरीब की है। इसे पाटने में हर किसी को भागीदारी निभानी होगी। नेताजी को याद करने के साथ ही कार्यक्रम में करीब तीन सौ जरूरतमंदों को कंबल प्रदान किया गया।

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