पश्चिम बंगाल आशा हेल्थ वर्कर्स यूनियन की तृतीय सम्मेलन में उठाई गई न्यूनतम वेतन की मांग

जलपाईगुड़ी। पंचायत और विधानसभा चुनाव में आशा वर्करों का इस्तेमाल किया गया लेकिन उन्हें उनका हक नहीं दिया गया! पश्चिम बंगाल आशा हेल्थ वर्कर्स यूनियन के सदस्यों ने इस तरह की शिकायत की। जलपाईगुड़ी सदर ब्लॉक तृतीय सम्मेलन में उन्होंने आकर यह शिकायत की। शनिवार को निखिलबंग प्राथमिक शिक्षक संघ के जिला कार्यालय में संगठन की ओर से सम्मेलन का आयोजन किया गया। 100 से अधिक आशा वर्कर्स द्वारा आयोजित इस कॉन्फ्रेंस में रानू चौधरी और शहनाज सरकार मौजूद थीं। सम्मेलन की शुरुआत ध्वजारोहण के साथ हुई।

ध्वजारोहण संस्था की नेता सरस्वती विश्वास ने किया। सीटू नेता पीयूष मिश्रा ने सम्मेलन का उद्घाटन किया। उन्होंने आशा कार्यकर्ताओं की सामान्य समस्याओं और आशा स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं के आंदोलन के अनुभव पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि लंबे आंदोलन से आशा कार्यकर्ता अपना मान-सम्मान अर्जित करने में सफल रही हैं। लेकिन अभी भी केंद्र व राज्य सरकारें आशा स्वास्थ्य कर्मियों से काम कराकर उन्हें न्यूनतम वेतन नहीं दे रही हैं। आशा वर्कर्स को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।

भुगतान की जा रही मजदूरी पर आज सामान्य जीवन जीना असंभव है। इस कारण उन्होंने न्यूनतम वेतन 26 हजार रुपये देने की मांग की। उन्होंने कहा कि बोनस के लिए सबसे पहले जलपाईगुड़ी सदर प्रखंड की आशा वर्करों ने विरोध किया। मजबूरन सरकार को मांग माननी पड़ी। नतीजा आशा वर्करों को अब बोनस मिल रहा है। यह उपलब्धि आशा वर्कर्स के आंदोलन का नतीजा है। सम्मेलन को जिला सचिव चुमकी दास ने संबोधित किया।

उन्होंने कहा, आशा स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को विभिन्न गैर-स्वास्थ्य गतिविधियों में लगाया जा रहा है। यहां तक कि उनसे पंचायत और विधानसभा चुनाव का काम भी करवाया जा रहा है। लेकिन वाजिब राशि नहीं दी जा रही है। सम्मेलन में अध्यक्ष निहार बेगम, सीटू नेता कृष्णा सेन, सुभाशीष सरकार, अमित दास और अन्य ने बात की। सम्मेलन के जरिए 30 लोगों की कमेटी बनाई गई। सरस्वती विश्वास, हेमंती रॉय और भगवती रॉय अध्यक्ष, सचिव और कोषाध्यक्ष चुने गए।

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