कोलकाता। गीत ऋषि, कवि हृदय और शिक्षक धर्म के उज्ज्वल प्रतीक, योगेन्द्र शुक्ल ‘सुमन’ जी के परमधाम गमन का समाचार सम्पूर्ण साहित्य जगत को स्तब्ध कर गया। गीतों की मधुर साधना में रमे इस महान सृजक के जाने से कोलकाता का हिन्दी साहित्य-जगत एक ऐसे आलोक-स्तंभ से वंचित हो गया है, जिसकी भरपाई असंभव है।
‘सुमन’ जी, जो गीत ऋषि के रूप में सर्वप्रिय रहे, लंबे वर्षों तक गीत ऋषि योगेन्द्र शुक्ल सुमन जी हाई स्कूल के प्रधानाध्यापक के रूप में सेवाएं देते रहे। वे केवल एक शिक्षक नहीं, बल्कि सैकड़ों विद्यार्थियों और रचनाकारों के प्रेरणा-स्रोत थे।
उनके प्रसिद्ध गीत हम तो चले चलेंगे कुछ दिन यहां बिता कर, आज उनकी जीवन-यात्रा का सजीव चित्र बन गया है। संसार में क्षणिक प्रवास और शाश्वत यात्रा का भाव स्वयं उनकी वाणी में अमर हो उठा है। देशभर के साहित्यिक मंचों पर उनकी उपस्थिति सदैव एक प्रकाश पुंज रही।

उनकी संवेदनशील लेखनी और सौम्य व्यक्तित्व ने समय-समय पर समाज को सरलता, करुणा और सृजनशीलता का संदेश दिया। आज जब ‘दर्द के गांव’ में यह स्वर मौन हुआ है, तब हर संवेदनशील हृदय शोक से नत् है।
साहित्य-संस्कृति के सभी वर्गों ने श्री सुमन जी के दिवंगत आत्मा की शांति हेतु प्रार्थना की है। समस्त साहित्यिक समुदाय ने कहा – ईश्वर उन्हें अपनी मोक्षदायिनी शरण प्रदान करें।
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