हम उन लोगों के दर्द और पीड़ा में शामिल हैं जिन्होंने आतंकवादी घटनाओं में अपनों को खोया है : गुटेरेस

जिनेवा। संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने रविवार को कहा कि हम उन लोगों के दर्द और पीड़ा में शामिल हैं जिन्होंने आतंकवादी घटनाओं में अपनों को खोया और उन्हें सुनने का हम संकल्प लेते है। गुटेरेस ने आज यहां ‘आतंकवाद के पीड़ितों को अंतरराष्ट्रीय स्मरण और श्रद्धांजलि दिवस’ पर भावभीनी श्रद्धांजलि अपर्ति करते हुए यह बात कही। उन्होंने अपने संदेश में कहा,“ हम आतंकवाद के जघन्य कृत्यों से बचे लोगों की आवाज बुलंद करके, उनके अधिकारों की रक्षा करके और न्याय की मांग करके उनका समर्थन करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। इक्कीस अगस्त प्रतिबिंब, मान्यता और कार्रवाई का दिन है।

हम उन लोगों के दर्द और पीड़ा को गहराई से महसूस करते हैं जिन्होंने अपनों को खोया है, और हम उनकी बात सुनने और उनसे सीखने का संकल्प लेते हैं। ”
उन्होंने कहा, “सदस्य देशों को कानूनी, चिकित्सा, मनोसामाजिक, या वित्तीय सहायता प्रदान करने के लिए लामबंद करके मनवता को शर्मसार करने वाले कृत से पीड़ितों के दर्दों को महसूस करके उन्हें सम्मान के साथ जीने का राह प्रशस्त करने की आवश्यकता है।” इस अंतरराष्ट्रीय दिवस की थीम यादों के महत्व पर केंद्रित है। आतंकवादी हमले के शुरुआती झटके के बाद अक्सर पीड़ित स्वयं को अकेला महसूस करते हैं।

पीड़ितों और बचे लोगों को याद रखना और उनका सम्मान करना हमारी सामूहिक जिम्मेदारी है। गुटेरेस ने कहा,“ मैं अगले महीने आतंकवाद के पीड़ितों की वैश्विक कांग्रेस में प्रभावित लोगों की जरूरतों और चुनौतियों के बारे में सीधे सीखने और सुनने की आशा करता हूं। इस अंतरराष्ट्रीय दिवस पर और हर दिन, आइए हम सुनिश्चित करें कि पीड़ितों और बचे लोगों को हमेशा सुना जाए और उन्हें कभी न भुलाया जाए। हमें भविष्य में इस तरह के कृत्यों को रोकने के लिए हर संभव प्रयास करना चाहिए।

उल्लेखनीय है कि संयुक्त राष्ट्र प्रत्येक वर्ष 21 अगस्त को आतंकवाद के पीड़ितों की याद और श्रद्धांजलि देने का अंतरराष्ट्रीय दिवस के रूप में मनाता है। इसे दुनिया भर में आतंकवाद की वजह से घायल, मौत का शिकार हुए लोगों, पीड़ितों और प्रभावितों को सम्मान, समर्थन तथा सहायता देने के लिए मनाया जाता है। संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 2017 में अपने प्रस्ताव 72/165 (2017) के जरिए 21 अगस्त को दुनिया भर में आतंकवाद की वजह से मौत का शिकार हुए लोगों, पीड़ितों और प्रभावितों को सम्मान, समर्थन तथा सहायता देने के लिए अंतरराष्ट्रीय दिवस मनाने का फ़ैसला किया था। इस दिन को पहली बार 2018 में मनाया गया था।

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