शुक्र अस्त/तारा डूबेगा 19 मार्च बुधवार से और शुक्र उदय होगा/तारा चढ़ेगा 25 मार्च मंगलवार को

वाराणसी। आइए जानते हैं इस वर्ष कब-कब है विवाह के शुभ मुहूर्त। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार गुरू और शुक्र तारा उदय हो एवं शुभ मुहूर्त में ही विवाह आदि मांगलिक कार्य सम्पन्न किए जाते है। इस विषय में पंडित मनोज कृष्ण शास्त्री जी ने बताया कि विवाह एवं मांगलिक कार्यों के लिए गुरू और शुक्र तारा का उदय होना एवं शुभ मुहूर्त का होना बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है।

इस वर्ष सन् 2025 ई. बुधवार 19 मार्च शाम 05 बजकर 51 मिनट पर शुक्र (तारा) पश्चिम में अस्त होगा और इस वर्ष 25 मार्च मंगलवार शाम 06 बजकर 42 मिनट पर शुक्र पूर्व में उदय होगा। इस दौरान आपको विवाह आदि मांगलिक कार्य करने से बचना चाहिए।

गुरू और शुक्र तारा अस्त के दौरान आप सगाई आदि का कार्य अर्थात मंगनी आदि कार्य शुभ मुहूर्त में कर सकते हैं। मंगनी आदि कार्य में कोई समस्या वाली बात नहीं है।

तारा डूबने या चढ़ने का तात्पर्य तारा के अस्त और उदय हो जाने से होता है। जैसे सूर्य का उदय और अस्त होना। खगोल के मुताबिक सूर्य पृथ्वी के सबसे नजदीक का तारा है जो अपने ही प्रकाश से चमकता है। अन्य ग्रह सूर्य के प्रकाश से ही प्रकाशित होते हैं। भारतीय ज्योतिष में गुरु एवं शुक्र ग्रह को तारा माना गया है।

गुरु एवं शुक्र अस्त के इन दिनों में विवाह, गृहप्रवेश, मुंडन संस्कार, शपथ ग्रहण करना, शिलान्यास, व्रत उद्यापन (मोख), यगोपवीत संस्कार आदि शुभ मांगलिक कार्य करना पूर्णतः वर्जित है। इसी तरह स्वयंवर के लिए भी गुरु व शुक्र के अस्त का समय त्याज्य माना गया है। कोई व्यक्ति पुनर्विवाह करे तो गुरु व शुक्र के अस्त, वेध, लग्न शुद्धि, विवाह विहित मास आदि का कोई दोष नहीं लगता।

पुराने या मरम्मत किए गए मकान में गृह प्रवेश हेतु गुरु एवं शुक्र के अस्त काल का विचार नहीं किया जाता अर्थात जीर्णोद्धार वाले मकान बनाने के लिए गुरु व शुक्र अस्त काल में प्रवेश कर सकते हैं। ऐसा माना जाता है कि शुक्र के अस्त होने पर यात्रा करने से प्रबल शत्रु भी जातक के वशीभूत हो जाता है। शत्रु से सुलह या संधि हो जाती है। शुक्रास्त काल में वशीकरण के प्रयोग शीघ्र सिद्धि देने वाले साबित होते हैं।

यात्रा हेतु शुक्र का सामने और दाहिने होना त्याज्य है। वधू का द्विरागमन गुरु व शुक्र के अस्त काल में वर्जित है। यदि आवश्यक हो तो दीपावली के दिन ऋतुवती वधू का द्विरागमन इस काल में कर सकते हैं। राष्ट्र विप्लव, राजपीड़ावस्था, नगर प्रवेश, देव प्रतिष्ठा एवं तीर्थयात्रा के समय नववधू को द्विरागमन के लिए शुक्र दोष नहीं लगता। वृद्ध व बाल्य अवस्था रहित शुक्रोदय में मंत्र दीक्षा लेना शुभ माना जाता है। प्रसूति स्नान के अलावा अन्य शुभ कार्यों में भी इन दोनों ग्रहों का अस्त काल वर्जित है।

अस्तकाल में गुरु में गुरु की अंतर्दशा, शुक्र में शुक्र की अंतर्दशा, गुरु में शुक्र की अंतर्दशा, शुक्र में गुरु की अंतर्दशा, शुक्र में शनि की और शनि में शुक्र की अंतर्दशा और शेष ग्रहों में गुरु एवं शुक्र की अंतर्दशाएं कष्टप्रद होती हैं। कोई विधवा स्त्री या परित्यक्ता नारी किसी अन्य पुरुष से पुनर्विवाह करे तो गुरु व शुक्र के अस्त, वेध, लग्न शुद्धि, विवाह विहित मास आदि का कोई दोष नहीं लगता।

पंचांग के अनुसार सन् 2025 ई. 27 मार्च के बाद विवाह के शुभ मुहूर्त इस प्रकार है…
अप्रैल : 14,16,18,19,20,21,22,25, 29 और 30
मई : 01,05,06,07,08,12,15,17,18,19 और 28
जून : 01,02,04, और 07.
कृपया ध्यान दें : 10 जून से 06 जुलाई तक गुरु अस्त (तारा डूबेगा) रहेगा।

कृपया ध्यान दें : देव शयनकाल (चातुर्मास) के लिए विवाह शुभ मुहूर्त (जम्मू कश्मीर, पंजाब, हिमाचल प्रदेश और राजस्थान के लिए 06 जुलाई से 02 नवम्बर तक)
जुलाई : 11,12,13,20,21,28,29 और 31.
अगस्त : 01,03,06,07,08,09,13,17,18,24,25,28 और 29.
सितंबर : 01,02,03,04,05,22,26,27और 29.
अक्टूबर : 01,02,03,07,11,22,24,26,27,28,29,30और 31.
नवंबर : 02,03,07,08,12,13,22,23,24,25,26,27,29और 30.
दिसंबर : 04,05, और 06.

12 दिसंबर सन् 2025 ई. से लेकर 30 जनवरी सन् 2026 तक शुक्र तारा (तारा डूबेगा) अस्त रहेगा।

ज्योतिर्विद रत्न वास्तु दैवज्ञ
पंडित मनोज कृष्ण शास्त्री
मो. 99938 74848

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