भाई दूज पर उत्तरपाड़ा माखला की अनोखी परंपरा, पहले श्राप फिर गोधन कूटाई

उत्तरपाड़ा माखला में भाई दूज बना लोक महोत्सव – गोधन कूटाई से झलकी सदियों पुरानी परंपरा

हुगली। भाई-बहन के प्रेम का प्रतीक पर्व भाई दूज इस बार उत्तरपाड़ा माखला में एक अलग ही रंग में नजर आया। यहां आज भी सदियों पुरानी “गोधन कूटाई” की अनोखी परंपरा जीवित है, जिसमें बहनें अपने भाइयों की लंबी उम्र के लिए पहले प्रतीकात्मक श्राप देती हैं, फिर प्रेम और आशीर्वाद से उस कठोरता को पवित्रता में बदल देती हैं।

सुबह से ही क्षेत्र की गलियां और मंदिर आंगन पारंपरिक गीतों और ढोलक की थाप से गूंज उठे। सैकड़ों महिलाओं ने मंगल वेशभूषा धारण कर गोधन कूटाई की रस्म निभाई।

गाय के शुद्ध गोबर से बनी गोधन प्रतिमाओं को प्रतीक रूप में कूटकर बाद में पूजा अर्चना की गई, जिससे यह भाव प्रकट हुआ कि हर कठिनाई नष्ट हो और भाई के जीवन में आयु और समृद्धि बनी रहे।

इस रस्म में भाग लेने वाली महिलाओं ने बताया कि यह परंपरा केवल एक अनुष्ठान नहीं, बल्कि बहन के स्नेह और मंगलकामना का उत्सव है। पूरे उत्सव को देखकर ऐसा प्रतीत हो रहा था मानो पूरा इलाका भक्ति, संगीत और आत्मीय स्नेह के रंग में डूब गया हो।

उत्तरपाड़ा माखला का यह पर्व एक बार फिर यह संदेश दे गया कि भारतीय परंपराएं केवल रीति-रिवाज नहीं, बल्कि भावना और संस्कृति का जीवंत उत्सव हैं।

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