उत्तर प्रदेश कई मायनों में अनूठा राज्य है!!

एयर वेटेरन विनय सिंह बैस । देश का सबसे अधिक आबादी वाला राज्य होने के अलावा, यह सेना को अधिकतम सैनिक प्रदान करता है। लेकिन विडंबना देखें! हरियाणा, पंजाब, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और कर्नाटक जैसे छोटे राज्य अपने राज्य के भूतपूर्व सैनिकों को समूह ‘क’ और ‘ख’ के पदों पर आरक्षण प्रदान कर रहे थे लेकिन उत्तर प्रदेश “सामाजिक न्याय’ और “सेक्युलरिज्म” में व्यस्त और मस्त था। उत्तर प्रदेश में भूतपूर्व सैनिकों के लिए 1992 से पूर्व समूह ‘क’ और ‘ख’ के पदों में आठ प्रतिशत आरक्षण था, लेकिन 1992 से उत्तर प्रदेश ने अज्ञात कारणों से यह प्रतिशत कम करना शुरू कर दिया और 1999 में जब अन्य राज्य कारगिल युद्ध के नायकों को सम्मानित और पुरस्कृत कर रहे थे, तो उत्तर प्रदेश ने ‘उल्टा’ निर्णय लेते हुए 27 जुलाई 1999 को समूह ‘क’ और ‘ख’ के पदों पर पूर्व सैनिकों के लिए आरक्षण पूरी तरह समाप्त कर दिया। कारगिल विजय दिवस पर उत्तर प्रदेश के सैनिकों के लिए यह अनोखा तोहफा था।

उसके पश्चात उत्तर प्रदेश में कई सरकारें आई और चली गई लेकिन किसी भी सरकार ने इस ‘उल्टा निर्णय’ पर पुनर्विचार नहीं किया क्योंकि पूर्व सैनिक वोट बैंक नहीं होते हैं। विडंबना यह कि यूपी से अलग हुए उत्तराखंड ने वर्ष 2009 में अपने राज्य के भूतपूर्व सैनिकों के लिए समूह ‘क’ और ‘ख’ के पदों पर आरक्षण बहाल कर दिया। लेकिन यूपी ने अपने छोटे भाई से कोई सबक नहीं लिया। 2017 में, मेजर जनरल बीसी खंडूरी की अध्यक्षता वाली रक्षा संबंधी स्थायी समिति ने भी पूर्व सैनिकों को समूह ‘ख’ के पदों में 10 प्रतिशत आरक्षण की सिफारिश की थी। लेकिन उत्तर प्रदेश सरकार के कान में जूं नहीं रेंगी।

पिछले वर्ष योगी सरकार ने समूह ‘ख’ के सभी पदों पर पाँच प्रतिशत आरक्षण की घोषणा की लेकिन उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग ने उसके बाद निकली भर्ती पीसीएस-21 में भूतपूर्व सैनिकों को इस पाँच प्रतिशत आरक्षण का लाभ जान बूझकर प्रदान नहीं किया। वैसे तो उत्तर प्रदेश में कई भूतपूर्व सैनिक संगठन हैं लेकिन उनमें से ज़्यादातर नेताओं के साथ फोटो खिंचाने, अपने लिए पॉलिटिकल कैरियर बनाने या फिर रियल इस्टेट के व्यापार में लगे रहते हैं। भूतपूर्व सैनिकों के साथ हुए इस खुल्लमखुल्ला अन्याय पर किसी भी संगठन ने कोई आवाज नहीं उठाई।

तब भूतपूर्व सैनिकों के मुद्दों के लिए निःस्वार्थ भाव से पिछले कई वर्षों से संघर्ष कर रहे सतीश चन्द्र शुक्ल सर (भूतपूर्व सैनिक) ने इस मुद्दे को न्यायालय के समक्ष रखा। तन, मन, धन से इस केस को लड़ा और विजयी हुए। माननीय न्यायालय ने कल के अपने आदेश में पीसीएस-21 की परीक्षा में भूतपूर्व सैनिकों को 05 प्रतिशत आरक्षण देने का आदेश दिया है। यह भूतपूर्व सैनिकों की एक बड़ी जीत है। सतीश चन्द्र शुक्ल सर, उनकी पूरी टीम और पीसीएस-21 की परीक्षा में बैठने वाले सभी भूतपूर्व सैनिकों को बहुत बहुत बधाई।

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