डॉक्टर में यूं ही देवत्व नहीं देखता भारतीय समाज

तारकेश कुमार ओझा, खड़गपुर : भारतीय समाज चिकित्सकों में देवत्व का निवास देखता है । यह विश्वास संवेदनशील चिकित्सकों के मानवीय व्यवहार से उत्पन्न होता है । खड़गपुर के भूमि पुत्र रहे डॉ. गौरांग विश्वास भी ऐसे ही व्यक्ति थे जिनके लिए चिकित्सा पेशा से अधिक सामाजिक सरोकार और मानव कल्याण का माध्यम थी। खड़गपुर के वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. गौरांग विश्वास की स्मृति में आयोजित शोकसभा में यह बात उनके साथी चिकित्सकों ने कही । डॉ. विश्वास का विगत ७ सितंबर को निधन हो गया ।

७० वर्षीय डॉ. विश्वास पिछले तीन साल से असाध्य रोग से जूझ रहे थे । अंतिम समय में कोरोना ने भी उन पर हमला कर दिया । उनकी याद में शनिवार की शाम शहर के छोटा टेंगरा स्थित साथी सोसाइटी परिसर में शोकसभा का आयोजन किया गया । इस अवसर पर डॉ. एस . ए . नाजमी , डॉ. गौतम साहा , डॉ. अनूप मल्लिक , डॉ. एस . एस . माईती , डॉ. देवाशीष चक्रवर्ती , डॉ. पार्वती पटनायक , डॉ . बलराम साहू , प्रख्यात अधिवक्ता अरूप वर्मा तथा समाजसेवी अमिताभ दासगुप्ता आदि उपस्थित थे ।

डॉ. विश्वास को याद करते हुए वक्ताओं ने कहा कि डॉ. विश्वास खड़गपुर स्टेट अस्पताल के पहले सर्जन और औषधि विशेषग्य थे । वे ऐसे समय अस्पताल आए जब परिस्थितियांवश कोई डॉक्टर यहां आना नहीं चाहता था । वे साथी सोसाइटी के संस्थापक चिकित्सक और इंडियन मेडिकल एसोसिएशन की स्थानीय इकाई के उपाध्यक्ष भी थे । वे गरीबों के लिए नि:शुल्क चिकित्सा व स्वास्थ्य परीक्षण शिविर आयोजित करने को बेचैन रहते थे । अपने जीवन काल में किए गए अधिकांश आपरेशन उन्होंने गरीबों के लिए मुफ्त किया । ऐसे संवेदनशील चिकित्सक समाज में हमेशा याद किए जाएंगे।

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