कोलकाता। 5 जून विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर कोलकाता गर्ल्स कॉलेज के इको क्लब और IQAC के संयुक्त तत्वाधान में वृक्षारोपण और व्याख्यान समारोह आयोजित किया गया। इस अवसर पर कॉलेज की प्राचार्या डॉ. सत्या उपाध्याय, बैरकपुर राष्ट्रगुरु सुरेंद्रनाथ कॉलेज के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. बिक्रम कुमार साव, इको क्लब के कन्वीनर डॉ. नंदिनी भट्टाचार्य, IQAC के कोऑर्डिनेटर प्रोफेसर प्रेम कुमार घोष, NSS के नोडल ऑफिसर प्रोफेसर नूपुर राय के साथ कॉलेज के अनेक शिक्षक एवं छात्राएं उपस्थित रहीं।
कार्यक्रम का आरंभ वृक्षारोपण के माध्यम से किया गया। कार्यक्रम में उपस्थित विशिष्टजनों ने कॉलेज प्रांगण में वृक्षारोपण किया साथ-साथ उपस्थित छात्राओं को भी रोपनकार्य में शामिल करके भावी पीढ़ी को वृक्षारोपण करने के लिए प्रोत्साहित किया गया एवं इसके लाभ से उनको परिचित कराया गया।
कार्यक्रम में प्राचार्य महोदया ने आज के दिन की विशेष महत्ता को रेखांकित करते हुए छात्राओं को भारतीय परंपरा में उपस्थित पर्यावरण संरक्षण के विभिन्न तौर तरीकों से अवगत कराया साथ ही उन्हें पर्यावरण संबंधी जागरूकता अभियान से जुड़ने के लिए प्रेरित किया। इको क्लब की कन्वेनर डॉ. नंदिनी भट्टाचार्या ने भी पर्यावरण संरक्षण के उपायों को छात्राओं के समक्ष रखा।
बैरकपुर राष्ट्रगुरु सुरेंद्रनाथ कॉलेज से आए आज के अतिथि वक्ता डॉ. बिक्रम कुमार साव ने साहित्य और पर्यावरण के अंतर्संबंधों को रेखांकित करते हुए हिंदी साहित्य के विविध विधाओं में वर्णित पर्यावरण से संबंधित चिंतन को सभा में उपस्थित सभी के साथ साझा किया। उन्होंने तुलसीदास, सुमित्रानंदन पंत, केदारनाथ सिंह सरीखे कवियों की कविताओं का उदाहरण देते हुए पर्यावरण दिवस की महत्ता पर अपने विचार व्यक्त किया।
साथ ही एस. हारनेट की कहानी ‘एक नदी तड़पती है’, जयश्री राय की कहानी ‘खारा पानी’, राजेश जैन रचित नाटक ‘चिमनी चोगा’, राजेश जोशी रचित नाटक ‘सपना मेरा यही सखी’, नाटककार हमीदुल्ला द्वारा रचित नाटक ‘दरिंदे’, नासिरा शर्मा द्वारा रचित उपन्यास ‘कुइयांजान’, रत्नेश्वर रचित ‘रेखना मेरी जान’, विकास कुमार झा रचित ‘वर्षावन की रूपकथा’,
कुसुम कुमार रचित ‘मीठी नीम’, भालचंद्र रचित ‘प्रार्थना में पहाड़’ एवं अलका सरावगी रचित ‘एक ब्रेक के बाद’ जैसी रचनाओं में वर्णित पर्यावरण संबंधी विचारों और चिंताओं को श्रोताओं के समक्ष प्रस्तुत किया। कार्यक्रम का सफल संचालन प्रोफेसर प्रेम कुमार घोष ने और धन्यवाद ज्ञापन प्रोफेसर नुपुर राय ने किया।
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