यह कला कार्यशाला केवल एक शृंखला ही नहीं बल्कि एक परिवर्तनकारी शिक्षण अनुभव था – नेहा सिंह

दस दिवसीय ग्रीष्मकालीन कला कार्यशाला का समापन
कार्यशाला में कक्षा केजी से फ़ाइन आर्ट्स तक के विद्यार्थियों ने भाग लिया, विषय विशेषज्ञ अनुभवी कलाकारों द्वारा प्रशिक्षित किया गया
बच्चों ने कला की विविध विधाओं, माध्यमों से हुए हुए परिचित,जानी बारीकियाँ, सृजित की कृतियाँ

लखनऊ। प्रदेश की राजधानी में स्थित फ्लोरेसेंस आर्ट गैलरी और लखनऊ पब्लिक स्कूल के संयुक्त तत्वावधान में 21 मई से दस दिवसीय ग्रीष्मकालीन कला कार्यशाला का आयोजन किया गया था। रचनात्मकता और सांस्कृतिक विरासत के एक जोशीले उत्सव में, लखनऊ पब्लिक स्कूल और कॉलेज ने फ्लोरेसेंस आर्ट गैलरी के साथ मिलकर अपने सौंदर्य और सांस्कृतिक विकास कार्यक्रम के तहत एक विशेष ग्रीष्मकालीन शिविर का सफलतापूर्वक समापन किया।

सहारा स्टेट, गोमती नगर और ए ब्लॉक राजाजीपुरम सहित कई शाखाओं में आयोजित इस शिविर में युवा दिमाग और अनुभवी कलाकारों को भारतीय कला रूपों की जीवंत खोज के लिए एक साथ आमंत्रित किया गया था। नेहा सिंह, अकादमिक और नवाचार निदेशक, समर्पित एलपीएस प्रिंसिपलों और प्रशासनिक सदस्यों द्वारा संचालित इस पहल का उद्देश्य छात्रों के बीच सौंदर्य संबंधी संवेदनशीलता को पोषित करना और उन्हें पारंपरिक और समकालीन कला तकनीकों से रूबरू कराना था। उनके संयुक्त प्रयासों ने गर्मियों की छुट्टियों को रचनात्मकता और सांस्कृतिक प्रशंसा की समृद्ध यात्रा में बदल दिया।

ए ब्लॉक राजाजीपुरम ब्रांच की प्रधानाचार्य भारती गोसाईं, गोमतीनगर ब्रांच की प्रधानाचार्य अनीता चौधरी और सहारा स्टेट ब्रांच की प्रधानाचार्य मीना तांगड़ी ने विशेषज्ञ कलाकारों को प्रतीक चिन्ह, अंगवस्त्र और पौधे देकर सम्मानित किया साथ प्रतिभागी बच्चों को कार्यशाला की प्रमाण पत्र भी प्रदान किया गया।

इन कार्यशाला में स्कूल के कला अध्यापकों सरोज सिंह, सविता विश्वकर्मा और जैसवार अभिषेख जयराम ने कला विशेषज्ञों और प्रतिभागियों को अच्छी तरह कोऑर्डिनेट किया कार्यशाला को सकुशल संपन्न कराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। अंतिम दिन कला कृतियाँ प्रदर्शित की गईं दर्शकों ने खूब प्रसंशा की।

गैलरी के क्यूरेटर भूपेंद्र कुमार अस्थाना ने बताया कि शिविर के दौरान, छात्रों को विषय विशेषज्ञ अनुभवी कलाकारों द्वारा प्रशिक्षित किया गया, जिन्होंने न केवल कौशल बल्कि गहन सांस्कृतिक अंतर्दृष्टि भी सत्रों में लाई। मुख्य आकर्षणों में से वाश विधा के प्रख्यात चित्रकार राजेंद्र प्रसाद द्वारा संचालित वॉश पेंटिंग कार्यशाला थी, जो इस नाजुक जल रंग तकनीक में अपनी महारत के लिए जाने जाने वाले एक अनुभवी कलाकार हैं। छात्रों ने लेयरिंग, शेडिंग और अभिव्यक्ति की बारीकियों को सीखा।

प्रसिद्ध सिरेमिक कलाकार प्रेम शंकर प्रसाद ने इमर्सिव पॉटरी राकु और टेरकोटा सत्र आयोजित किए गए, जिसमें छात्रों को अपने हाथों को गंदा करने का मौका मिला – सचमुच – क्योंकि उन्होंने मिट्टी को कल्पनाशील रूपों में आकार दिया। उनके मार्गदर्शन ने प्रतिभागियों को मिट्टी के बर्तनों की ध्यानपूर्ण और स्पर्शनीय प्रकृति को समझने में मदद की, जिससे इस प्राचीन शिल्प के लिए प्रशंसा बढ़ी।

शिविर में नाटकीय स्वभाव जोड़ते हुए सुश्री शुचिता सिंह और सुश्री संध्या यादव द्वारा निर्देशित एक पारंपरिक मुखौटा बनाने वाला खंड था। भारतीय लोक परंपराओं से आकर्षित होकर, छात्रों ने ऐसे मुखौटे बनाए जो पौराणिक कथाओं, संस्कृति और सामुदायिक अनुष्ठानों की कहानियाँ बताते थे। यह गतिविधि न केवल कलात्मक थी, बल्कि गहन शैक्षणिक भी थी, जिसमें भारत की समृद्ध प्रदर्शनकारी विरासत की अंतर्दृष्टि प्रदान की गई।

आर्ट गैलरी की निदेशक नेहा सिंह ने कहा, “ग्रीष्मकालीन शिविर केवल कार्यशालाओं का एक शृंखला ही नहीं था बल्कि यह एक परिवर्तनकारी शिक्षण अनुभव था।” “हमारा उद्देश्य केवल अकादमिक उपलब्धि हासिल करने वाले लोगों को ही नहीं, बल्कि कला और संस्कृति के प्रति गहरी प्रशंसा रखने वाले पूर्ण विकसित व्यक्तियों को विकसित करना है। यह कार्यक्रम उस लक्ष्य की ओर कई कदमों में से एक है।”

स्कूल के कला विभागाध्यक्ष राजेश कुमार ने बताया कि अभिभावकों और शिक्षकों ने शिविर की सुव्यवस्थित संरचना, समावेशी भागीदारी और विशेषज्ञ मार्गदर्शन के लिए समान रूप से प्रशंसा की। कई लोगों ने सत्रों के अंत तक छात्रों के आत्मविश्वास, रचनात्मकता और जिज्ञासा में स्पष्ट परिवर्तन देखा। जैसे ही शिविर समाप्त होने वाला था, प्रत्येक शाखा में छात्रों के काम की एक प्रदर्शनी आयोजित की गई।

जिसमें वॉश पेंटिंग, मिट्टी के बर्तनों की कलाकृतियाँ और जीवंत मुखौटे प्रदर्शित किए गए। इन प्रदर्शनियों को अभिभावकों, शिक्षकों और स्थानीय कलाकारों सहित उपस्थित लोगों से प्रशंसा और उत्साह मिला। इस ग्रीष्मकालीन शिविर की सफलता के साथ, एलपीएस और फ़्लोरेसेंस आर्ट गैलरी ने क्षेत्र में कला शिक्षा के लिए एक नया मानदंड स्थापित किया है।

अगले वर्ष कार्यक्रम का विस्तार करने की योजनाएँ पहले से ही चल रही हैं, संभवतः संगीत, नृत्य और डिजिटल कला को शामिल किया जाएगा। इस सहयोग से न केवल छात्र समृद्ध हुए हैं, बल्कि आधुनिक शैक्षणिक वातावरण में सांस्कृतिक शिक्षा के महत्व की भी पुष्टि हुई है।

कार्यशाला में कक्षा केजी से फ़ाइन आर्ट्स के विद्यार्थियों ने भाग लिया। कार्यशाला में कला प्रशिक्षकों द्वारा बच्चों को वाश चित्रकला, मूर्तिकला, म्यूरल, पेपर मेशी मुखौटा और राकु विधा की बारीकियां सिखाई गई। कार्यशाला में सभी शामिल प्रतिभागी बच्चों ने बड़े ही लगन और रुचि के साथ सभी विधाओं का आनंद लिया और एक एक कृतियों का सृजन भी किया। कार्यशाला में सभी प्रतिभागी बच्चे बेहद खुश दिखाई दिए।

वाश पेंटिंग कार्यशाला में हर्षविक सूरी, आदित्य गुप्ता, अभिनव वर्मा, काव्या सिंह, अनन्या गुप्ता, प्रिशा राय, शांभवी सिंह, अंशिता वर्मा, यश मनोहर, अंशिका चौबे, आर्यन विश्वकर्मा, नीता कुमारी, अनामिका तिवारी, साक्षी मौर्या, प्राची पटेल, सिमरन, विवेकानंद रजक हैं।

वहीं राकू कार्यशाला में प्रतिभागी बच्चे तन्वी सिंह, गौरी स्वराज, अभारिका, आरव, संकल्प, अक्षरा सिंह ने भाग लिया। मास्क कार्यशाला में अनमोल यादव, अंश गुप्ता, कार्तिक त्रिवेदी, कृष्ण कुमार यादव, सान्वी यादव, अगम्य सिंह, अयांश ठाकुर, प्रियम सिंह, अदिति गुप्ता, शिमरा बानो, ईशा मौर्या, अंशिका गुप्ता, मिहित कैंसल, नयन शुक्ल, मृदुषि रस्तोगी, संस्कृति अग्रवाल, शिवांश गहरवार, वेरोनिका लॉरेंस, शीन, प्रद्युम्न श्रीवास्तव, परिधि गुप्ता, वृतिका मिश्रा, प्रियांशी गुप्ता, आद्या यादव, तन्वी साहू थे।

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