The title of 'Father of Nation' was taken back from Mujibur Rahman

मुजीबुर रहमान से वापस ली गई ‘राष्ट्रपिता’ की उपाधि

‘Father of Nation’ Mujibur Rahman : शेख हसीना के तख्ता पलट के बाद से ही बांग्लादेश में आए दिन राजनीतिक ड्रामा देखने को मिल रहा है। इस बीच बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने अपने ही स्वतंत्रता सेनानी और बांग्लादेश के संस्थापक बंगबंधु शेख मुजीबुर रहमान से राष्ट्रपिता की उपाधि वापस ले ली है।

बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने परिभाषित कानून में संशोधन करते हुए यह उपाधि वापस ले ली है। बता दें कि इससे पहले शेख हसीना के पिता मुजीबुर रहमान की तस्वीरों को नए करेंसी नोटों से हटा दिया गया था, जिसके बाद अब मुजीबुर रहमान से राष्ट्रपति की उपाधि वापस ले ली गई है।

ढाका ट्रिब्यून अखबार की एक रिपोर्ट के मुताबिक, अंतरिम सरकार ने राष्ट्रीय स्वतंत्रता सेनानी परिषद अधिनियम में संशोधन करते हुए स्वतंत्रता सेनानी की परिभाषा को बदल दिया है।

bdnews24.com पोर्टल के अनुसार, ‘राष्ट्रपिता बंगबंधु शेख मुजीबुर रहमान’ शब्द और कानून के वे हिस्से जिनमें बंगबंधु शेख मुजीबुर रहमान का नाम था, उन्हें हटा दिया गया है। डेली स्टार अखबार ने बताया कि अध्यादेश में मुक्ति संग्राम की परिभाषा में भी थोड़ा बदलाव किया गया है।

“मुक्ति संग्राम की नई परिभाषा में बंगबंधु शेख मुजीबुर रहमान का नाम हटा दिया गया है। पिछली परिभाषा में उल्लेख किया गया था कि युद्ध बंगबंधु के स्वतंत्रता के आह्वान के जवाब में छेड़ा गया था।”

ढाका ट्रिब्यून की रिपोर्ट के अनुसार, संशोधित अध्यादेश के अनुसार, बांग्लादेश की युद्धकालीन निर्वासित सरकार (मुजीबनगर सरकार) से जुड़े सभी एमएनए (राष्ट्रीय विधानसभा के सदस्य) और एमपीए (प्रांतीय विधानसभा के सदस्य), जिन्हें बाद में तत्कालीन संविधान सभा का सदस्य माना गया था, अब “मुक्ति संग्राम के सहयोगी” के रूप में वर्गीकृत किए जाएंगे, जबकि अब तक उन्हें स्वतंत्रता सेनानी के रूप में मान्यता दी जाती थी।

मुजीबुर रहमान, जिन्हें शेख मुजीब या बंगबंधु कहा जाता है, बांग्लादेश के राष्ट्रपिता और स्वतंत्रता आंदोलन के प्रमुख नेता थे। उनका जन्म 17 मार्च 1920 को तुंगीपारा, बंगाल (अब बांग्लादेश) में हुआ था। वे आवामी लीग के संस्थापक और अध्यक्ष थे, जिन्होंने पूर्वी पाकिस्तान (अब बांग्लादेश) के बंगालियों के अधिकारों के लिए संघर्ष किया।

1970 के आम चुनाव में उनकी पार्टी की भारी जीत के बावजूद, पश्चिमी पाकिस्तान ने सत्ता हस्तांतरण से इनकार कर दिया, जिसके बाद 1971 में मुजीब ने स्वतंत्रता की घोषणा की।

इसके परिणामस्वरूप बांग्लादेश मुक्ति संग्राम शुरू हुआ, जिसमें भारत की सहायता से बांग्लादेश ने पाकिस्तान से स्वतंत्रता हासिल की। मुजीब का नेतृत्व, उनके प्रेरणादायक भाषण (विशेषकर 7 मार्च 1971 का भाषण), और बंगाली अस्मिता को मजबूत करने में उनकी भूमिका ने उन्हें राष्ट्रपिता की उपाधि दिलाई। उनकी दृष्टि और बलिदान ने बांग्लादेश को एक स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में स्थापित किया।

ताज़ा समाचार और रोचक जानकारियों के लिए आप हमारे कोलकाता हिन्दी न्यूज चैनल पेज को सब्स्क्राइब कर सकते हैं। एक्स (ट्विटर) पर @hindi_kolkata नाम से सर्च करफॉलो करें।     

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

two × five =