
12 घंटे की लंबी मैराथन बहस के बाद, वक्फ संशोधन बिल 2025 लोकसभा में पारित
लोकसभा में लगातार 12 घंटे की बहस सुनने से लेकर अर्ली मॉर्निंग 4 बजे यह रिपोर्ट बनाना मेरे लिए रोमांचित अनुभव रहा- अधिवक्ता के. एस. भावनानी
अधिवक्ता किशन सनमुखदास भावनानी, गोंदिया, महाराष्ट्र। विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र भारत के लोकतंत्र के मंदिर रूपी संसद व उच्च सदन राज्यसभा में किसी महत्वपूर्ण विधेयक पर बहस कर उसमें संशोधन से लेकर वोटिंग तक पर पूरी प्रक्रिया को भारत सहित पूरे विश्व नें ध्यान से देखा व सुना है, जिसमें महिला आरक्षण विधेयक बिल, जीएसटी बिल, आर्टिकल 370 बिल सहित अनेकों बिलो को हमने लोकसभा के दोनों सदनों से पास होते हमने देखा है। आज यह चर्चा हम इसलिए कर रहे हैं क्योंकि आज भोर करीब 4 बजे तक मैंनें करीब 16 घंटे लगातार वक्फ (संशोधन) बिल 2025 की पूरी बहस, वोटिंग प्रक्रिया व अमेंडमेंट पर वोटिंग प्रक्रिया पर पर मैंने नजर रखी।
मैं लगातार 16 घंटे संचार माध्यमों से जुड़ा रहा, क्योंकि ऐसे विषय पर लाइव देखकर रिपोर्टिंग बनाना मेरी रुचि रही है। मैंने देखा कि विपक्ष व पक्ष के सदस्यों ने ध्रुवीकरण बोलने पर विशेष ध्यान दिया। विपक्ष के नेताओं ने ध्रुवीकरण पर आरोप प्रत्यारोप लग रहे थे। बहस के दौरान मैंने एक बात देखी कि एक सदस्य वाली पार्टी को भी बोलने का अधिकार दिया गया था, जिसमें चंद्रशेखर, पप्पू यादव, असदुद्दीन ओवैसी भी शामिल थे। ओवैसी साहब ने बिल को फाड़ने की बात तो की, लेकिन बिल को फाड़ नहीं पाए बल्कि दो भागों को स्टेपलर की पिन खोलकर अलग किया। बहस पूरी हो जाने के बाद जेपीसी अध्यक्ष ने उसका जवाब दिया, फिर अंत में अल्पसंख्यक विभाग के मंत्री ने बहस का जवाब दिया।
मैंने महसूस किया कि पक्ष और विपक्ष दोनों ही पूरी तैयारी के साथ बहस में शामिल होने, बहस की प्रक्रिया हो जाने के बाद माननीय सदस्यों द्वारा 100 से अधिक संशोधनों जो दर्ज कराए गए थे, उसमें तीन संशोधन की वोटिंग मशीन से वोटिंग हुई व बाकी 100 से अधिक संशोधनों को ध्वनि मत से जिसमें करीब-करीब विपक्ष के सभी संशोधन खारिज कर दिए गए। विशेष बात यह रही कि मैं पिछले 10-12 सालों में मैंने रात्रि 2-3 बजे तक संसद चलने और विधेयक पारित होने की प्रक्रिया नहीं देखी थी। वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2025 रात 1.56 बजे लोकसभा में पारित हुआ। विधेयक पर 1 घंटे 50 मिनट तक वोटिंग चली। विधेयक के समर्थन में 288 वोट पड़े, जबकि विरोध में 232 वोट पड़े।
अनेक संशोधन में एक संशोधन पर इलेक्ट्रॉनिक पद्धति से मतदान के बाद कुल 464 वोट दर्ज किए गए। विधेयक के पक्ष में 273 और विरोध में 191 मत पड़े। शुद्धि के बाद स्पीकर ओम बिरला आधिकारिक आंकड़ों का एलान करेंगे। लोकसभा संसद सदस्यों द्वारा दिए गए संशोधन में सबसे महत्वपूर्ण संशोधन बोर्ड में शामिल होने वाले 11 गैरमुस्लिम सदस्यों वाला संशोधन 288 के मुकाबले 231 मतों से गिर गया, यानि अब गैरमुस्लिम सदस्य बोर्ड में शामिल होंगे। वक्फ (संशोधन) बिल 2025 आज ही राज्यसभा में पेश होगा उम्मीद है बहस के बाद इस सदन में भी वक्फ (संशोधन) बिल 2025 पारित हो जाएगा ऐसा मेरा मानना है।
चूँकि संसद में 12 घंटे की लंबी मैराथन बहस के बाद वक्फ संशोधन बिल 2025 लोकसभा से पारित हो गया है, इसलिए आज हम मीडिया में उपलब्ध जानकारी के सहयोग से इस आलेख के माध्यम से चर्चा करेंगे, वक्फ संशोधन बिल 2025 की लड़ाई, अंजाम तक आई। लोकसभा में 232 के मुकाबले 288 मतों से यह बिल पारित किया गया तथा आज 3 अप्रैल को ही राज्यसभा में भी पारित कर दिया जाएगा ऐसी संभावना है।
साथियों बात अगर हम वक्फ बिल पर लोकसभा में बहस के के बाद जेपीसी के अध्यक्ष द्वारा जवाब देने की करें तो उन्होंने कहा यदि बीजेपी चाहती तो इस विधेयक को सीधे संसद में पास करा सकती थी, लेकिन सरकार ने इसे जेपीसी को भेजने का फैसला किया ताकि अन्य दलों के साथ विस्तृत चर्चा हो सके। उन्होंने कहा कि यह सरकार की लोकतांत्रिक प्रतिबद्धता को दिखाता है कि उसने बिना किसी जल्दबाजी के इस विषय पर व्यापक विमर्श किया। उन्होंने असदुद्दीन ओवैसी द्वारा वक्फ (संशोधन) विधेयक 2024 को फाड़ने की बात को असंवैधानिक करार दिया है। उन्होंने कहा कि ओवैसी इस बिल को असंवैधानिक बता रहे हैं, लेकिन असली असंवैधानिक हरकत तो उन्होंने खुद की है। पाल ने लोकसभा में कहा कि संसद में इस तरह से विधेयक को फाड़ना लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं का अपमान है और यह संसदीय मर्यादाओं के खिलाफ है।
साथियों बात अगर हम 2 अप्रैल 2025 को हुए बिल पर चर्चा का जवाब रात्रि 12 बजे अल्पसंख्यक विभाग के मंत्री द्वारा जवाब देने की करें तो उन्होंने कहा, सरकार ने बुधवार को लोकसभा में वक्फ संशोधन विधेयक पेश किया। इस पर आधी रात तक लगभग 12 घंटे तक चर्चा हुई। अब सदन में वोटिंग हो रही है। पक्ष ने जहां बिल का समर्थन किया तो विपक्ष ने जोरदार हमला बोलते हुए इसे मुस्लिमों को हाशिए पर धकेलने वाला बताया। बिल पेश करते हुए केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा कि पूर्ववर्ती यूपीए सरकार ने वक्फ कानून में बदलावों के जरिए इसे अन्य कानूनों से ऊपर कर दिया था, इसलिए इसमें नए संशोधनों की जरूरत पड़ी। गौरतलब है कि लोकसभा में संख्याबल के हिसाब से एनडीए की स्थिति मजबूत है, जिसके पास 294 सांसद हैं, जबकि बिल पास करने के लिए 272 वोटों की जरूरत है।
साथियों बातें कर हम विधेयक का विरोध करने की करें तो, एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने वक्फ बिल पर बहस के दौरान कहा, इस बिल का असली मकसद मुसलमानों को जलील करना है। सरकार हमारे वक्फ की संपत्तियों पर कब्जा जमाना चाहती है और हमारे धार्मिक अधिकार छीनना चाहती है। अपनी नाराजगी जाहिर करते हुए उन्होंने सदन में कहा कि मैं इस बिल को फाड़ता हूं। उन्होंने इसे अल्पसंख्यकों के धार्मिक अधिकारों पर सीधा हमला बताया और कहा कि यह संविधान के अनुच्छेद 25 और 26 का उल्लंघन करता है। संसद में मदनी वक्फ संशोधन बिल पेश किए जाने पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए जमीयत उलमा-ए- हिंद के अध्यक्ष मौलाना महमूद असअद मदनी ने कहा कि संसद में पेश किया गया वक्फ से संबंधित यह बिल असंवैधानिक है और मूल अधिकारों का उल्लंघन करता है। सरकार अपनी संख्यात्मक बहुमत के बल पर इसे पारित कराने की कोशिश कर रही है।यह रवैया बहु संख्यकवादी मानसिकता पर आधारित है और लोकतांत्रिक मूल्यों के खिलाफ है।
इस बिल को जबरन संसद में लाया गया है, जिसका उद्देश्य अल्पसंख्यकों के अधिकारों को छीनना है, जो किसी भी हाल में स्वीकार्य नहीं है। जिस तरह से यह बिल तैयार किया गया है और जिस मंशा व रवैये के साथ इसे पेश किया जा रहा है, वह मुसलमानों के खिलाफ एक नकारात्मक रुख को दर्शाता है। उन्होंने कहा, हम पहले ही कह चुके हैं कि पुराने कानून में सुधार की जरूरत थी, लेकिन इसके बजाय सरकार ने ऐसे संशोधन पेश किए हैं, जो समस्याओं का समाधान करने के बजाय उन्हें और जटिल बना रहे हैं।अल्पसंख्यक समुदाय के सदस्य के रूप में, मैं स्पष्ट रूप से कहना चाहता हूं कि यह बिल पूरी तरह अस्वीकार्य है और हम इसे पूरी तरह खारिज करते हैं। इसके खिलाफ हमारी लड़ाई जारी रहेगी और हम हर संवैधानिक और शांतिपूर्ण तरीके से इस अन्याय के खिलाफ अपनी आवाज उठाते रहेंगे।
साथियों बात अगर हम सत्ताधारी पार्टी द्वारा विधेयक के समर्थन की करें तो, वक्फ बिल पर चर्चा में भाग लेते हुए भाजपा के रवि शंकर प्रसाद ने कहा कि वक्फ विधेयक के जरिए बोर्ड में पिछड़े मुसलमानों को जगह दी जा रही है तो इसमें किसी को आपत्ति नहीं होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि अगर वक्फ की जमीन लूटी जा रही है तो संविधान अधिकार देता है कि उसे रोका जाना चाहिए। उनका कहना था कि वक्फ धार्मिक संस्था नहीं है और अगर इस संस्था को दान दी जाने वाली संपत्ति लूटी जा रही है तो सरकार इस पर चुप नहीं रह सकती है।
साथियों बात अगर हम वक्फ (संशोधन) बिल लोकसभा में पारित होने की करें तो, वक्फ संशोधन विधेयक लोकसभा से पास हो गया। 12 घंटे से ज्यादा समय तक चली मैराथन चर्चा के बाद लोकसभा ने वक्फ (संशोधन) विधेयक 2025 पारित कर दिया। इस विधेयक के पक्ष में 288 और विपक्ष में 232 वोट पड़े। स्पीकर ओम बिरला ने चर्चा पूरी होने के बाद वोटिंग करवाई। इस दौरान बिल के पक्ष में 288 वोट पड़े, वहीं विरोध में 232 वोट पड़े और इस तरह रात 2 बजे वक्फ संशोधन बिल लोकसभा से पास हो गया। इससे पहले सदन में गौरव गोगोई, औवैसी समेत कई सदस्यों की ओर से लाए गए संशोधन खारिज हो गए।
साथियों बात अगर हम 2 अप्रैल 2025 को सुबह संसद में बिल पेश होने की करें तो केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्री ने लोकसभा में वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2025 पेश किया। बिल पेश करने के बाद अपने संबोधन में स्पष्ट किया कि इस विधेयक का धार्मिक व्यवस्था से कोई संबंध नहीं है। उन्होंने कहा, यह बिल धार्मिक मामलों में हस्तक्षेप करने के लिए नहीं, बल्कि वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए लाया गया है।
उन्होंने जोर देकर कहा कि सरकार का उद्देश्य वक्फ संपत्तियों की बेहतर देखरेख और डिजिटलीकरण के जरिए व्यवस्था को मजबूत करना है, न कि किसी की जमीन छीनना। बिल पर चर्चा शुरू करते हुए रिजिजू ने कहा कि वक्फ बिल पर दोनों सदनों की संयुक्त समिति के सदस्यों ने अपने-अपने विचार रखे। उन्होंने कहा कि समाज के हर वर्ग ने इस बिल को लेकर अपने सुझाव दिए। इनमें कानून के जानकारों ने भी सुझाव दिए। मंत्री ने कहा कि ये पहली बार नहीं है जब वक्फ बिल में संशोधन हो रहा है। इससे पहले भी हुआ है।

अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर इसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि वक्फ संशोधन बिल 2025 की लड़ाई, अंजाम तक आई- लोकसभा में भोर में 288/232 से बिल पारित – 3 अप्रैल को राज्यसभा से भी पारित होगा। 12 घंटे की लंबी मैराथन बहस के बाद, वक्फ संशोधन बिल 2025 लोकसभा में पारित। लोकसभा में लगातार 12 घंटे की बहस सुनने से लेकर भोर में 4 बजे यह रिपोर्ट बनाना मेरे लिए रोमांचित अनुभव रहा।
(स्पष्टीकरण : उपरोक्त दिए गए विचार लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं। यह जरूरी नहीं है कि कोलकाता हिंदी न्यूज डॉट कॉम इससे सहमत हो। इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है।)
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