महाराणा प्रताप की राष्ट्रभक्ति की मिसाल दी जाती है संपूर्ण विश्व में – कुलपति प्रो. पांडेय

महाराणा प्रताप और महाराजा छत्रसाल जयंती एवं जैव विविधता दिवस पर हुआ विशिष्ट परिसंवाद

उज्जैन। विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन द्वारा महाराणा प्रताप एवं महाराजा छत्रसाल जयंती और जैव विविधता एवं विश्व मधुमक्खी दिवस पर विशिष्ट परिसंवाद का आयोजन किया गया। विश्वविद्यालय परिसर स्थित शालिग्राम तोमर छात्रावास में आयोजित कार्यक्रम की अध्यक्षता कुलपति प्रो. अखिलेश कुमार पांडेय ने की। परिसंवाद में कार्य परिषद सदस्य राजेश सिंह कुशवाह, कुलसचिव डॉ. प्रशांत पुराणिक, कुलानुशासक प्रो. शैलेंद्र कुमार शर्मा, पुरातिहासकर डॉ. नारायण व्यास आदि ने महाराणा प्रताप के बहुआयामी व्यक्तित्व और योगदान पर विचार व्यक्त किए। प्रारम्भ में अतिथियों के साथ मुख्य प्रपालक प्रो. डी.डी. बेदिया, डीएसडब्ल्यू प्रो. एस.के. मिश्रा एवं युवा नेता गौरव बेंडवाल ने महाराणा प्रताप के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित कर उनका पुण्य स्मरण किया।

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कुलपति प्रो. अखिलेश कुमार पांडेय ने कहा कि विकसित राष्ट्र का सपना साकार करने के लिए महाराणा प्रताप और छत्रसाल जैसे व्यक्तित्वों से प्रेरणा लेनी होगी। संपूर्ण विश्व में राणा प्रताप की राष्ट्रभक्ति की मिसाल दी जाती है। सदियों बाद भी महाराणा प्रताप को याद किया जा रहा है, क्योंकि उन्होंने राष्ट्र के हित के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर कर दिया था। भारत की प्राकृतिक संपदा विराट है। वर्तमान दौर में जैव विविधता के संरक्षण की आवश्यकता है। जैव विविधता के संरक्षण से ही जलवायु संतुलन बचा रह सकता है।

जहाँ बड़ी संख्या में पेड़ पौधे होते हैं, वहां उतनी अधिक बायोडायवर्सिटी होती है। यदि हम पर्यावरण को संतुलित नहीं रखेंगे तो मानवीय सभ्यता के सामने संकट आ जाएंगे। बायोडायवर्सिटी को बचाए रखने में ग्रामीण और जनजातीय समुदाय की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। महाकाल और उज्जैन क्षेत्र जैव विविधता का उदाहरण सदियों से दे रहे हैं। हम विदेशों में हुई खोजों को महत्व देते हैं। हमें भारतीय मनीषियों द्वारा किए गए अन्वेषणों को लेकर स्वाभिमान जगाना होगा।

उन्होंने इस अवसर पर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मनाए जाने वाले विश्व मधुमक्खी दिवस पर बधाई देते हुए कहा कि विश्व मधुमक्खी दिवस एंटोन जन्सा के जन्मदिन का प्रतीक है, जो आधुनिक मधुमक्खी पालन के पहले शिक्षक माने जाते हैं। उन्होंने 1774 में एक पुस्तक डिस्कशन ऑन बी-कीपिंग प्रकाशित की, वहीं पहला विश्व मधुमक्खी दिवस 20 मई, 2018 को मनाया गया था। व्यवसाय के नजरिए से भी मधुमक्खी पालन की महत्ता पर ध्यान दे सकते हैं। मधुमक्खियों की कॉलोनियों की देखभाल और प्रबंधन को मधुमक्खी पालन कहते हैं। उन्हें उनके शहद और अन्य उत्पादों या उनकी सेवाओं के लिए फलों और सब्जियों के फूलों के परागणकों के रूप में या शौक के रूप में रखा जाता है। इस संबंध में जागरूकता लाई जाना जरूरी है।

कार्यपरिषद सदस्य राजेश सिंह कुशवाह ने कहा कि राणा प्रताप ऐसे महान योद्धा थे, जिन्होंने अकबर की विजय यात्रा पर अंकुश लगाया। उन्होंने छापामार पद्धति से युद्ध लड़ते हुए मुगल बादशाह अकबर को भयभीत कर दिया था। महाराणा प्रताप के संघर्ष और युद्ध नीति में जनजातीय भील शक्ति और भामाशाह के साथ ही स्थानीय जनता ने भरपूर सहयोग दिया था। कुलसचिव डॉ. प्रशांत पुराणिक ने कहा कि महाराणा प्रताप महान शूरवीर थे। मुगलों ने पूर्वी मेवाड़ पर कब्जा कर लिया था। उन्होंने राणा प्रताप से संधि करने के लिए संदेशा भेजा, किंतु राणा प्रताप ने यह लज्जाजनक संधि स्वीकार नहीं की। वे देशहित के लिए निरंतर संघर्षरत रहे। उनके समान बुंदेलखंड के महान पराक्रमी शासक छत्रसाल का नाम राष्ट्रभक्ति के लिए बड़े गौरव के साथ लिया जाता है।

कुलानुशासक प्रो. शैलेंद्र कुमार शर्मा ने कहा कि महाराणा प्रताप शौर्य, न्यायप्रियता, स्वतंत्रता, वीरता, स्वाभिमान और स्त्री सम्मान के लिए आजीवन तत्पर रहे। राष्ट्र के लिए सर्वस्व न्योछावर करने वाला उनके जैसा योद्धा संपूर्ण विश्व इतिहास में नहीं हुआ। उनकी युद्ध नीति से तत्कालीन मुगल सल्तनत भयभीत थी। उनके लिए कहा जाता है कि माँ ऐसे पुत्र को जन्म दीजिए जैसे महाराणा प्रताप। अकबर जैसे बादशाह भी महाराणा के स्वप्न देखकर सोते हुए उठ बैठे, जैसे उसके सिरहाने कोई सांप हो। महाराणा प्रताप ने मेवाड़ की स्वतंत्रता के साथ कोई समझौता नहीं किया। उन्होंने अकबर द्वारा भेजे गए सभी संधि प्रस्तावों को ठुकरा दिया और देश की आजादी के लिए आजीवन संघर्ष करते रहे।

पुरातिहासकार डॉ. नारायण व्यास, भोपाल ने कहा कि राणा प्रताप शौर्य और त्याग के प्रतीक हैं। उन्होंने जीवन भर संघर्ष किया, किंतु स्वाभिमान और राष्ट्रभक्ति से पीछे नहीं हटे। कार्यक्रम में मुख्य प्रपालक प्रो. डी.डी. बेदिया एवं डीएसडब्ल्यू प्रो. एस.के. मिश्रा ने भी विचार व्यक्त किए। युवा कवि जयहिंद स्वतंत्र ने राष्ट्रभक्ति पूर्ण गीतों की प्रस्तुति की। डीएसडब्ल्यू प्रो. एस.के. मिश्रा ने कहा कि राष्ट्र के प्रति समर्पित महापुरुषों के जीवन से युवा पीढ़ी प्रेरणा ले। वर्तमान में उसी राष्ट्रीय भाव को जगाने की आवश्यकता है, जिससे भारत अखंड और समृद्ध रहे।

मुख्य प्रपालक प्रो. डी.डी. बेदिया ने कहा कि देशभक्ति और वीरता के माध्यम से महाराणा प्रताप में भारत के इतिहास में जो योगदान दिया है, युवा पीढ़ी उनसे प्रेरणा ले। राणा प्रताप और छत्रसाल दोनों ने आक्रांताओं से संघर्ष किया लेकिन पीछे नहीं हटे। कार्यक्रम में प्रो. अनिल कुमार जैन, युवा नेता गौरव बैंडवाल, डॉ. अजय शर्मा आदि सहित छात्रगण बड़ी संख्या में उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन प्राणिकी अध्ययनशाला के विभागाध्यक्ष डॉ. सलिल सिंह ने किया। आभार प्रदर्शन डीएसडब्ल्यू प्रो. एस.के. मिश्रा ने किया।

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