The confluence of Ganga-Jamuni culture was seen in an evening of poetry-2

कविताई की एक शाम -2 में दिखा गंगा-जमुनी तहजीब का संगम

  • हिन्दी-उर्दू के रचनाकारों ने बटोरी वाहवाही, संगीत की महफिल ने भी जमाया रंग

कोलकाता : प्रेमलता प्रसाद फाउंडेशन और अनहद कोलकाता की ओर से होली प्रीति मिलन के उपलक्ष्य में आयोजित संस्कृति संध्या में हिन्दी-उर्दू की गंगा-जमुनी तहजीब का संगम देखने को मिला।

सोहनलाल देवरलिया बालिका विद्यालय, लिलुआ के प्रेक्षागृह में आयोजित कविताई की एक शाम-2 में दोनों भाषाओं के प्रतिष्ठित और चर्चित कविओं ने अपनी रचनाओं से उपस्थित श्रोताओं का मन मोह लिया लिया।

कार्यक्रम का पहला सत्र सांगीतिक कार्यक्रम का था, जिसमें लब्ध-प्रतिष्ठ गायक और पं. अजय चक्रवर्ती के होनहार शिष्य स्वपन चटर्जी ने अपने गीतों से लोगों का मन मोह लिया।

कार्यक्रम का दूसरा सत्र काव्य-पाठ था, जिसकी अध्यक्षता करते हुए डॉ.अभिज्ञात ने अपनी दर्जन भर गजलों से श्रोताओं की खूब वाहवाही बटोरी।

उनकी गजलों में मोहब्बत की चाशनी, समय के कसैलेपन पर कटाक्ष और दर्शन की ऊंचाई दिखी। उनकी एक गज़ल के शेर यूं थे-वह न माने, उसी के हैं तो क्या। हम दीवाने उसी के हैं तो क्या। फिर भी नजराना पेश करता हूं। सब खजाने उसी के हैं तो क्या।

मंजू कुमारी ‘इशरत’ ने होली पर तरन्नुम में अपना गीत गाकर समां बांध दिया।

उनकी गजलों पर लोगों ने खूब दी दी-उनका एक गजल यूं थी-‘कभी मेरे लिए दिल बेकरार मत करना। मैं और की हूं मेरा इन्तजार मत करना। जमीर होता है गैरों के हाथ में गिरवी।खुदा किसी को कभी कर्जदार मत करना।’

डॉ.अहमद मेराज की गजल ने लोगों का दिल जीत लिया-‘कभी रोता हूं अकेले में सुकूं पाता हूं। मेरा गम बांटने वाली मेरी तनहाई है। बस यही सोच के मैं करता नहीं तेरा गिला। तेरी रुसवाई में शामिल मेरी रुसवाई है।’

वरिष्ठ कवि चन्द्रिका प्रसाद पाण्डेय ‘अनुरागी’ ने अपने गीतों से काव्य-पाठ सत्र की शुरूआत की और ग्राम्य-जीवन की स्थिति को व्यक्त किया।

डॉ.विमलेश त्रिपाठी ने अपनी प्रसिद्ध कविता ‘कविता से लम्बी उदासी’ का पाठ कर लोगों का दिल जीत लिया। सेराज खान ‘बातिश’ ने अपनी गजलों से समकालीन समय की विसंगतियों पर प्रहार किया।

कार्यक्रमों का संयुक्त संचालन व अतिथियों का स्वागत अनहद कोलकाता के प्रमुख डॉ.विमलेश त्रिपाठी और प्रेमलता प्रसाद फाउंडेशन के प्रमुख सीए राजेश कुमार ने किया।

कार्यक्रम में विशेष तौर पर उपस्थित लोगों में ड़ॉ. हरेन्द्र सिंह, राजेन्द्र सिंह, प्रकाश प्रियांशु, यशवंत सिंह, संजय चौधरी, समाजसेवी राजेश सिंह सहित लगभग दो सौ साहित्य प्रेमी शामिल थे।

धन्यवाद ज्ञापन अनहद कोलकाता के प्रबंध निदेशक एवं प्रेमलता फाउंडेशन के न्यासी उमेश त्रिपाठी ने किया।

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