उज्जैन। हिन्दी परिवार इन्दौर एवं श्री मध्यभारत हिन्दी साहित्य समिति के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित श्रोता संवाद में लोकमाता अहिल्याबाई होलकर पर केन्द्रित कवितायें एवं रचनाओं का पाठ उपस्थित साहित्यिकारों द्वारा किया गया। आयोजन के प्रथम चरण में पुस्तक पर चर्चा हुई।
इस बार लोकमाता अहिल्याबाई होलकर के जीवन पर आधारित संकलित पुस्तक ‘कर्मयोगिनी’ संपादक प्रभु चौधरी की समीक्षा हिन्दी परिवार के अध्यक्ष हरेराम वाजपेयी ने प्रस्तुत की, पुस्तक में देवी अहिल्याबाई होलकर के जीवन के विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डाला।
इसी क्रम में वाजपेयी ने अहिल्या से सम्बन्धित इन्दौर के विभिन्न शासकीय संस्थाओं, मार्गों और संस्थानों का परिचय दिया, जो अहिल्याजी के नाम से किये गये है, साथ ही उन्होंने बताया कि श्री मध्यभारत हिन्दी साहित्य समिति के वर्तमान प्रधानमंत्री अरविंद जवलेकर की कृति लोकमाता अहिल्याबाई की समीक्षा बीबीसी लंदन से प्रसारित हुई।
हिन्दी परिवार की सदस्य डॉ. आरती दुबे को अहिल्या सम्मान प्रदान किया गया तथा परिवार की सदस्य डॉ. रंजना फतेहपुर की कृति मैं अहिल्या हूँ के साथ हरेराम वाजपेयी के आलेख लोकमाता अहिल्याबाई होलकर को कक्षा 7वीं के पाठ्यक्रम में शामिल करने का संदर्भ बताया।
कार्यक्रम के द्वितीय चरण में काव्य-गोष्ठी का आयोजन सरस्वती वंदना के साथ हुआ, जो शशि निगम द्वारा प्रस्तुत किया गया। डॉ. बूलाकार ने समाजवाद पर चर्चा शीर्षक से अपनी व्यंग्य काव्य रचना प्रस्तुत की। सुषमा शुक्ला ने अपनी कविता सहन नहीं करना समाधान लायें को प्रस्तुत कर एक सकारात्मक संदेश दिया।
अशोक गर्ग ने रोटियों पर मार्मिक गजल रचना प्रस्तुत की। समझो ना सिर्फ पेट ही भरती है रोटियाँ, जीवन में कुछ कमाल भी करती है रोटियाँ। प्रसिद्ध हास्य कवि प्रदीप नवीन ने अहिल्या माता पर काव्य रचना प्रस्तुत करते हुए कहा कि सबका ही झुकता है माथा, वह है देवी अहिल्या माता।
सदाशिव कौतुक जी ने युद्ध की मासूम व्याख्या करते हुए काव्य रचना प्रस्तुत की बच्चे नहीं जानते युद्ध का कारण, बच्चे ईश्वर होते है। ओम उपाध्याय ने पिता के ऊपर एक मार्मिक संस्मरण पढ़कर सुनाया। कार्यक्रम के अन्त में आभार प्रदर्शन हिन्दी परिवार के सचिव संतोष मोहन्ती ने व्यक्त किया। इस अवसर पर शहर के सुधीजन एवं साहित्यकार उपस्थित थे।
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