
दुनिया भर की अर्थव्यवस्था में उथल-पुथल मची – टैरिफ वार तमाम देशों के लिए मुसीबत बना
चीन अमेरिका से सीधा टकराव के मूड में है, तो भारत टैरिफ का जवाब टैरिफ से देने के पक्ष में नहीं जो विपक्षीय व्यापार समझौते में कारगर सिद्ध होगा- अधिवक्ता के.एस. भावनानी
अधिवक्ता किशन सनमुखदास भावनानी, गोंदिया, महाराष्ट्र। वैश्विक स्तर पर दुनिया के हर देश को ट्रंप के राष्ट्रपति चुने जाने से किसी न किसी रूप में चाहे वह आर्थिक, अवैध नागरिकता समस्या, टैरिफ, अमेरिकी फर्स्ट इत्यादि अनेकों कारवाई से दुनिया में तहलका मचा हुआ है। अभी 7 अप्रैल 2025 कोई हमने दुनिया के शेयर बाजारों को लहुलुहान होते हुए देखें। दुनिया भर की अर्थव्यवस्था में बवाल मचा हुआ है। ट्रंप ने मैक्सिको और कनाडा को आश्चर्यजनक रूप से कुछ महीनो की छूट देकर दुनिया को तो बहुत चौंका दिया परंतु चीन से टैरिफ वॉर छेड़ा है, वहीं 2 अप्रैल में वह भारत के खिलाफ भी टैरिफ लगा चुके हैं। इस बीच अमेरिका में आने वाले महीनों में मंदी की आशंका गहराती जा रही है। अगर इन दोनों का पेच ज्यादा गहराता है तो भारत के सबसे ज्यादा बढ़ने वाला व्यापार पर गंभीर नकारात्मक असर पढ़ सकता है।
परंतु मेरा मानना है कि इन सब करवाई से हालांकि अनेकों देशों पर नकारात्मक असर होगा, तो अमेरिका भी इससे अछूता नहीं रहेगा। क्योंकि वहां भी मंदी के बादल छाए हुए हैं। अमेरिका द्वारा टैरिफ बढ़ाने से एक बड़ा वर्ग बाधित होगा। अन्य देशों से आने वाली वस्तुओं पर टैक्स बोझ बढ़ने से महंगी हो जाएगी, जबकि घरेलू वस्तुएं पहले से ही महंगी है, तो सबसे पहले उसका उपयोग या उपभोग होगा, जिसका असर अमेरिकी अर्थव्यवस्था पर जरुर पड़ेगा जो रेखांकित करने वाली बात है। दूसरी और हमने देखा कि 7 अप्रैल 2025 को पूरे विश्व के शेयर बाजार लहुलुहान हुए, पर चीन ने रणनीतिक रूप से सरकारी कंपनियों बैंकों के माध्यम से शेयर मार्केट पर इतना असर नहीं पड़ने देने में कामयाब हुआ।
आज यह मुद्दा हम इसलिए उठा रहे हैं, क्योंकि सोमवार को अमेरिकी विभाग द्वारा पुष्टि की यह 104 प्रतिशत टैरिफ मंगलवार (8 अप्रैल 2025) की आधी रात से लागू हो गया है। इसके जवाब में उधर चीन ने भी 34 प्रतिशत टैरिफ बढ़ाकर अब 84 प्रतिशत कर दिया है जो 10 अप्रैल 2025 से लागू कर दिया गया है। भारत में खासकर आईटी क्षेत्र में इसका अधिक असर पड़ेगा, हालांकि अन्य क्षेत्रों में भी असर पड़ने की पूरी संभावना है, इसलिए भारत को चाहिए कि एक रणनीतिक व्यवस्था के तहत सभी पहलुओं को ध्यान में रखकर निर्णय लेने की आवश्यकता है।
भारत को अमेरिका से राजनीतिक संबंधों को मजबूत करने, अच्छे व्यापारिक संबंध बनाए रखनें, विवादों से बचने, विजन 2047 को रेखांकित कर सटीक निर्णय लेने की आवश्यकता है। इसलिए आज हम मीडिया में उपलब्ध जानकारी के सहयोग से इस आलेख के माध्यम से चर्चा करेंगे, टैरिफ वार – ट्रंप ने चीन पर 104 प्रतिशत टैरिफ ठोका- चीन ने यूएस से लड़ाई में भारत से मदद मांगी। दुनिया भर की अर्थव्यवस्था में उथल-पुथल मची – टैरिफ वार तमाम देशों के लिए मुसीबत बना।
साथियों बात अगर हम दुनिया भर में ट्रेडवार बढ़ने की आशंका की करें तो, अमेरिका के राष्ट्रपति ने चीन से आयातित सामानों पर 104 प्रतिशत टैरिफ लगाकर अमेरिका-चीन ट्रेड वॉर को नई ऊंचाई पर पहुंचा दिया है। यह कदम चीन के 34 प्रतिशत जवाबी टैरिफ के बाद आया है, जिसे ट्रंप ने ‘अनुचित व्यापार प्रथाओं’ का जवाब बताया इस टैरिफ से अमेरिकी उपभोक्ताओं पर महंगाई का बोझ बढ़ सकता है, कंपनियां संकट में आ सकती हैं और वैश्विक अर्थव्यवस्था मंदी की चपेट में आ सकती है।
अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने चीन को बड़ा झटका देते हुए 104 प्रतिशत अतिरिक्त टैरिफ लगाने की घोषणा की है, यह टैरिफ मंगलवार आधी रात से प्रभावी हो गया है। जिसके बाद यूएस चाइना ट्रेड वॉर बढ़ गया है। 2 अप्रैल को अमेरिकी प्रेसिडेंट द्वारा टैरिफ की घोषणा करने के बाद चीन ने भी जवाबी 34 प्रतिशत का टैरिफ लगाया था। इसके बाद ट्रंप ने चीन को धमकी दी थी कि वह यदि इस जवाबी टैरिफ को वापस नहीं लेते हैं तो उनके खिलाफ अतिरिक्त टैरिफ लगाया जाएगा। अब ट्रंप प्रशासन ने वैसा ही किया है जैसी उन्होंने धमकी दी थी। बढ़ गई है ट्रेड वॉर की आशंका, अमेरिका- चीन के बीच चल रहे इस टैरिफ युद्ध के कारण दुनिया में ट्रेड वॉर की आशंका बढ़ गई है।
चीन के द्वारा लगातार यह कहा जा रहा है कि वह अमेरिका के सामने नहीं झुकेंगे। ट्रंप प्रशासन के द्वारा लगाए गए इस भारी टैरिफ के बाद चीन भी बड़ा ऐलान कर दिया है। विभिन्न मीडिया की खबरों के अनुसार, कई रिपोर्टों में कहा गया है कि व्हाइट हाउस ने चीन पर 104 प्रतिशत अतिरिक्त टैरिफ लगाया है, जो आधी रात से प्रभावी हो गया है, क्योंकि चीन ने संयुक्त राज्य अमेरिका पर अपना 34 प्रतिशत प्रतिशोधात्मक टैरिफ वापस नहीं लिया है। अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्रुथ सोशल पर ट्रंप ने एक पोस्ट में चीन की आलोचना करते हुए कहा कि बीजिंग ने गलत काम किया, वे घबरा गए, ऐसा कुछ जो वे बर्दाश्त नहीं कर सकते।
उन्होंने कहा था कि चीन को टैरिफ पर बातचीत करना चाहिए, लेकिन इसके बजाय वह घबराहट में काम कर रहा है। 50 प्रतिशत अतिरिक्त टैरिफ लगाने की दी थी धमकी, अमेरिका के राष्ट्रपति ट्रंप ने चीन पर अतिरिक्त 50 प्रतिशत की टैरिफ लगाने की धमकी दी थी। फरवरी महीने में ट्रंप प्रशासन ने 20 प्रतिशत का टैरिफ चीन पर थोपा था। उसके बाद 2 अप्रैल को 34 प्रतिशत का अतिरिक्त टैरिफ लगाया गया। अब फिर से 50 प्रतिशत का नया टैरिफ लगाया है। बता दें कि साल 2018 में ट्रंप के पहले कार्यकाल में भी अमेरिका और चीन के बीच टैरिफ की जंग शुरू हुई थी, जिसका मकसद चीन पर दबाव डालकर उसकी व्यापार नीतियों में बदलाव लाना था। अब 2025 में ट्रंप के दोबारा सत्ता में आने के बाद यह टकराव फिर से तेज हो गया है, इसके साथ ही दुनिया में ट्रेड वॉर की आशंका भी बढ़ गई है।
साथियों बात अगर हम चीन ने यूएस से लड़ाई में भारत से मदद की अपील की करें तो, भारत में चीन की एंबेसी के प्रवक्ता ने यह भी कहा कि वैश्विक व्यापार और विकास के लिए सभी देशों को बहुपक्षीयता का समर्थन करना चाहिए और एकतरफा फैसलों और संरक्षणवाद का विरोध करना चाहिए। उनके अनुसार, इस तरह के टैरिफ युद्ध का कोई विजेता नहीं होता। जहां चीन अमेरिका से सीधा टकराव ले रहा है, वहीं भारत फिलहाल टैरिफ का जवाब टैरिफ से देने के पक्ष में नहीं दिख रहा है। भारत और अमेरिका के बीच एक द्विपक्षीय व्यापार समझौते की दिशा में बातचीत चल रही है, जो दोनों देशों के लिए फायदेमंद हो सकता है।
चीन ने इस संकट के बीच भारत की ओर उम्मीद से देखा है, भारत में चीन की एंबेसी की प्रवक्ता ने कहा कि चीन और भारत दोनों विकासशील राष्ट्र हैं और ऐसे में अमेरिका के टैरिफ जैसे कदम ‘वैश्विक दक्षिण’ देशों के विकास के अधिकार को छीनने की कोशिश हैं। उन्होंने कहा कि भारत और चीन को एकजुट होकर इन चुनौतियों का मुकाबला करना चाहिए। आगे यह भी कहा कि वैश्विक व्यापार और विकास के लिए सभी देशों को बहुपक्षीयता का समर्थन करना चाहिए और एकतरफा फैसलों और संरक्षणवाद का विरोध करना चाहिए। उनके अनुसार, इस तरह के टैरिफ युद्ध का कोई विजेता नहीं होता।

अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर इसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि टैरिफ वार – ट्रंप ने चीन पर 104 प्रतिशत टैरिफ ठोका- चीन ने यूएस से लड़ाई में भारत से मदद मांगी। दुनिया भर की अर्थव्यवस्था में उथल-पुथल मची – टैरिफ वार तमाम देशों के लिए मुसीबत बना। चीन अमेरिका से सीधा टकराव के मूड में है, तो भारत टैरिफ का जवाब टैरिफ से देने के पक्ष में नहीं जो विपक्षीय व्यापार समझौते में कारगर सिद्ध होगा।
(स्पष्टीकरण : उपरोक्त दिए गए विचार लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं। यह जरूरी नहीं है कि कोलकाता हिंदी न्यूज डॉट कॉम इससे सहमत हो। इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है।)
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