कोलकाता | 21 अक्टूबर 2025 : कोलकाता के टेंगरा इलाके में स्थित चीनी काली मंदिर एक ऐसा स्थल है, जहां हिंदू धर्म और चीनी संस्कृति का भावनात्मक और आध्यात्मिक मिलन देखने को मिलता है। मंदिर के पुजारी अर्णब मुखर्जी के अनुसार, इस मंदिर की स्थापना एक चमत्कारिक घटना के बाद हुई थी।
🌟 मंदिर की उत्पत्ति: एक चमत्कार से शुरू हुई श्रद्धा
- करीब 60 साल पहले, एक चीनी बालक गंभीर रूप से बीमार पड़ गया था
- इलाज विफल होने पर उसके परिवार ने एक पेड़ के नीचे रखे पत्थरों की पूजा की
- कुछ ही दिनों में बालक चमत्कारिक रूप से स्वस्थ हो गया
- इसके बाद चीनी समुदाय में देवी काली के प्रति गहरी श्रद्धा जागी
- समुदाय ने चंदा जुटाकर मंदिर का निर्माण कराया
मंदिर के पुजारी अर्णब मुखर्जी ने बताया कि करीब छह दशक पहले एक चीनी बालक काफी गंभीर रूप से बीमार पड़ा था। तमाम इलाज बेअसर हो गए थे। उसके बाद उसके घरवालों ने पेड़ के नीचे रखे उन पत्थरों की पूजा की और बच्चे के ठीक होने का आशीर्वाद मांगा।
🧘♀️ पूजा की विशेषताएं
- मंदिर में नारायण शिला स्थापित है
- भोग पूरी तरह शाकाहारी होता है
- जबकि बंगाल की पारंपरिक काली पूजा में मांस का भोग चढ़ाया जाता है
- यह मंदिर सांस्कृतिक समरसता और आध्यात्मिक विविधता का प्रतीक बन गया है
चीनी काली मंदिर; बीजिंग से आते हैं भक्त
कुछ दिनों बाद वह बच्चा चमत्कारिक रूप से स्वस्थ हो गया। उसके बाद चीनियों में काली देवी के प्रति श्रद्धा रातों-रात बढ़ी और समुदाय के लोगों ने चंदा जुटा कर वहां मौजूदा मंदिर का निर्माण कराया।

मंदिर में नारायण शिला होने के कारण यहां चढ़ने वाला भोग पूरी तरह शाकाहारी होता है। जबकि बंगाल की काली पूजा में मांस का भोग चढ़ाने की परंपरा है।
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