तारकेश कुमार ओझा, खड़गपुर। पूर्व मेदिनीपुर जिला मुख्यालय तमलुक के “आनंदलोक ड्रामेटिक क्लब” के 36वें नाट्य महोत्सव ने संस्कृति की नई ज्योति प्रज्वलित की। पश्चिम बंगाल सरकार के नाट्य अकादमी के सहयोग से सजी यह संध्या, मानो कला और सृजन के सम्मिलन का उज्ज्वल पर्व बन गई।
सुबर्ण जयन्ती भवन के मंच पर एक-एक कर खुलते गए जीवन और समय के रंग। महेशतला की “अन्वेषक” प्रस्तुत कर रही थी मानव संघर्ष की दस्तक – “असमय की कहानी”। फिर आई “लक्ष्या शिल्पकथा” द्वारा युग समाज की गूंज – “वायरल”, जिसमें आधुनिकता की बेचैनी और संवेदना का संगम झलक उठा।
इसके बाद “पांशकुड़ा बिबर्ण प्रेक्षकपथ” का “आदाब”, मानवीय रिश्तों की तहों में उतरने वाला एक कोमल स्पर्श बन उठा और अंततः “हल्दिया प्रतिध्वनि” की “पुनरावृत्ति” ने दर्शकों को चिंतन के सागर में डुबो दिया।

इन नाटकों के बीच जब मंच पर उतरी नृत्य की सौंदर्यधारा – कमलिका चक्रवर्ती और तंद्रिमा अधिकारियों की नृत्य कला – तो समय मानो ठहर-सा गया। उनके पगचालन में लय, भाव और अभिव्यक्ति का ऐसा संगम था, मानो संगीत भी अभिनय का अंग बन गया हो।
उत्सव स्थल सिर्फ दर्शकों से नहीं, बल्कि संस्कार और संवेदना से भी भर गया था। यह मंच केवल अभिनय का नहीं, बल्कि आत्मा की अभिव्यक्ति का था – जहाँ हर संवाद, हर दृश्य, मनुष्य और समाज के सूक्ष्म संबंधों की गवाही देता रहा।
क्लब के पदाधिकारी सुब्रत घोष ने बताया कि दूसरा पर्व दिसंबर की सर्द हवाओं में 11 से 14 तारीख तक चार दिनों तक चलेगा। जहाँ पूरे बंगाल के 16 नाट्य दल अपनी सृजनशीलता का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करेंगे।
तमलुक का यह नाट्योत्सव कलाओं की उस निरंतर धारा का प्रतीक है, जो परंपरा की जड़ों से जुड़कर नित नई दिशाओं में प्रवाहित होती रहती है।
ताज़ा समाचार और रोचक जानकारियों के लिए आप हमारे कोलकाता हिन्दी न्यूज चैनल पेज को सब्स्क्राइब कर सकते हैं। एक्स (ट्विटर) पर @hindi_kolkata नाम से सर्च कर, फॉलो करें।



