अमेरिका ईरान के बीच मस्कट में न्यूक्लियर प्रोग्राम को लेकर वार्ता संपन्न -19 अप्रैल 2025 को फिर बैठक

वार्ता को लेकर ईरान अमेरिका के अलग-अलग दावे- ईरान ने अप्रत्यक्ष वार्ता बताया तो अमेरिका ने प्रत्यक्ष बताया
अंतरराष्ट्रीय मुद्दों को सुलझाने, कूटनीति को सद्भावना, सहयोग व मुद्दे सुलझाने का संकल्प कर, सकारात्मक नतीजों के अंजाम तक लाना जरूरी- अधिवक्ता के.एस. भावनानी

अधिवक्ता किशन सनमुखदास भावनानी, गोंदिया, महाराष्ट्र। वैश्विक स्तर पर चल रही अशांति, युद्ध, बम गोला बारूद के बीच रूस-यूक्रेन इजरायल-गाजा में युद्ध व लेबनान सीरिया व यमन में अशांति के बीच एक सकारात्मक पहलू हुआ कि ओमान की राजधानी मस्कट में ईरान अमेरिका के बीच न्यूक्लियर प्रोग्राम को लेकर वार्ता हुई, जिसे ईरान ने अप्रत्यक्ष वार्ता बताया तो अमेरिका ने प्रत्यक्ष बताया, जिसकी चर्चा हम नीचे पैराग्राफ में करेंगे। लंबे समय से दुश्मन रहे ईरान और अमेरिका शनिवार (12 अप्रैल, 2025) को मस्कट में संभावित परमाणु समझौते पर पहुंचने के उद्देश्य से वार्ता किए हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति ने सोमवार (7 अप्रैल, 2025) को चौंकाने वाली घोषणा की थी।

परंतु मेरा मानना है कि दुनिया के हर देश को वैश्विक शांति के लिए ज़रूरत के अनुसार चार कदम पीछे हटना चाहिए व पावर दिखाने वाले देशों को भी नम्र होकर शांति समझौते करना समय की मांग है। चूँकि अमेरिका ईरान के बीच मस्कट में न्यूक्लियर प्रोग्राम को लेकर वार्ता हुई,जो 19 अप्रैल 2025 को फिर बैठने का निर्णय लिया गया है, इसलिए आज हम मीडिया में उपलब्ध जानकारी के सहयोग से इस आलेख के माध्यम से चर्चा करेंगे अंतरराष्ट्रीय मुद्दों को सुलझाने, कूटनीति को सद्भावना, सहयोग, मुद्दे सुलझाने का संकल्प कर सकारात्मक नतीजे के अंजाम तक लाना जरूरी है। बता दें यह पूरी जानकारी मीडिया में अपडेट्स के सहयोग से उठाई गई है।

साथियों बात अगर हम मस्कट में 12 अप्रैल 2025 को हुई वार्ता की करें तो, ईरान और अमेरिका के दूतों ने शनिवार को ओमान में तेहरान के तेजी से बढ़ते परमाणु कार्यक्रम पर बातचीत शुरू की। हालांकि तत्काल कोई समझौता होने की संभावना नहीं थी,लेकिन दोनों देशों के बीच आधी सदी से चली आ रही दुश्मनी के कारण बातचीत में बहुत कुछ दांव पर लगा हुआ है। हाल के दिनों में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ईरान को धमकी दे रहे हैं कि अगर वह अपने परमाणु कार्यक्रम पर अमेरिका के साथ आम सहमति बनाने में विफल रहता है तो वह ईरान को ऐसा करने से रोकेगा। राष्ट्रपति ट्रंप ने बार-बार ईरान के परमाणु कार्यक्रम को निशाना बनाते हुए तेहरान पर हमला करने की धमकी दी है, यदि समझौता नहीं हुआ, इस पर ईरान ने चेतावनी दी है कि वह हथियार स्तर के करीब संवर्धित अपने यूरेनियम भंडार के साथ परमाणु हथियार बनाने की कोशिश कर सकता है।

ईरान ने वार्ता को ‘अप्रत्यक्ष’ बताया, ईरानी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने एक बयान में कहा, ये वार्ता ओमानी मेजबान द्वारा नियोजित स्थान पर होगी, जिसमें इस्लामी गणराज्य ईरान और संयुक्त राज्य अमेरिका के प्रतिनिधि हॉल और किनारों में बैठेंगे, तथा ओमानी विदेश मंत्री के माध्यम से एक-दूसरे को अपने विचार और स्थिति से अवगत कराएंगे, जबकि ट्रंप और विटकॉफ दोनों ने वार्ता को प्रत्यक्ष बताया है, ईरानी पक्ष इसे अप्रत्यक्ष वार्ता कहता है। लेकिन दोनों दलों के बीच सीधी वार्ता नहीं हो रही है। दोनों दल अलग-अलग कमरों में बैठे हैं और वे ओमान के विदेश मंत्री के जरिये वार्ता कर रहे हैं। यह जानकारी ईरानी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने एक्स पर दी है।

साथियों बात अगर हम ईरान अमेरिका वार्ता के बैकग्राउंड की करें तो, अमेरिका-ईरान के बीच तनाव गहराता जा रहा है। इस बीच ईरान की शनिवार को अमेरिका के साथ ओमान में बातचीत हुई है। ओमान में हुई इसी बैठक को लेकर ईरान ने बड़ा बयान दिया था। विदेश मंत्री ने कहा था कि ईरान ईमानदारी से न्यूक्लियर डील को अंतिम रूप देने के इरादे से बातचीत में शामिल होने को तैयार है, लेकिन साथ ही उन्होंने साफ किया कि ये वार्ता सीधी नहीं बल्कि अप्रत्यक्ष होगी और अमेरिका को पहले ये मानना होगा कि सैन्य विकल्प कोई विकल्प नहीं है। हाल ही में अमेरिका के राष्ट्रपति ने ईरान को न्यूक्लियर डील पर बातचीत कहने को कहा था और साथ ही धमकी दी थी कि अगर ऐसा नहीं हुआ तो ईरान को बमबारी का सामना करना पड़ेगा।

ट्रंप की चेतावनी थी, बात नहीं बनी तो भुगतना होगा, अमेरिकी राष्ट्रपति ने सोमवार को व्हाइट हाउस में इजराइली प्रधानमंत्री से मुलाकात के दौरान वार्ता का खुलासा करते हुए चेतावनी दी थी कि अगर बातचीत नाकाम रही, तो ईरान के लिए ये बहुत बुरा दिन होगा। ईरान के विदेश मंत्री ने वॉशिंगटन पोस्ट में प्रकाशित एक लेख में लिखा है कि हमारा देश गर्वित है और दबाव या धमकी के आगे नहीं झुकेगा। उन्होंने कहा कि अमेरिका अगर ईमानदार है, तो उसे साबित करना होगा कि वह डील को निभाएगा, ईरान कभी भी परमाणु हथियारों की दिशा में नहीं बढ़ा, लेकिन हम अपनी मंशा को लेकर स्पष्टीकरण देने को तैयार हैं।

साथियों बात अगर हम ईरान अमेरिका तनाव में इजरायल की एंट्री की करें तो, ईरान अमेरिका के बीच चल रही तनातनी में अब इजराइल ने भी एंट्री मार ली है। दरअसल इजराइल के प्रधानमंत्री ने कहा है कि वह ईरान के लिए लीबिया जैसा मॉडल चाहते हैं, जहां अमेरिका खुद जाकर परमाणु स्थलों को खत्म करे, उन्होंने कहा है कि अगर अमेरिका के साथ ईरान की बात नहीं बनी, तो सैन्य कार्रवाई तय है। ईरान की दो टूक- न डील खत्म करेंगे, न झुकेंगे। ईरानी अधिकारियों ने बीबीसी को बताया कि वे अपने परमाणु कार्यक्रम को कभी नहीं खत्म करेंगे और लीबिया मॉडल किसी भी हालत में स्वीकार नहीं होगा। उन्होंने यह भी दोहराया कि उनका परमाणु कार्यक्रम पूरी तरह शांतिपूर्ण है। 2015 की डील से बाहर निकलने के बाद अमेरिका और ईरान के रिश्तों में तल्खी बढ़ती गई है। जो अभी 19 अप्रैल को देखना होगा।

साथियों बात अगर हम देर रात मीडिया में आई जानकारी के अनुसार वार्ता के नतीजे की करें तो, अमेरिका के राष्ट्रपति के तौर पर ट्रंप के दूसरे कार्यकाल में, ईरान के परमाणु कार्यक्रम को लेकर दोनों देशों के बीच हुई पहली सीधी वार्ता में इस मुद्दे पर 19 अप्रैल को और चर्चा करने पर सहमति बनी है। ईरान के विदेश मंत्री ने यह जानकारी दी। ईरान के सरकारी टेलीविजन की खबर के मुताबिक, वार्ता के अंत में अमेरिका के पश्चिम एशिया में दूत स्टीव विटकॉफ और ईरान के विदेश मंत्री अब्बास अराघची ने ओमान के विदेश मंत्री की उपस्थिति में संक्षिप्त बातचीत की। इससे दशकों से तनावपूर्ण संबंध वाले दोनों देशों के बीच सीधी वार्ता होने का संकेत मिलता है।

मीडिया के अनुसार अमेरिकी अधिकारियों ने ईरान की ओर से आ रही खबरों की तत्काल पुष्टि नहीं की है। खबरों के मुताबिक, दोनों पक्षों ने ओमान के बाहरी इलाके में एक स्थान पर दो घंटे से अधिक समय तक बातचीत की, दोनों देशों के बीच करीब 50 साल से जारी दुश्मनी के बीच बातचीत का महत्व और भी बढ़ गया है। बता दें बघेई ने कहा था, हम कूटनीति को एक वास्तविक और ईमानदार अवसर दे रहे हैं, ताकि बातचीत के माध्यम से हम एक ओर परमाणु मुद्दे पर आगे बढ़ सकें, और दूसरी ओर हमारे लिए अधिक महत्वपूर्ण बात यह है कि प्रतिबंधों को हटाया जाए।

बघेई ने कहा था, देखिए, यह तो बस एक शुरुआत है। इसलिए यह स्वाभाविक है कि इस चरण में दोनों पक्ष ओमानी मध्यस्थ के माध्यम से अपनी मौलिक स्थिति प्रस्तुत करेंगे। इसलिए हमें उम्मीद नहीं है कि वार्ता का यह दौर लंबा चलेगा। इससे पहले अराघची ने ईरानी पत्रकारों से बात की थी। एक आधिकारिक समाचार एजेंसी इरना द्वारा जारी एक ऑडियो क्लिप में अराघची ने कहा, अगर दोनों पक्षों में पर्याप्त इच्छाशक्ति है, तो हम कार्यक्रम तय करेंगे। लेकिन इस बारे में बात करना अभी भी जल्दबाजी होगी।

एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी : संकलनकर्ता, लेखक, कवि, स्तंभकार, चिंतक, कानून लेखक, कर विशेषज्ञ

अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर इसका विशिष्ट ना करें तो हम पाएंगे कि अमेरिका ईरान के बीच मस्कट में न्यूक्लियर प्रोग्राम को लेकर वार्ता संपन्न- 19 अप्रैल 2025 को फिर बैठक। वार्ता को लेकर ईरान अमेरिका के अलग-अलग दावे – ईरान ने अप्रत्यक्ष वार्ता बताया तो अमेरिका ने प्रत्यक्ष बताया।अंतरराष्ट्रीय मुद्दों को सुलझाने, कूटनीति को सद्भावना, सहयोग व मुद्दे सुलझाने का संकल्प कर, सकारात्मक नतीजों के अंजाम तक लाना जरूरी।

(स्पष्टीकरण : उपरोक्त दिए गए विचार लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं। यह जरूरी नहीं है कि कोलकाता हिंदी न्यूज डॉट कॉम इससे सहमत हो। इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है।)

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