बातें बाइस्कोप की….. “रिश्ते में तो हम तुम्हारे बाप लगते हैं, नाम है शहंशाह!”…

श्याम कुमार राई ‘सलुवावाला’ : एक फिल्म का बेहद ही लोकप्रिय संवाद का जन्म मतभेद के कारण हुआ। सुनने में अजीब और अविश्वसनीय लग सकता है। पर ये सच है। ऐसा ही हुआ है।
जी हां, मैं फ़िल्म ‘शहंशाह’ की बात कर रहा हूं। ‘शहंशाह’ अपने समय की बहुत ही सफल फिल्म रही है। फिल्म का एक बेहद ही लोकप्रिय संवाद — “रिश्ते में तो हम तुम्हारे बाप लगते हैं, नाम है शहंशाह।” इसी संवाद से जुड़ा दिलचस्प किस्सा बताने जा रहा हूं।

‘शहंशाह’ फिल्म के किसी दृश्य के संवाद पर पिता-पुत्र अर्थात संवाद लेखक इंदरराज आनंद (पिता) और फिल्म के निर्देशक टीनू आनंद (पुत्र) के बीच बहस चल रही थी। दोनों एक दूसरे से असहमत थे। बात बन नहीं रही थी। दोनों अपनी-अपनी बात पर अड़े थे। तभी, इसी बहस के बीच इंदरराज आनंद ने टीनू आनंद से कहा, “रिश्ते में तो हम तुम्हारे बाप लगते हैं …।” इतना कहते-कहते वे अचानक चुप हो गए। उनके दिमाग में एक विचार कौंधा, अरे ये तो फिल्म में नायक द्वारा कहा जाने वाला जोरदार संवाद हो गया।

फिर क्या था यह पंक्ति अमिताभ बच्चन के मुंह से फिल्म के पर्दे पर गूंजा — “रिश्ते में तो हम तुम्हारे बाप लगते हैं, नाम है शहंशाह।” संवाद परदे पर आते ही लोगों की जुबान पर चढ़ गया। सन् 1988 में प्रर्दशित फिल्म ‘शहंशाह’ का यह संवाद लोग आज भी रोजमर्रा के बोलचाल में जहां सही बैठता है वहीं चिपका देते हैं। मेरा मतलब बोलते हैं और अमिताभ का ‘हई’ भी बोलना नहीं भूलते।

श्याम कुमार राई ‘सलुवावाला’

आप लोगों में से जो नहीं जानते हैं उनकी जानकारी के लिए बतादूं कि इस फिल्म की कहानी अभिनेत्री जया (भादुड़ी) बच्चन ने लिखी थी।
और सबसे ताजी खबर ये है कि इस फिल्म को दोबारा बनाने की बात चल रही है। अभी अंतिम रूप से तय नहीं हुआ है।
तो अब इजाजत चाहूंगा। फिर मिलेंगे, धन्यवाद।

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