उज्जवल भविष्य निर्माण का मार्ग तलाश करना

आशावादी ढंग से पिछले समय के अनुभव से सबक लेकर हमें विचार विमर्श करते हुए

विश्व कल्याण नहीं खुदगर्ज़ी में अंधे हम लोग

सोच कर दिल घबराता है कि हम कहां से चले थे हमको किधर जाना था

हिंदी, हिंदीं दिवस और हिंदी वाले

मेरी ज़िंदगी गुज़री है हिंदी में लिखते लिखते। 44 साल से तो नियमित लिखता रहा

एक रुपये की इज़्ज़त का सवाल

इधर लोग अपनी इज़्ज़त की बात लाखों नहीं करोड़ों में करने लगे थे। मानहानि के

प्रवासियों के लिए आगे कुआं पीछे खाई

आज पूरे देश के विभिन्न राज्यों में जितने भी प्रवासी मजदूर लॉक डाउन के दौरान

हैवानियत शर्मसार नहीं

समझते हैं अभी भी दुनिया उन्हीं से है जिनको नहीं खबर आना जाना किधर से

देश के सबसे बड़े हिंदी पट्टी यूपी में ही हिंदी कमजोर

आज कलम के जादूगर, उपन्यास सम्राट मुंशी प्रेमचंद जी की जयंती पर बहुत ही दुःख

1 Comments

राजनीतिक पहचान के लिए भटकता बिहार का दलित पान समाज

एक सभ्य समाज के लोगों में सामाजिक और राजनीतिक चेतना का होना बहुत ही जरूरी

सावधान दोस्तों ! मुश्किल दौर में है  देश …!!

वाकई, यह बड़ा मुश्किल दौर है दोस्तों। चौतरफा मुसीबतें देश को घेरती जा रही है,

कभी खुद को भी देखो दर्पण में 

उसने क्या किया किस किस ने क्या किया सब की बात कहते हैं खुद तुमने