निर्गुण ज्ञानाश्रयी भक्ति के प्रवर्तक महात्मा कबीरदास की जयंती पर विशेष…

“कहत कबीर सुनो भाई साधु, संग चले ना रे ढेला। उड़ जा हंस अकेला।।” –