राजीव कुमार झा की कविता : युद्धभूमि

।।युद्धभूमि।। राजीव कुमार झा अरी प्रिया तुमसे जीवन की सारी अच्छी बात सुनें आदमी जीवन

राजीव कुमार झा की कविता : बीता पहर

।।बीता पहर।। राजीव कुमार झा जलती किताबों को बुझाकर बच्चे घर लौट आये उस बीते

राजीव कुमार झा की कविता : चांदनी का गांव

।।चांदनी का गांव।। राजीव कुमार झा इस धूप में कहीं मन को चैन मिलता प्यार

बच्चों की कलम से- कविता : ‘आयी परीक्षा, निकला दम, खेल-कूद हो गया कम’

।।आयी परीक्षा, निकला दम, खेल-कूद हो गया कम।। सूर्यकांत प्रसाद आयी परीक्षा, निकला दम, खेल-कूद

राजीव कुमार झा की कविता : जिंदगी के तराने

।।जिंदगी के तराने।। राजीव कुमार झा प्रेम की नदी सुबह बहती चली आती इसकी धारा

राजीव कुमार झा की कविता : दीवाना

।।दीवाना।। राजीव कुमार झा नर्म अहसासों से सुबह रोशनी मन को जगाती अंधेरे में सितारों

राजीव कुमार झा की कविता : धान की क्यारी

।।धान की क्यारी।। राजीव कुमार झा पहली नजर में निगाहें तुम्हारी जिंदगी के रंगो नूर

राजीव कुमार झा की कविता : जंगल

।।जंगल।। राजीव कुमार झा कस्तूरी की गंध महकती हिरनी उसे ढूंढने कड़ी धूप में मारी-मारी

डी.पी. सिंह की रचनाएं

ज्ञान-दीप अज्ञान-तिमिर से डट कर सारी रात लड़ा जारी था प्रतिरोध तमस का, दीप तले

राजीव कुमार झा की कविता : जिंदगी की डोर

।।जिंदगी की डोर।। राजीव कुमार झा कभी मुहब्बत जिंदगी का पैगाम हो जाता तुम्हारे साथ