रामा श्रीनिवास ‘राज’ की गज़ल

जहाँ हैरतों का शहर कुछ नहीं, दिलों को वहाँ दर-बदर कुछ नहीं। चला हूँ खुदी

पारो शैवलिनी की गजल : तुम्हें जब से

तुम्हें जब से छाया है नशा मुझपे देखा है तुम्हें जबसे, काबू में नहीं दिल

गोपाल नेवार, “गणेश” सलुवा की गज़ल

भूली बिसरी पलों की जब याद आती है तन्हाई में अपनों की बहुत याद आती