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मेरी ज़िंदगी गुज़री है हिंदी में लिखते लिखते। 44 साल से तो नियमित लिखता रहा
दो पक्ष बन गये थे और तमाम प्रयास करने पर भी कोई निर्णय हो नहीं
इधर लोग अपनी इज़्ज़त की बात लाखों नहीं करोड़ों में करने लगे थे। मानहानि के
दुनिया अनुभव से सबक सीखती है और अनावश्यक अनुपयोगी अतार्किक बातों से पल्ला झाड़कर सही
बात दो राक्षसों की कहानी की है कहानी की शुरुआत कुछ साल पहले हुई। हर
शहंशाह का मूड आज बदला बदला है आज खास बैठक में बात आत्मनिर्भर बनाने की
समझते हैं अभी भी दुनिया उन्हीं से है जिनको नहीं खबर आना जाना किधर से
चिट्ठी लिखी है मां ने बेटे के नाम। सबसे ऊपर लिखा है राम जी का
पहला सवाल :- भाजपा नेताओं को लॉक डाउन के नियम से छूट कैसे है। क्या
जहां कहीं भी हो देश की व्यवस्था को तुम्हारी तलाश है। खोजने वाले को ईनाम