‘तब गुरु तेग बहादुर थे, अब तेरी मेरी बारी है’ – राष्ट्रीय कवि संगम ने काव्योत्सव द्वारा सबको सतर्क करने का प्रयास किया

गुरु तेग बहादुर को उनके बलिदान दिवस पर स्मरण किया राष्ट्रीय कवि संगम ने काव्य गोष्ठी के द्वारा

कोलकाता । गुरु तेग बहादुर के बलिदान दिवस पर काव्य गोष्ठी के माध्यम से सिक्खों के नौवें गुरु के बलिदान को पुनः तरोताजा करने का प्रयास किया – ‘राष्ट्रीय कवि संगम’ की मध्य कोलकाता इकाई ने। संस्था के प्रांतीय अध्यक्ष डॉ. गिरिधर राय ने कार्यक्रम की अध्यक्षता का भार सम्भाला एवं अत्यंत ही कुशल संचालन किया सौमि मजुमदार ने। कार्यक्रम का शुभारम्भ – जिला संरक्षक उमेश चंद तिवारी द्वारा सरस्वती वन्दना की प्रस्तुति के साथ हुआ। तत्पश्चात जिला महामंत्री स्वागता बसु ने स्वागत भाषण दिया जिसके पश्चात विभिन्न उत्कृष्ट कवियों ने अपने-अपने काव्य सुमन चढ़ाकर इस कार्यक्रम की शोभा बढ़ाई। काव्य गोष्ठी का आगाज़ करते हुए नवांकुर सृजता बसु ने अंग्रेजी भाषा पर अपनी श्रृंगार रस की कविता सुनाकर सभी का मन मोह लिया। फिर वन्दना पाठक ने अपनी वीर रस की कविता ‘हुए शहीद सीमा पर जो, मैं उनकी याद दिलाती हूँ’ सुनाकर माहौल को ओजपूर्ण कर दिया।

उसके बाद आलोक चौधरी ने विशेष रूप से गुरु तेग बहादुर के बलिदान पर अपनी रचना सुनाई ‘तब गुरु तेग बहादुर थे, अब तेरी मेरी बारी है’ और सभी से सतर्क रहने का निवेदन किया। फिर रमाकांत सिन्हा ने इसी क्रम में ‘आग पानी में तुम न लगाया करो’ सुनाकर लव जिहाद में फंसती बालिकाओं को सचेत किया। पारिवारिक रचनाओं की श्रृंखला में वरिष्ठ कवि डॉ. चंद्रिका प्रसाद ‘अनुरागी’ ने ‘पिताजी थे बरगद की छाँव’ सुनाकर संतान के जीवन में एक पिता के महत्व को समझाने का प्रयास किया एवं देवेश मिश्र ने ‘भीनी भीनी भवति चली जो ससुराल’ सुनाकर विवाह के दौरान बेटी की विदाई का दृश्य सभी के सम्मुख जीवंत कर दिया।

जिला महामंत्री स्वागता बसु ने ‘उम्र की दहलीज़ से इक दिन उतर रहा है’ सुनाकर तालियाँ बटोरी और सौमि मजुमदार ने अपनी हार से सभी को सीखने का सन्देश दिया। कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि प्रांतीय महामंत्री राम पुकार सिंह ने ‘वादा करो किसी से गर, वादे को निभाओ’ सुनाकर सभी को वादे की अहमियत से अवगत करवाया और कार्यक्रम की मुख्य अतिथि प्रांतीय उपाध्यक्ष श्यामा सिंह ने ‘नफ़रत पर प्यार का मुलम्मा’ चढ़ाने की बात कहकर बदलते दौर में इंसानों के दोगलेपन को दर्शाया। जिला संरक्षक उमेश चंद तिवारी ने अपनी रचना ‘वक़्त यूँही अब गुज़रता नहीं, कहूं भी तो मैं किससे कहूं’ सुनाकर वर्तमान परिस्थितियों में इंसान की असमर्थता को दर्शाया।

कार्यक्रम उस समय अपने चरमोत्कर्ष पर पहुँच गया जब प्रांतीय अध्यक्ष डॉ. गिरधर राय ने ‘ट्रेन हादसे’ पर अपनी हास्य व्यंग्य कविता सुनाई और सभी को वर्तमान शासन प्रणाली की दयनीय स्थिति का सजीव चित्रण प्रस्तुत किया। इन कवियों के अतिरिक्त, पायल प्रजापति, नौसीन परवीन, विनीत श्रीवास्तव एवं डॉ. शिप्रा मिश्रा ने भी अपनी रचनाओं से सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया। श्रोताओं के रूप में उपस्थित होकर – हिमाद्री मिश्र, दिलीप कुमार, जूही मिश्रा, पुष्पा साव, बीर बहादुर सिंह एवं आशीष चौधरी ने भी सभी रचनाकारों को भरपूर प्रोत्साहित किया। अंत में जिला अध्यक्ष रामाकांत सिन्हा ने सभी का धन्यवाद ज्ञापन कर यह अभूतपूर्व कार्यक्रम सुसम्पन्न किया।

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