इस साल दिव्य यात्रा में शामिल हुए श्रद्धालुओं को राहत देने के लिए सनफीस्ट की ओर से सूर्य वरदान टोपियां बांटी गई
कोलकाता, 28 जून 2025: पुरी की रथ यात्रा भारत के सबसे प्रतिष्ठित आध्यात्मिक उत्सवों में से एक है। यह एक ऐसा क्षण है जब लाखों लोग भगवान जगन्नाथ के पवित्र रथ के पीछे अटूट आस्था के साथ चलते हैं। इस साल सनफीस्ट मैरी लाइट ने एक विचारशील कदम के साथ इस कालातीत परंपरा में सहयोग का बीड़ा उठाया।
रथ यात्रा के दौरान, जब तीर्थयात्री चिलचिलाती गर्मी में लंबे समय तक खड़े रहे, तब उन्हें राहत देने के लिए सनफीस्ट सूर्य वरदान श्रद्धा के प्रतीक के रूप में उभरा। ब्रांड ने आस्था से भरपूर और सूर्य की कृपापात्र सूर्य वरदान टोपियां बांटीं, जिन्होनें यात्रा के दौरान ठंडक का एहसास दिया। यह टोपी चंदन और मेन्थॉल की शीतलता देने वाली परत के साथ से तैयार की गई है।

जब सूर्य की किरणें सनफीस्ट सूर्य वरदान टोपी पर पड़ती हैं, तो यह टोपी में मेन्थॉल कूलिंग को सक्रिय करती है। इसलिए गर्मी की बजाय, सूर्य की किरणें शीतलता का अनुभव कराती हैं। इसके साथ ही आप चंदन की मनमोहक सुगंध का अनुभव करते हैं, जिससे भक्त भक्ति से भरे शीतल मस्तिष्क के साथ दिव्य यात्रा में भाग ले सके।
आईटीसी लिमिटेड के बिस्कुट और केक क्लस्टर, खाद्य प्रभाग के मुख्य परिचालन अधिकारी श्री अली हैरिस शेरे ने कहा, “सूर्य ऊर्जा, प्राण और जीवन का प्रतीक है और यही हमारे ब्रांड का केंद्र है। सनफीस्ट मैरी लाइट में, हमारे बिस्कुट धूप से तैयार गेहूं से बने होते हैं, और हम अपने हर काम में गर्मजोशी और देखभाल की भावना रखते हैं। सूर्य वरदान टोपी पुरी रथ यात्रा के भक्तों को आराम प्रदान करते हुए परंपरा का सम्मान करने का हमारा तरीका है”
रथ यात्रा में ज़मीनी स्तर पर स्थापित अनुभव क्षेत्रों से हज़ारों टोपियाँ वितरित की गईं। तीर्थयात्रियों ने इस प्रसाद को सहर्ष स्वीकार किया – न केवल इसकी उपयोगिता के लिए बल्कि इसके प्रतीकात्मक संदेश के लिए कि जिस शक्ति के नीचे वे चलते हैं, उसी से उनका पोषण होता है।
लोकप्रिय ओडिया अभिनेत्री अर्चिता साहू भी इस यात्रा के दौरान सनफीस्ट मैरी लाइट के साथ शामिल हुईं और इस पहल को अपना समर्थन दिया। उन्होंने ज़मीनी गतिविधियों में भाग लिया और सनफीस्ट सूर्य वरदान टोपियाँ वितरित करने में मदद की।
जैसे ही सूरज ने पुरी की सड़कों को रोशन किया, सनफीस्ट सूर्य वरदान एक शांत, विचारशील उपस्थिति बन गई – भक्तों के साथ चलते हुए, हर कदम पर उनका साथ देते हुए और उन्हें स्मरण कराते हुए कि ईश्वर की न केवल पूजा की जानी चाहिए, बल्कि देखभाल के हर संकेत में उनका अनुभव किया जाना चाहिए।
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