छठ महापर्व की विशेष जानकारी 

वाराणसी। छठ महापर्व का समापन 28 अक्टूबर को होगा। छठ महापर्व की शुरुआत कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि से होती है और यह चार दिन धूमधाम के साथ उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ ही इसका समापन हो जाता है। 28 अक्टूबर मंगलवार के दिन उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ ही छठ महापर्व का समापन हो जाएगा।

📍छठ व्रत का पारण कैसा करें?
📌 छठ महापर्व के आखिरी दिन उगते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। इस दिन घाट पर पूजन किया जाता है। इस दिन उगते सूर्य को अर्घ्य दें। इसके बाद छठी माता को अर्पित किया गया प्रसाद सभी को बांटें। घाट पर पूजन करने के बाद अपने घर के बड़े बुजुर्गों से आशीर्वाद लें।

📍छठी माता को आप जो प्रसाद भेट करें फिर उस प्रसाद को सभी लोगों को बांट दें। इस बात का खास ख्याल रखें की व्रत का पारण करते हुए मसालेदार भोजन ग्रहण नहीं करना चाहिए। व्रत का पारण के लिए आपको पूजा के दौरान चढ़ाए गए प्रसाद जैसे ठेकुआ मिठाई आदि से ही व्रत का पारण करना चाहिए।

📍व्रत पारण से पहले क्या करें?
📌 छठ के व्रत का पारण करने से पहले सूर्योदय से पहले का स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण कर लें।
इसके बाद सूर्योदय से पहले ही पारण के लिए प्रसाद तैयार कर लें। प्रसाद में ठेकुआ, फल, दूध आदि चीजें शामिल की जाती हैं।

📍छठ पर सुबह को अर्घ्य देने का महत्व :
📌 छठ के आखिरी दिन सुबह-सुबह अर्घ्य दिया जाता है। दरअसल सनातन धर्म में उगते सूर्य को अर्घ्य देने का बहुत महत्व है। यह आध्यात्मिक रूप से भी महत्वपूर्ण माना जाता है। छठ के अंतिम दिन सुबह सूर्य को अर्घ्य उनकी पत्नी ऊषा के लिए दिया जाता है जो कि मनोकामना पूर्ण करती हैं।

📍वेदों में भी सूर्य का महत्व बताया गया है। उन्हें संसार की आत्मा बताया गया है इसका कारण है कि सूर्य ही एनर्जी का सबसे बड़ा सोर्स है। इसलिए जब भी हम सुबह-सुबह सूर्य को अर्घ्य देते हैं उनकी पॉजिटिव एनर्जी को अपनी जीवन में आने का मौका देते हैं।
सूर्य को सुबह अर्घ्य देने से जीवन से नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है और रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ती है।

📍बिहार, झारखंड और उत्तर प्रदेश का लोकप्रिय पर्व है छठ पूजा
📌 छठ पूजा बिहार, झारखंड और उत्तर प्रदेश में बेहद खास और लोकप्रिय पर्व है। इसे लोक आस्था का सबसे बड़ा त्योहार माना जाता है। इस पर्व में महिलाएं और पुरुष दोनों ही व्रत रखते हैं और सूर्य देव व छठी मइया की पूजा करते हैं। घाटों पर व्रती गीत गाते हुए डूबते और उगते सूरज को अर्घ्य देते हैं।

📌 पूरे माहौल में भक्ति, संगीत और उल्लास का रंग छा जाता है। छठ पूजा न सिर्फ धार्मिक आस्था से जुड़ी है, बल्कि यह स्वच्छता, अनुशासन और सामूहिक एकता का प्रतीक भी है। यही वजह है कि इस पर्व को पूरे जोश और श्रद्धा से मनाया जाता है।

ज्योतिर्विद रत्न वास्तु दैवज्ञ
पंडित मनोज कृष्ण शास्त्री
मो. 99938 74848

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