सौमेन रॉय की रचना : आस्था

।।आस्था।।

वो क्या जाने तुम्हारी कीमत
तुम तो हो अनमोल
कीमती हो जानते हैं वह
इसलिये भाव लगाते हैं नापतोल
बदनामी भी उसकी होती, जो है नाम के काबिल
हाँ दोस्त तेरी शिकायतों की कारवां से आगे है मेरी मंजिल
खुद को खुदा न समझो, वो देख रहा सब कुछ और सब की मंजिल
वहां हर हिसाब बराबर होता है, जहां रखें कदम मेरे कृष्णा
खुशी से मन झूम उठा है मेरा और चारो और गुंजे बस कान्हा ही कान्हा
हे मुरीधर अपना लो मुझे, मेरा सब कुछ है तुम्हारा
जब छूटे, सब छूटे न छूटे नाम, कृष्णा

saumen rai
सौमेन रॉय, कवि

©®सौमेन रॉय सर्वाधिकार सुरक्षित

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