Elderly man dies due to fear of Sir? Controversy erupts again in West Bengal

SIR के डर से बुजुर्ग की मौत? पश्चिम बंगाल में फिर उठा विवाद

इलमबाजार, बीरभूम | 31 अक्टूबर 2025 — पश्चिम बंगाल में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) को लेकर एक और दर्दनाक घटना सामने आई है। पानीहाटी के बाद अब बीरभूम के इलमबाजार में 95 वर्षीय क्षितिज चंद्र मजूमदार की मौत ने राज्य में SIR प्रक्रिया की सामाजिक और मानसिक प्रभावों पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।

🧓 मृतक की पृष्ठभूमि

  • नाम: क्षितिज चंद्र मजूमदार
  • उम्र: 95 वर्ष
  • पेशे: बढ़ई
  • मूल निवासी: तोरापारा गांव, पश्चिम मेदिनीपुर
  • 1971 में ऊपरी बंगाल से आए थे, और तब से बंगाल में रह रहे थे
  • पिछले 5 महीने से बेटी के घर इलमबाजार में रह रहे थे
घटना की खबर मिलते ही तृणमूल कांग्रेस का एक प्रतिनिधिमंडल बुजुर्ग के घर गया और इस घटना के लिए भाजपा और केंद्र सरकार को जिम्मेदार ठहराया. वहीं, भाजपा ने भी इसके लिए तृणमूल को जिम्मेदार ठहराया है.

🏠 घटना का विवरण

  • गुरुवार सुबह इलमबाजार के सुभाष पल्ली स्थित घर से शव बरामद
  • पोस्टमार्टम रिपोर्ट का इंतज़ार, लेकिन परिवार ने SIR से जुड़ी मानसिक चिंता को कारण बताया
  • 2002 में उनका नाम मतदाता सूची से गायब था, बाद में जोड़ा गया
  • SIR के दौरान अफवाहें कि नाम न होने पर बांग्लादेश भेजा जा सकता है, उन्हें मानसिक रूप से परेशान करती रहीं

मृतक का घर पश्चिम मेदिनीपुर जिले के कोतवाली थाना अंतर्गत तोरापारा गांव में है. इसी दिन इलमबाजार थाने की पुलिस ने उनका शव बरामद किया. शव को पोस्टमार्टम के लिए बोलपुर उपजिला अस्पताल भेज दिया गया है. पुलिस सूत्रों ने बताया कि पोस्टमार्टम के बाद मौत का असली कारण पता चलेगा.

🗣️ राजनीतिक प्रतिक्रिया

  • तृणमूल कांग्रेस ने घटना के लिए भाजपा और केंद्र सरकार को जिम्मेदार ठहराया
  • भाजपा ने पलटवार करते हुए तृणमूल की प्रशासनिक विफलता को दोषी बताया
  • परिवार की चिंता: बेटी और पोती डरी हुई हैं, उन्हें डर है कि उनका नाम भी सूची से हटाया जा सकता है

परिवार का आरोप है कि इस घटना के लिए मतदाता सूची का विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) जिम्मेदार है. उन्होंने बताया कि क्षितिज चंद्र मजूमदार 1971 में ऊपरी बंगाल से अपने परिवार के साथ पश्चिम बंगाल आ गए थे. उसके बाद वे पश्चिमी मेदिनीपुर के निवासी बन गए. वे पेशे से बढ़ई थे.

कुछ समय पहले उनकी पत्नी का निधन हो गया था. बेटी पुतुल बिस्वास की शादी सुभाषपल्ली, स्कूल बागान, इलमबाजार, बीरभूम में हुई थी. वृद्ध 5 महीने पहले अपनी बेटी के घर आए थे.

📞 प्रशासन और आयोग की भूमिका

  • पुलिस ने शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजा, जांच जारी
  • चुनाव आयोग ने पहले ही हेल्पलाइन 1950 शुरू की है, लेकिन जमीनी स्तर पर डर और भ्रम बना हुआ है
  • SIR प्रक्रिया को लेकर पारदर्शिता और संवेदनशीलता की मांग बढ़ रही है

परिवार का दावा है कि 2002 में उनका नाम मतदाता सूची में नहीं था. हालांकि, बाद में उनका नाम मतदाता सूची में शामिल हो गया.

उन्होंने कई बार मतदान भी किया. 2002 में SIR के दौर में, वृद्ध इस अफवाह से डर गए थे कि अगर उनका नाम मतदाता सूची में नहीं होगा, तो उन्हें बांग्लादेश भेज दिया जाएगा.

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