ज्येष्ठ मास और जल का महत्व

वाराणसी । ज्येष्ठ मास हिंदू वर्ष का तीसरा महीना है। इस महीने में सूर्यदेव अपने रौद्र रूप में होते हैं अर्थात इस महीने में गर्मी अपने चरम पर होती है। वैसे तो फागुन माह की विदाई के साथ ही गर्मी शुरू हो जाती है। चैत्र और वैशाख में गर्मी अपने रंग बिखेरती है और ज्येष्ठ में चरम पर आ जाती है। गर्मी अधिक होने के कारण अन्य महीनों की अपेक्षा इस माह में जल का वाष्पीकरण अधिक होता है और कई नदी, तालाब आदि सूख जाते हैं अत: इस माह में जल का महत्व दूसरे महीनों की तुलना में अधिक बढ़ जाता है। यही कारण है कि इस माह में आने वाले कुछ प्रमुख त्योहार हमें जल बचाने का संदेश भी देते हैं जैसे- ज्येष्ठ शुक्ल दशमी पर आने वाला गंगा दशहरा पर्व (09 जून, मंगलवार) व निर्जला एकादशी (10/11 जून)।

इन त्योहारों के माध्यम से हमारे ऋषि-मुनियों ने हमें संदेश दिया है कि जीवनदायिनी गंगा को पूजें और जल की कीमत जानें। अगले ही दिन निर्जला एकादशी का विधान रखा। इस संदेश के साथ कि जल बचाना है तो वर्ष में कम से कम एक दिन ऐसा उपवास करें, ऐसा व्रत रखें कि बगैर जल ग्रहण किए ईश्वर की आराधना की जा सके। इस प्रकार ज्येष्ठ मास से हमें जल का महत्व व उपयोगिता सीखनी चाहिए।

ज्योतिर्विद वास्तु दैवज्ञ
पंडित मनोज कृष्ण शास्त्री
मो. 9993874848

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *