तारकेश कुमार ओझा, खड़गपुर : नाटक एक ऐसा माध्यम है जिसे प्रस्तुत करने के लिए विभिन्न कलाओं में निपुणता की आवश्यकता होती है I पश्चिम मेदिनीपुर जिला अंतर्गत शालबनी के मौपाल देशप्राण विद्यापीठ में आयोजित पांच दिवसीय शिशु किशोर नाट्यशाला के माध्यम से विद्यार्थियों को यही संदेश देने का प्रयास किया गया।
अंतर्राष्ट्रीय सांस्कृतिक संगठन षड़भुज के नेता तरूण कुमार प्रधान के प्रबंधन में शालबनी ब्लॉक के मौपाल देशप्राण विद्यापीठ में पांच दिवसीय थिएटर कार्यशाला एवं प्रदर्शनी का आयोजन किया गया। इस कार्यशाला में कुल 21 विद्यार्थियों ने भाग लिया।
किसी को अपने कौशल और क्षमताओं के आधार पर नाटक प्रस्तुत करना होगा – यह कोच शमिक बंद्योपाध्याय और फटिक मिद्या का संदेश था, संयोग से, तरुण प्रधान के साथ दोनों कोच रवींद्र भारती विश्वविद्यालय के नाटक विभाग में शिक्षण से जुड़े हैं।
अंतिम दिन ‘ स्वाधीनता का स्वाद ‘ नाटक का मंचन किया गया। प्रशिक्षकों के सुझाव के अनुसार छात्रों ने भारत की आजादी के छोटे-छोटे मुद्दों को व्यक्त किया। प्रशिक्षक उन्हें पाठ के माध्यम से नाटकीय रूप देते रहे।
इस अल्पकालीन प्रशिक्षण में जिस प्रकार छात्र-छात्राओं ने अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन किया, उससे प्रशिक्षकों सहित उपस्थित शिक्षक-शिक्षिकाओं व छात्र-छात्राओं को काफी खुशी देखी गई और उन्होंने नाटक का आनंद उठाया।
इस पहल का उद्देश्य छात्रों में छिपी प्रतिभा को प्रभावी ढंग से विकसित करना बताया गया । वक्ताओं के मुताबिक “यदि विद्यार्थी स्वतःस्फूर्त होकर आगे आएं और अपनी प्रतिभा को निखारें तो विद्यापीठ का यह प्रयास सार्थक होगा।”
गौरतलब है कि शालबनी ब्लॉक के भादुतला विवेकानन्द हाई स्कूल में भी षड्भुज की पहल पर इसी तरह की पांच दिवसीय थिएटर वर्कशॉप का आयोजन किया गया था।
आखिरी दिन वहां नाटक ‘डेनापोना’ का मंचन किया गया। कार्यशाला के सफलतापूर्वक संपन्न होने पर भादुतला हाई स्कूल के प्राचार्य डॉ. अमितेश चौधरी ने कार्यशाला में शामिल सभी लोगों को बधाई दी।
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